नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने एक रिपोर्ट पेश किया है। जिसमें कहा गया है कि औसत गति में थोड़ा सुधार के बीच, पिछले कुछ वर्षों में ट्रेनों के यात्रा समय में बढ़ोतरी हुई है और ट्रेनों के समय से संचालन में कमी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय रेलवे 2008-19 के दौरान ट्रैक बुनियादी ढांचे पर 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च कर देने के बाद भी समय पर नहीं पहुंच पाई है।
रिपोर्ट बताती है कि कम दूरी से लेकर उच्च दूरी तक के सफर के दौरान मेल- एक्सप्रेस ट्रेनों की समय से चलने में 79 प्रतिशत (2012-13) से घटकर 69.23 प्रतिशत (2018-19) हो गई। बुधवार को संसद में यह रिपोर्ट पेश किया गया है।
अन्य देशों में नियम सख्त
इसके अनुसार, अन्य देशों की तुलना में भारतीय रेलवे के पास समय की पाबंदी को मापने का सबसे उदार मानदंड है। 15 मिनट तक की देरी से चलने वाली ट्रेन को समय का पाबंद माना जाता है, जबकि यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, रूस और अन्य देशों में ऐसे नियम सख्त हैं।
मिशन रफ्तार में 75 किमी तक की औसत गति का लक्ष्य
ट्रेनों की लेटलतीफी को कम करने के लिए 2016-17 सत्र के दौरान मिशन रफ्तार की शुरुआत की गई थी। जिसके तहत 2022 तक मेल और एक्सप्रेस के लिए 50 किमी प्रति घंटे और मालगाड़ियों के लिए 75 किमी प्रति घंटे की औसत गति का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, 2019-20 के दौरान मेल, एक्सप्रेस और मालगाड़ियों की औसत गति क्रमशः 50.6 किमी प्रति घंटे और 23.6 किमी प्रति घंटे थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 478 में से 123 सुपरफास्ट ट्रेनें 55 किमी प्रति घंटे की औसत गति से चलीं हैं।
नई समय सारिणी से 100 प्रतिशत समय पालन की उम्मीद
आईआईटी बॉम्बे की मदद से रेलवे ने नए जीरो-बेस्ड टाइम टेबल पेश किया है। जिसे लेकर ऑडिटर्स ने कहा कि नई टाइमटेबल समयपालन लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम होगी। नई समय सारिणी के साथ नई दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर 100 प्रतिशत समयपालन हासिल करना संभव है, जो रेलवे का सबसे व्यस्त मार्ग है।