उत्तर प्रदेश के चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं वहां की फिजाओं में तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। ताजा मामले में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान को लेकर तीखा हमला बोला। डिप्टी सीएम ने कहा, ‘मैं उन्हें अखिलेश यादव नहीं, बल्कि अखिलेश अली जिन्ना कहता हूं।’ उधर, सपा प्रमुख ने पलटवार करते हुए कहा- “मौर्या जी को CM की कुर्सी नहीं मिली थी इसलिए उन्होंने योगी जी पर के बारे में ऐसा बोला होगा”।
शनिवार को अंबेडकर नगर में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘मैं उन्हें अखिलेश यादव नहीं, बल्कि ‘अखिलेश अली जिन्ना’ कहता हूं। वह पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। यह अवसरवाद है। उन्होंने कहा कि पिछड़ों के प्रति अगर अखिलेश के मन में कुछ सम्मान था तो 2012-17 तक सपा के पास पूर्ण बहुमत था। वह उन्हें जगह दे सकते थे।
मौर्य ने कहा कि बैकवर्ड क्लास के लोग साल 2014 के बाद भी उनके साथ नहीं गए। 2022 के बाद भी वो सपा के साथ नहीं जाएंगे। डिप्टी सीएम ने लोगों से अपील की कि हमें 2022 के विधानसभा चुनाव में 2017 के रिकार्ड को दोहराना है। वोट कटवा पार्टी से बचकर रहना है। 2022 चुनाव में साइकिल पंचर होगी और हाथ को जनता उखाड़ फेंक देगी। मायावती के हाथी का पता नहीं चलेगा। उन्होंने दावा किया कि 2022 में 300 से अधिक सीटों पर कमल खिलेगा और योगी फिर सीएम बनेंगे।
कलाम को आदर्श के तौर पर पेश कर रही है सपा
उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा अब पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को राजनीतिक मंचों पर अपने आदर्श के तौर पर प्रदर्शित कर रही है। कलाम की तस्वीर समाजवादी पार्टी द्वारा निकाली गई ‘समाजवादी विजय यात्रा’ के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल और समाजवादी विचारधारा के नेताओं आचार्य नरेंद्र देव और राम मनोहर लोहिया की तस्वीरों के साथ लगाई गई। वाहन पर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की भी तस्वीर है। समाजवादी पार्टी नेताओं ने उनके चित्र को चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल किए जाने के औचित्य के पीछे की दलील देते हुए कहा कि कलाम समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के काफी करीब थे। 2002 में यादव ने ही राष्ट्रपति पद के लिए सबसे पहले उनके नाम का प्रस्ताव रखा था।