केंद्र सरकार ने रेलवे की जमीन की लाइसेंस फीस छह फीसदी से घटा कर 1.5 फीसदी करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही रेलवे की जमीन की लीज अवधि को भी पांच साल से बढ़ाकर 35 साल कर दिया गया। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसके बारे में जानकारी दी है। इस पर आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने तंज कसा है।

संजय सिंह ने सरकार पर यूं कसा तंज

संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, “जो बाप दादा की संपत्ति बढ़ाते हैं वो “सपूत”कहलाते हैं और जो बेचते हैं वो “कपूत” कहलाते हैं। मोदी सरकार देश की 6.5 लाख करोड़ की संपत्ति बेच रही है। क्या देश बेचने वालों को “भारत माता की जय”लगाने का हक है।” संजय सिंह ने रेलवे की लैंड पॉलिसी में हुए बदलाव पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला तो लोगों ने भी इस पर टिप्पणी की है।

लोगों की टिप्पणियां

@rishv86 यूजर ने लिखा कि यह तो कुल मिलाकर बढ़िया कदम है। पुराने जमाने में सरकारी संस्थाओं को एलॉट हुई जमीन की जितनी जरूरत है उससे कई गुना ज्यादा होती है। अगर उस एक्स्ट्रा दी गई जमीन को कुछ बढ़िया काम में यूज में ले लिया जाए तो बुराई क्या है। दूसरी अच्छी बात कि 35 साल की लीज पर ही दे रहे हैं, बेच नहीं रहे हैं।

@PuriAnoop1 यूजर ने लिखा कि लीज (पट्टे) पर दे रही है सरकार रेलवे की बेकार पड़ी जमीन, बेच नहीं रही है। इससे राजस्व आएगा जो जनता की भलाई में खर्च होगा। @IamMukulDhama यूजर आईडी से लिखा गया कि सभी राजनीतिक दल सड़क पर क्यों नहीं उतरते, विरोध क्यों नहीं करते? ऐसे ट्वीट करने से तो कुछ नहीं होगा।

@AnirudhJainChd यूजर आईडी से संजय सिंह को जवाब देते हुए लिखा गया कि ये राज्य सभा के MP हैं जिन्हें बेचने और किराए पर देने में फर्क ही नहीं पता! भगवान हिंदुस्तान की जनता को सद्बुद्धि दें जिन्होंने इन जैसों को चुन कर भेजा है।@ATULKKUSHWAHA1 यूजर आईडी ने लिखा कि जो जनता के पैसे से विज्ञापन देते हैं वो क्या कहलाते हैं ये भी बता दीजिए संजय सिंह जी।

अखिलेश यादव ने भी उठाया सवाल

बता दें कि 35 साल के लिए रेलवे की जमीन लीज पर देने के फैसले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा था कि कैबिनेट ने रेलवे की भूमि नीति में संशोधन को मंजूरी देते हुए रेलवे की भूमि को लीज पर देने की अवधि 5 साल से बढ़ाकर 35 साल कर दी है। जिसका सीधा लाभ केवल बड़े उद्योगपतियों को ही मिलेगा। इसमें कौन-सा जनहित है। सरकार रेलवे की जमीन को रेवड़ी की तरह क्यों बांट रही है?