पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने राकेश टिकैत को चेतावनी देते हुए कहा कि योगेंद्र यादव को सस्पेंड करना कहीं भारी न पड़ जाए। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि टिकैत को सावधान हो जाना चाहिए। किसानों के प्रेम स्नेह को टूटते देर नहीं लगेगी। योगेंद्र यादव का निलंबन किसान आंदोलन को बड़ा झटका है। वह आंदोलन का मन मस्तिष्क थे। उन्होंने अंदेशा जताते हुए कहा है कि कहीं इसके पीछे बीजेपी का खेल तो नहीं? उ्होंने सवाल भी उठाया है कि शोक संतप्त परिवारों को संवेदना कब से गुनाह हो गया?

संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव पर बड़ी कार्रवाई की है। योगेंद्र यादव को संयुक्त किसान मोर्चा से एक महीने के लिए निष्कासित कर दिया गया है। इस फैसले के कारण योगेंद्र यादव एक महीने तक संयुक्त किसान मोर्चा के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा से निष्कासित किए जाने के बाद योगेंद्र यादव ने माफी भी मांग ली है। योगेंद्र पर यह कार्रवाई लखीमपुर खीरी नरसंहार में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर जाने के बाद हुई है।

12 अक्टूबर को योगेंद्र यादव मृतक किसानों की अंतिम अरदास में शामिल होने लखीमपुर गए हुए थे। बाद में वह बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर भी चले गए थे। वहां से लौटकर योगेंद्र यादव ने इस सिलसिले में एक लेख भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अपना अनुभव साझा किया था। योगेंद्र यादव के इस कदम से मोर्चा के कई किसान नाराज चल रहे थे। उनकी मांग थी कि योगेंद्र पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

https://twitter.com/suryapsingh_IAS/status/1451451269705453569?s=20

उधर, सोशल मीडिया पर लोगों ने किसान नेताओं पर अपनी भड़ास निकाली। प्रकाश ने लिखा कि नकली किसान कहो। पंजाब, हरयाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चंद किसान संघी और बिचौलिए पूरे भारत के किसानों का प्रतिनिधित्व नही करते। कौशल यादव ने लिखा कि राकेश टिकैत को भाजपा ने खरीद लिया है। यह जल्दी किसान आंदोलन को भी खत्म करवा देंगे देख लेना। रमेश यादव ने लिखा कि किसी का दुख बांटना क्या गुनाह है अगर पीड़ित परिवार के घर जाना गुनाह है तो फिर पीएम से 700 किसानो के शहादत पर संवेदना की उम्मीद क्यू कर रहें है किसान।

हालांकि, युद्धवीर सिंह ने सूर्य प्रताप को नसीहत देते हुए कहा कि कई नेताओं को पहले भी निलंबित किया जा चुका है। जब कोई नियम तोड़ता है तो उसे निलंबित करता रहा है। सयुंक्त किसान मोर्चा से निलंबित रहते वह किसी फैसले में भागीदार नहीं होंगे। योगेंद्र यादव एक महीना बाद फिर से हिस्सा होंगे वह किसान आंदोलन से नहीं निकले हैं।