अगर माता-पिता खुद फिल्म देख रहे हैं तो वे बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं कह सकते हैं। इसका बच्चों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह बिल्कुल काम नहीं करेगा।
दरअसल, नारायण मूर्ति 9 सितंबर को बेंगलुरु में एक पुस्तक कार्यक्रम में कोचिंग कक्षाओं और शिक्षा पर सवालों के जवाब रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि मैं और सुधा मूर्ति हर दिन तीन से साढ़े तीन घंटे बच्चों के साथ पढ़ाई करते हैं।
मूर्ति के इस बयान के बाद सोशल मीडियो पर लोग अपना-अपना रिएक्शन दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “माता-पिता और बच्चों को फिल्में देखना बंद कर देना चाहिए और रात में बच्चों को समय देना चाहिए। एक अन्य यूजर ने लिखा, “बच्चों को सही जानकारी देना माता-पिता का कर्तव्य है।”
‘मॉर्डन माता-पिता इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक से बोर होकर नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन प्राइम देखने लगते हैं’
तीसरे ने लिखा “बिल्कुल, हमारे मॉर्डन माता-पिता इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर रील देखने में व्यस्त हैं, जब वे ऊब जाते हैं तो नेटफ्लिक्स, अमेज़ॅन प्राइम देखना शुरू कर देते हैं । वे अपने बच्चों को टीवी देखने और खाना खाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह माता-पिता की अब तक की सबसे खराब पीढ़ी है।
मूर्ति ने यह भी बताया कि वे और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति अपने बच्चों अक्षता और रोहन मूर्ति के साथ पढ़ने में हर दिन साढ़े तीन घंटे से अधिक समय बिताते हैं। उन्होंने घर में अनुशासित वातावरण बनाने के लिए ऐसा करना शुरू किया। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उनके घर पर शाम 6.30 बजे से 8.30 बजे तक टीवी बंद रहती है। इस समय में सभी लोग सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करते हैं।
मूर्ति ने कहा “मेरी पत्नी का तर्क था, अगर मैं टीवी देख रही हूं तो मैं अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए नहीं कह सकती। इसके बाद उसने कहा ‘मैं अपने टीवी देखने के समय का त्याग कर दूंगी और पढ़ाई करूंगी’। उन्होंने कहा, अगर माता-पिता खुद फिल्में देख रहे हैं और फिर कह रहे हैं कि ‘बच्चों, नहीं, नहीं, तुम पढ़ाई करो’ (यह काम नहीं करेगा)।” इस दौरान मूर्ति ने यह भी कहा कि वे कोचिंग कक्षाओं में यकीन नहीं करते हैं।