पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर द्वारा गुरुग्राम में एक मुस्लिम व्यक्ति पर हुए हमले की घटना को निंदनीय बताने से पार्टी का एक वर्ग नाखुश है। सोमवार (27 मई, 2019) को गुरुग्राम की घटना पर एतराज जताते हुए भाजपा सांसद ने इसे निंदनीय बताया था। गंभीर के ट्वीट पर अब भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने संदेह जताते हुए कहा कि युवा नेता के शब्दों का इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ किया जा सकता है। दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की खबरों पर टिप्पणी करते वक्त सतर्कता बरतने की जरुरत है। तिवारी ने दावा किया कि कुछ लोगों ने साजिश के तहत अफवाह फैलाने और मुस्लिम समाज में डर का माहौल पैदा करने के इरादे से ऐसा किया है।
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद ने आगे कहा, ‘लोगों को खूब सतर्क रहने की जरुरत है ताकि उन्हें इस तरह की अफवाहों से गुमराह ना किया जा सके। पूर्वी दिल्ली से नवनिर्वाचित भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने इस मामले में टिप्पणी की है।’ ऐसे ही भाजपा के एक सीनियर नेता ने कहा कि गौतम गंभीर अब क्रिकेटर नहीं हैं और उन्हें पता चाहिए कि उनके शब्दों और कामों को राजनीति के चश्मे से देखा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘किसी को इस प्रकार की घटनाएं अच्छी नहीं लगतीं लेकिन हरियाणा में हुई किसी घटना पर बोलने का क्या फायदा है जिसे अन्य दल भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं।’
दरअसल गुरुग्राम में 25 मई को लोगों के एक समूह ने 25 वर्षीय एक मुस्लिम युवक की कथित रूप से पिटाई की थी। पीड़ित को कथित रूप से टोपी उतारने और ‘जय श्री राम’ का उद्घोष करने को कहा गया था। हरियाणा की इस घटना के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने गंभीर ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘गुरुग्राम में एक मुस्लिम व्यक्ति से टोपी उतारने, जय श्री राम का उद्घोष करने को कहा गया। यह निंदनीय है। गुरुग्राम प्राधिकारियों को ऐसी कार्रवाई करनी चाहिए जो एक मिसाल हो। हमारा राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष है, जहां जावेद अख्तर ‘ओ पालन हारे, निर्गुण और न्यारे’ लिखते हैं और राकेश मेहरा ने हमें ‘दिल्ली 6’ में ‘अर्जियां’ जैसा गीत दिया।’ गंभीर के इस ट्वीट पर भाजपा ने नेताओं का एक समूह सोशल मीडिया का एक बड़ा तबका नाराज है।
मामले में विवाद बड़ा ने गंभीर ने एक अन्य ट्वीट किया कर कहा, ‘धर्मनिरपेक्षता पर मेरे विचार माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ मंत्र से प्रेरित हैं।… मैं स्वयं को केवल गुरुग्राम की घटना तक सीमित नहीं रख रहा, जाति/धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का दमन निंदनीय है। भारत सहिष्णुता एवं समावेशी विकास की अवधारणा पर आधारित है।’ (भाषा इनपुट)
