ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल में ही मोदी केबिनेट में अपनी जगह बनाई है। उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है। सिंधिया ने पिछले साल ही कांग्रेस का साथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। ज्योतिराज सिंधिया जब कांग्रेस में थे तो वह नरेंद्र मोदी पर अक्सर निशाना साधते नजर आते थे। ऐसे ही उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार किसानों का गला घोट रही है।

इंडिया टीवी के कार्यक्रम आप की अदालत में पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पत्रकार के तमाम सवालों के जवाब बेबाकी से दिए थे। इंटरव्यू के दौरान पत्रकार रजत शर्मा ने सिंधिया से सवाल पूछा कि टाइम मैगजीन में बराक ओबामा ने लिखा कि नरेंद्र मोदी के बारे में कि बचपन में परिवार चलाने के लिए पिता के साथ चाय बेची। उनकी गरीबी से पीएम तक की कहानी जोश दिखाती है। उनके पास गरीबी कम करने के, शिक्षा के विस्तार करने के दूरगामी सोच है। लेकिन कांग्रेस को यह चाय वाला बर्दाश्त नहीं हो रहा है?

इसका जवाब देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि प्रजातंत्र का उत्सव होता है चुनाव होना। दुनिया के सबसे बड़े प्रजातंत्र होने के नाते भारत की नींव और भारत की विशेषता हमारे मत के अधिकार के आधार पर होता है। जो भी चुनावी जंग से जीत कर आता है वह भारत की इच्छा के अनुसार आता है 1 साल हो चुका है लेकिन जो इनका कार्यकाल रहा है उसे मैं नहीं समझता हूं कि वह संतोषजनक नही है। विद्यालय अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन चढ़ाव को कभी अहंकार की और नहीं ले जाना चाहिए।

उनके जवाब पर रजत शर्मा ने एक दूसरी मैगजीन का जिक्र करते हुए कहा था कि इसमें लिखा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी हद तक सही हो गई है? लेकिन राहुल गांधी कह रहे हैं कि 10 में से जीरो। इन्होंने कुछ किया ही नहीं है। इसका जवाब देते हुए सिंधिया ने कहा था कि, ‘ यह बिल्कुल सही है अगर देखा जाए तो नारा जो लगाया था… उन्होंने नारा लगाया था कि अच्छे दिन। अब यहां बैठे लोगों से आप पूछ लीजिए कि अच्छे दिन आए क्या?’ उन्होंने कहा कि क्या किसानों के लिए अच्छे दिन आए हैं? किसान की हालत देख लो। समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं मिली, जो बोनस की प्रक्रिया होती थी इसे भी इन्होंने समाप्त कर दी। किसानों को खाद नहीं बल्कि प्रशासन के डंडे मिले हैं ।

उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर किसान की ओर ध्यान न देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि ओलावृष्टि पर सरकार किसी भी किसान को मुआवजा नहीं दे रही है। हमारे समय में भी अकाल आया था लेकिन हमने सरकार के खजाने किसानों के लिए खोल दिए थे। सारी बातें छोड़ दो अब तो किसानों की जो जमीन है वह भी यह सरकार हथियाने का काम शुरू कर रही है। एक तरफ किसानों का गला घोट रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उनकी अमानत भी उठा ले जा रहे हैं।