Google Trends: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर को लेकर विपक्ष बार-बार केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग कर रहा है कि वो स्पष्ट करें इस सीजफायर में ट्रंप की क्या भूमिका थी। इसी बात को दोहराते हुए कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने व्यापार के बदले में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री कहते हैं कि उनको किसी का फोन ही नहीं आया। आखिर क्यों पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति का नाम नहीं लेते?
कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला कहते हैं, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने व्यापार के बदले युद्ध रोक दिया। लेकिन प्रधानमंत्री कहते हैं कि किसी ने उन्हें फोन नहीं किया। वे नाम क्यों नहीं लेते? वे सवालिया निशान क्यों लगा रहे हैं? साफ कहिए कि यही वो व्यक्ति है जो झूठ बोल रहा है। यह हमारे देश की गरिमा का सवाल है, अगर ट्रंप पीएम मोदी का नाम ले रहे हैं, तो मोदी उनका नाम क्यों नहीं लेते?’
औजला ने आगे कहा, ‘पीएम मोदी इसको लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करें और ट्रंप का नाम लें। हमें पीएम मोदी पर भरोसा है। युद्ध के दौरान बहुत कुछ होता है। हमने साफ कहा है कि उन्हें 35 राफेल विमानों को एक लाइन में खड़ा करके दिखाना चाहिए और पाकिस्तान को चुप कराना चाहिए। उन्हें चीजें छिपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि कुछ भी नहीं छिपाया जा सकता।”
विपक्ष बार-बार ट्रंप का नाम लेने की कर रहा मांग
संसद के दोनों सदनों में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा जारी है। बीते सोमवार और मंगलवार को लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से चर्चा हुई जबकि मंगलवार से राज्यसभा में चर्चा अभी चल रही है। लोकसभा में सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सत्ता पक्ष से तो विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत की। इसके बाद मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह, नेता विपक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और फिर अंत में पीएम मोदी ने सदन में अपनी बात रखी।
दरअसल पीएम मोदी ने कल लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा था कि भारत-पाकिस्तान सीजफायर के लिए दुनिया के किसी भी देश के नेता का उनके पास फोन नहीं आया था। जिस पर विपक्ष द्वारा मांग की जा रही थी कि मोदी ये बात ट्रंप का नाम लेकर कहें तब समझ आएगा क्योंकि ट्रंप ने व्यापार की धमकी देकर ये सीजफायर कराया था और पीएम ने उनके दबाव में ये फैसला लिया।