वीर सावरकर को लेकर अक्सर देश में विवाद होता है। समर्थक और विरोधियों में जमकर कहासुनी होती है। इसी बीच अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वीर सावरकर को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिस पर सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की बाढ़ आ गई है। नितिन गडकरी ने कहा वीर सावरकर ना सिर्फ महाराष्ट्र के लिए बल्कि देश के लिए भी महत्वपूर्ण है।
नितिन गडकरी से पूछा गया सवाल
कर्नाटक सरकार ने किताबों से हेडगेवार और वीर सावरकर पर आधारित चैप्टर्स हटाने का आदेश दिया, इस पर भाजपा ने नाराजगी जताई। नितिन गडकरी ने ANI पॉडकास्ट कार्यक्रम में पूछा गया कि महाराष्ट्र के लिए वीर सावरकर इतने महत्वपूर्ण क्यों है? इस पर नितिन गडकरी ने कहा कि वह ना सिर्फ महाराष्ट्र के लिए बल्कि देश के लिए महत्वपूर्ण है।
वीर सावरकर को लेकर क्या बोले नितिन गडकरी?
नितिन गडकरी ने कहा, “सावरकर और उनके परिवार ने जो त्याग किया है, वो हिंदुस्तान के इतिहास में किसी परिवार ने नहीं किया। जो कष्ट सहे, यातना सहन की, वह देश के लिए प्रेरणा का विषय बने। इसलिए ऐसे विषयों की राजनीति करना बहुत बुरी बात है। हेडगेवार जी तो एक समय विदर्भ कांग्रेस के सचिव थे।” उन्होंने कहा हमारे देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए सहनशक्ति होनी चाहिए। मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए।
सोशल मीडिया यूजर्स के रिएक्शन
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “यह एक विवादित विषय है लेकिन फिर भी इतना कह सकते हैं कि सावरकर को जितनी लंबी सजा बोली गई थी, उतनी किसी भी क्रांतिकारी को नहीं दी गई थी।” जय नाम के यूजर ने लिखा, “सावरकर की कोई एक उपलब्धि बता दीजिए, जो राष्ट्र के हित में हो। सावरकर रिहा हुए इसलिए नहीं की वह निर्दोष थे, इसलिए रिहा हुए क्योंकि कोर्ट ने सबूतों का अभाव महसूस किया था।”
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “बीजेपी में सबसे ईमानदार, बेहतर और अच्छा नेता मानता था लेकिन आपके मुंह से यह शब्द सुनकर मैं भी अचंभित हैरान हूं।” एक अन्य ने लिखा, “किसी भी क्रांतिकारी के सम्मान के लिए दूसरे क्रांतिकारी को नीचा दिखाने की जरूरत नहीं है। सभी के परिवारों ने त्याग किया है।”
अनुराग वर्मा नाम के यूजर ने लिखा, “भाजपा में मैं आपको सबसे ज्यादा समझदार एकलौता नेता मानता था। आपसे ऐसे शब्दों की उम्मीद नहीं थी, उम्मीद करता हूं यह विचार आप ने पार्टी लाइन में दिए होंगे आपके व्यक्तिगत विचार नहीं होंगे।”
बता दें कि 17 जून को नागपुर में वीर सावरकर पर आधारित एक किताब के विमोचन के मौके पर नितिन गडकरी ने कर्नाटक सरकार के फैसले को बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।
