Indore Sharda Girls Higher Secondary School video: सरकारी स्कूल की महिला टीचर ने 5 छात्राओं क्लास से अपने साथ वॉशरूम लेकर जाती है और बारी-बाकी से उनके कपड़े उतरवाकर चेक करती है। छात्राएं अपने घर जाती हैं और घटना के बारे में परिजन को जानकारी देती हैं। जानकारी मिलने के बाद अभिभावक गुस्से से भर जाते हैं और वे मल्हारगंज पुलिस थाने में महिला टीचर के खिलाफ मामला दर्ज कराते हैं। देखते ही देखते घटना वायरल हो जाती है और फिर कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करता है, जिसके बाद मामले की जांच पड़ताल तेजी से की जाती है और अब घटना के 13 दिन बाद मामले में महिला टीचर पर प्राथमिकी दर्ज की जाती है। इस मामले को जानने के लिए हम आपको घटना के फ्लैशबैक में ले जाते हैं।
घटना वाले दिन क्लासरूम में ऐसा क्या हुआ था?
शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की कक्षा में दो अगस्त को मोबाइल फोन की घंटी बजने की आवाज सुनाई देती है। इसके बाद टीचर गुस्से में आ जाती हैं। वे मोबाइल खोजने के लिए नाबालिग छात्राओं के कथित रूप से कपड़े उतरवा देती हैं। मामले में अधिकारी ने बताया कि मल्हारगंज पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि एक शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की कक्षा में दो अगस्त को मोबाइल फोन की घंटी बजने पर एक महिला टीचर ने मोबाइल ढूंढने के लिए कम से कम पांच छात्राओं को शौचालय में ले जाकर कथित तौर पर उनके कपड़े उतरवाए और उनकी तलाशी ली।
टीचर छात्राओं को ले गई वॉशरूम और उतरवाने लगी कपड़े
मल्हारगंज पुलिस थाने के प्रभारी शिव कुमार रघुवंशी के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला है कि टीचर ने मोबाइल ढूंढने के लिए नाबालिग छात्राओं के कथित तौर पर कपड़े उतरवाकर उन्हें ‘‘मानसिक रूप से प्रताड़ित’’ किया। उन्होंने आगे बताया कि शिक्षिका के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 76 (महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और धारा 79 (महिला की गरिमा के अपमान की नीयत से किया गया कृत्य) के साथ ही किशोर न्याय (बच्चों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 (बच्चों के प्रति क्रूरता) के तहत बृहस्पतिवार रात मामला दर्ज किया गया।
छात्राओं ने दिए बयान
रघुवंशी ने आगे बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने पीड़ित छात्राओं, उनके परिजनों और सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के बयान दर्ज किए। उन्होंने आगे कहा कि जांच के दौरान पाया गया कि घटना के पीछे शिक्षिका का कोई ‘‘यौन इरादा’’ नहीं था, इसलिए शिक्षिका के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम नहीं जोड़ा गया।
उच्च न्यायालय ने मांगी थी रिपोर्ट
घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र द्वारा दायर जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने राज्य सरकार को नौ अगस्त को नोटिस जारी किया था। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देशित किया था कि वह हफ्ते भर के भीतर रिपोर्ट पेश करे कि इस मामले में पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद क्या कार्रवाई की गई है? जनहित याचिका में गुहार की गई है कि मोबाइल ढूंढने के लिए नाबालिग छात्राओं के कथित रूप से कपड़े उतरवाने के मामले में पॉक्सो अधिनियम का पालन सुनिश्चित कराया जाए और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। इस घटना को लेकर लोगों में रोष है।