लीना सिरिक/अबीगैल हैथवे/बेंजामिन जोन्स।

नोवल कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के प्रकोप के बाद से दुनियाभर में लोगों को मास्क पहने देखना आम बात हो गई है। हम यह अध्ययन कर रहे हैं कि मास्क कारगर है या नहीं। हमारा लक्ष्य यह पता लगाना है कि वायरस हवा के जरिए कैसे फैलता है, ताकि हम हवा में फैलने वाले संक्रमण के जोखिम को और बेहतर तरीके से समझ सकें। हम यह पता लगा रहे हैं कि क्या मास्क सांस से हवा में निकली बूंदों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं और संक्रमण को कम कर सकते हैं?

अभी तक हमें क्या जानकारी है: जब हम बात करते हैं, खांसते हैं या सांस लेते हैं, तो हमारे मुंह और नाक के माध्यम से हमारे फेफड़ों से हवा निकलती है- इस प्रक्रिया में यह हवा फेफड़ों, गले और मुंह से श्वसन तरल पदार्थ इकट्ठा करती है जिससे बूंदों का निर्माण होता है और ये बूंदे हवा में छोड़ी जाती हैं। गायन और खांसने आदि जैसी मुख संबंधी जिन गतिविधियों से अधिक ऊर्जा लगती है, उनसे अधिक बूंदे हवा में निकलती है। अधिकांश बूंदें पांच माइक्रोन से कम छोटी होती हैं (एक माइक्रोन एक मिलीमीटर का हजारवां हिस्सा होता है) – हम इन्हें एरोसोल कहते हैं। इससे बड़ी कोई भी चीज छोटी बूंद कहलाती है और ये 100 माइक्रोन जितनी बड़ी हो सकती है। ये एरोसोल घंटों तक हवा में रह सकते हैं और संक्रमण का गंभीर खतरा पैदा करते हैं।

मास्क वायरल कणों को बाधित करते हैं: लोगों के बीच वायरल लोड में भिन्नता के कारण, मास्क के फायदे को सटीक रूप से मापना चुनौतीपूर्ण है। मास्क पहनने से संक्रमित व्यक्ति द्वारा छोड़े जाने वाले वायरस की मात्रा कम हो जाती है, लेकिन इससे कितनी मदद मिलती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कितनी मात्रा में वायरस छोड़ा जा रहा है

मास्क के प्रभावी होने का कोई निर्णायक सबूत नहीं है। मास्क पहनने के कारण संक्रमण के कितने मामले कम हुए हैं, उसकी सटीक संख्या के बारे में जानकारी नहीं होने के बावजूद हम जानते हैं कि मास्क वायरस वाले कुछ एरोसोल और बूंदों को निश्चित रूप से बाधित करेंगे – और इससे संक्रमण के मामलों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी।

टीकाकरण, सामाजिक दूरी, उचित वातानुकूलन और सफाई समेत हमारे पास उपलब्ध संक्रमण से निपटने के कई हथियारों में मास्क भी शामिल हैं। ओमीक्रोन स्वरूप के तेजी से फैलने के कारण संक्रमितों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। अब यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है कि हम सार्स-सीओवी-2 को फैलने से रोकने के लिए उपलब्ध सभी साधनों का उपयोग करें।

(लेखक क्रमशः यूसीएल में पर्यावरण इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड में सीनियर लेक्चरर और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर एंड बिल्ट एन्वायरमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।)