महाराष्‍ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने पिछली उद्धव ठाकरे के नेतृत्‍व वाली सरकार का फैसला पलटते हुए गुरुवार को 1975 के आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों के लिए पेंशन योजना जारी कर दी है। मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपातकाल अवधि के विरोध में जेल में बंद लोगों के लिए पेंशन योजना जारी करने का ऐलान किया है।

दरअसल में इस योजना की शुरुआत मूल रूप से 2018 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार द्वारा की गई थी, जिसे उद्धव ठाकरे की सरकार ने पलट दिया था। गुरुवार को हुए इस घोषणा के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन सभी लोगों को जो 1975-1977 के आपातकाल के दौरान जेल गए थे, उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा पेंशन दी जाएगी।

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह फैसला 2018 में लिया गया था लेकिन पिछली सरकार ने इसे बंद कर दिया था। फडणवीस ने कहा कि अब 3,600 लोगों को पेंशन मिलेगा और 800 और आवेदनों को मेरिट के आधार पर मंजूरी दी जाएगी। उन्‍होंने आगे कहा कि केवल जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही नहीं, सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया। मेरे पिता दो साल जेल में थे।

सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि इससे पहले दिन में महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट में क्रमशः 5 रुपए और 3 रुपए प्रति लीटर की कमी की। यह फैसला गुरुवार रात से लागू होगा। इस फैसले से राज्य के खजाने पर 6,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। सचिवालय ‘मंत्रालय’ में कैबिनेट की बैठक के बाद शिंदे ने कहा कि इससे आम आदमी को फायदा होगा।

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पूर्ववर्ती भाजपा नीत सरकार की पेंशन योजना को बंद कर दिया था। योजना को रद्द करते हुए, तत्कालीन सरकार ने कहा था कि यह निर्णय राजस्व में तेज गिरावट के कारण लिया गया है। इसके साथ ही दौरान सरकार ने ग्राम सरपंचों और नगर परिषद/नगर पंचायत अध्यक्षों के सीधे चुनाव को रोकने के पिछले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) शासन के फैसले को भी उलट दिया था।

वहीं उद्धव ठाकरे की सरकार से पहले 2014 से 2019 तक वाली फडणवीस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने सरपंचों और नगर परिषद अध्यक्षों के चुनाव की अनुमति दी थी, जिसे 2020 में खत्म कर दिया था।