पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की आज तीसरी पुण्यतिथि है। देश आज उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। अटल बिहारी वाजपेई की गिनती राजनीति के उन धुरंधर नेताओं में होती है जो कभी एक दल में नहीं बंधे रहे। उन्हें अपनी पार्टी ही नहीं बल्कि विपक्षी पार्टियों से भी भरपूर प्यार और स्नेह मिलता रहा। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेई की समाधि पर श्रद्धांजलि दी।

नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को याद करते हुए उनके साथ एक तस्वीर अपने सोशल मीडिया हैंडल से शेयर की। इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि, ‘देश के पूर्व प्रधानमंत्री, हम सबके मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत, राजनीति में शुचिता और नैतिकता के पैरोकार श्रध्देय स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की पुण्यतिथि पर उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।’

बता दें कि अटल बिहारी वाजपेई का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी। हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच रहा था। इसी क्रम में कांग्रेस के तत्कालीन सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके आखिरी दर्शन करने पहुंचे थे। सभी नेताओं की तरह उन्होंने भी अटल बिहारी वाजपेई के पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ाकर नमन किया, उसके बाद वह घुटने के बल बैठकर उनके पार्थिव शरीर के सामने अपना सिर जमीन पर टिकाते हुए जमीन चूमली थी।

जानकारी के लिए बता दें अटल बिहारी वाजपेई ने अपनी स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई ग्वालियर से ही पूरी की थी। वहीं से उन्होंने अपने पत्रकारिता की शुरुआत भी की थी। उनका सिंधिया राजघराने से गहरा संबंध था। सिंधिया राजघराने की राजमाता विजयराजे सिंधिया भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थी।

वहीं अटल बिहारी बाजपेई ने एक बार विजयराजे सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया के खिलाफ ग्वालियर से चुनाव थे। 1984 में हुए उस चुनाव में अटल बिहारी बाजपेई को हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद बाजपेई ने लखनऊ से चुनाव लड़ना शुरू कर दिया था। जबकि इससे पहले 1971 में वह ग्वालियर से ही सांसद चुने गए थे।