यूपी विधानसभा चुनाव 2017 से पहले ही मुलायम परिवार में सियासी कलह की आग सुलग उठी थी। मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश पर कार्यवाही करते हुए उन्हें 6 सालों के लिए पार्टी से बाहर कर दिया था। मुलायम के इस फैसले ने लोगों को सकते में डाल दिया था। बताया जाता है कि इस परिवारिक और सियासी उठापटक में मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता की भी मुख्य भूमिका थी।

विधानसभा चुनाव के पहले ही उत्तर प्रदेश में मुलायम परिवार में सियासी कलह तेज हो गई थी। उसी समय सपा नेता मुलायम सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह ऐलान कर दिया था कि वह अपने बेटे एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी से बाहर कर रहे हैं। अखिलेश के साथ ही उनके चाचा रामगोपाल यादव को भी पार्टी से बाहर कर दिया गया था। मुलायम सिंह ने उन पर अखिलेश को भड़काने और भटकाने का आरोप भी लगाया था। मुलायम ने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, ‘हमारे लिए पार्टी सबसे प्रमुख है इसकी रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है। अनुशासनहीनता के लिए रामगोपाल और अखिलेश को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाता है।’

मुलायम सिंह यादव ने यह भी कहा था कि मैंने अकेले ही पार्टी बनाई थी, इनका इसमें क्या योगदान है? रामगोपाल और अखिलेश यादव पार्टी खत्म कर रहे हैं। मैंने यह पार्टी बनाने के लिए बहुत मेहनत की है, इसमें उनकी क्या भूमिका थी? मैंने कड़ी मेहनत की और फल खाएं वो ? मैं तय करूंगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा? बता दें कि परिवारिक और सियासी कलह समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर शुरू हुई थी जो बाद में एक नाटकीय घटनाक्रम में तब्दील हो गई थी।

दरअसल मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव का वही रुतबा हो जो उनके समय में होता था। लेकिन अखिलेश ऐसा नहीं चाहते थे। वह अपने फैसलों के जरिए बार-बार यह साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि वही पार्टी के सर्वे सर्वा है और उनके जरिए ही यह पार्टी आगे बढ़ेगी। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने अखिलेश को सपा की कमान सौंपते हुए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था। जबकि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले ही मुलायम ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

बताया जाता है कि अखिलेश और मुलायम के बीच बढ़ती दूरियों की एक प्रमुख कारण मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जब मंत्रिमंडल से गायत्री प्रजापति को बाहर का रास्ता दिखाया था उसके बाद मुलायम के कहने पर उन्हें फिर से कैबिनेट में शामिल करना पड़ा था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले की वजह साधना गुप्ता थी। यूपी चुनाव के दौरान साधना गुप्ता ने अखिलेश यादव पर कई आरोप लगाते हुए कहा था कि नेताजी का किसी भी कीमत पर सम्मान बरकरार रहना चाहिए। उन्होंने एक बयान में कहा था कि शिवपाल यादव के साथ बहुत गलत हुआ है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि वह अपने बेटे प्रतीक को राजनीति में देखना चाहती हैं। साधना गुप्ता ने यह भी कहा था कि अखिलेश नहीं चाहते हैं कि परिवार का कोई व्यक्ति उन्हें डिस्टर्ब करें या उनके प्रतिद्वंदी के रूप में उनके सामने खड़ा हो।