सोशल मीडिया पर एक छात्र की मां और स्कूल के प्रिंसिपल के बीच बहस का वीडियो वायरल हो रहा था। छात्र की मां ने दावा किया था कि बच्चे को स्कूल के लंच में नॉनवेज दिया था, इस कारण उसे सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि प्रिंसिपल का कुछ और ही कहना था। अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। अब इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने जिला मजिस्ट्रेट राजेश कुमार त्यागी को अमरोहा के एक स्कूल में एक छात्र को निलंबित किए जाने संबंधी मामले की जांच करने और 10 दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
जिला बाल कल्याण समिति ने प्रिंसिपल को आयोग के सामने पेश होने का दिया निर्देश
वहीं, जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने स्कूल के प्राचार्य को आयोग के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है, जबकि छात्र की मां ने दावा किया है कि उसके तीन बच्चों ने डर के कारण स्कूल जाना बंद कर दिया है। यह कदम अल्पसंख्यक समुदाय के एक छात्र को टिफिन में मांसाहारी भोजन लाने के कारण स्कूल से निलंबित किए जाने की खबरों के बीच उठाया गया है, हालांकि इस आरोप को बाद में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) वीपी सिंह की अध्यक्षता वाली टीम द्वारा की गई जांच में खारिज कर दिया गया था।
जांच समिति की रिपोर्ट के बावजूद अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र के साथ भेदभाव किए जाने का मुद्दा शांत नहीं हुआ है। इसके चलते अब एनसीपीसीआर ने बृहस्पतिवार को जिला मजिस्ट्रेट को इस मुद्दे पर नए सिरे से जांच करने और 10 दिन में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। इस बीच, सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष अतुलेश कुमार भारद्वाज ने मीडिया को बताया कि समिति ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत घटना का स्वत: संज्ञान लिया है।
उन्होंने नाबालिग बच्चों से जुड़े उत्पीड़न के मामलों की जांच करने और उचित कार्रवाई करने के लिए समिति के अधिकार पर जोर दिया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित छात्र की मां के तीन बच्चे उसी स्कूल में पढ़ते हैं। छात्र की मां ने ‘पीटीआई’ को बताया, “उस दिन स्कूल में जो कुछ हुआ, उसने मेरे सभी बच्चों को इतना झकझोर दिया है कि अब वे स्कूल जाने से भी डरते हैं।”
सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ था वायरल
पांच सितंबर के विवाद के बाद महिला ने आरोप लगाया था कि उसके एक बच्चे को स्कूल के टिफिन में मांसाहारी भोजन लाने के कारण निलंबित कर दिया गया। महिला और स्कूल प्राचार्य के बीच तीखी बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया था। इस वीडियो में प्राचार्य अवनीश कुमार शर्मा यह दावा करते हुए देखे गए कि छात्र अपने सहपाठियों के बारे में अनुचित टिप्पणियां कर रहा था और उन्हें मांसाहारी भोजन दे रहा था।
हालांकि महिला ने इस आरोप का खंडन किया। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गठित और डीआईओएस वी. पी. सिंह की अध्यक्षता वाली एक टीम द्वारा की गई जांच में महिला के आरोपों को “निराधार” करार दिया गया। हालांकि महिलाने कहा कि वह निष्कर्षों से संतुष्ट नहीं है और कानूनी कार्रवाई करना चाहती है। महिला ने कहा, “मैं अपने बच्चों को न्याय दिलाने के लिए अदालत का रुख करूंगी।” महिला ने इन दावों से इनकार किया कि उसने अपने बच्चों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने के लिए जिला शिक्षा विभाग से संपर्क किया है।