भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित उत्तर प्रदेश में नए साल (2022) पर राज्य के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ी सुविधा दी गई है। दरअसल, सूबे की सरकार ने सरकारी कर्मियों और पेंशनर्स को कैशलेस चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के बाद पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना चालू कर दी है। कैबिनेट ने इसके लिए मंजूरी दे दी है।

इस सुविधा का फायदा यूपी के लगभग 28 लाख राज्य कर्मचारी और पेंशनभोगी पा सकेंगे। हालांकि, मौजूदा व्यवस्था के तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों को अभी तक सरकारी हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज या प्राधिकृत संविधाकृत अस्पतालों में फ्री ट्रीटमेंट की सुविधा थी। इलाज पर जो भी खर्च आता था, वह राज्य सरकार चुकाती थी। नई व्यवस्था के बाद उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी, जिसका मतलब है कि उन्हें न तो पहले पेमेंट करना होगा और न ही प्रतिपूर्ति के खोखट का सामना करना होगा। वैसे, कैशलेस वाली के साथ मौजूदा व्यवस्था भी जारी रहेगी।

प्राइवेट अस्पतालों में भी पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा स्कीम के सरकारी कर्मियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिवारों के आश्रितों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी। ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ट्रीटमेंट के खर्च की लिमिट प्रत्येक वर्ष हर लाभार्थी परिवार पांच लाख रुपए तक रहेगी।

इतना ही नहीं, लाभार्थियों का स्टेट हेल्थ कार्ड भी बनाया जाएगा। सरकारी वित्त पोषित अस्पतालों में उन्हें जरूरत के हिसाब से कैशलेस चिकित्सा सेवा मुहैया कराई जाएगी। अच्छी बात है कि इसकी कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं होगी। हर कर्मचारी का राज्य स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाएगा, जिसकी मदद से वे फ्री में इलाज पा सकेंगे।

यही नहीं, राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा मुहैया कराने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग और चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण वाले अस्पतालों के लिए विभिन्न कॉर्पस फंड का प्रावधान किया जाएगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग में यह कॉर्पस फंड 200 करोड़ रुपए और स्वास्थ्य विभाग में 100 करोड़ रुपए का होगा।