बड़े शहरों में रहना अब इतना आसान नहीं रह गया है। यहां लोग जितना कमाते हैं उससे अधिक उनका खर्चा होता है। सैलरी आती है और ईएमआई पहले से मुंह खोलकर खड़ी रहती है। दिमाग में ईएमआई, घर का रेंट, बिजली का बिल, कामवाली दीदी के पैसे, मेंटेनेंस ब्ला-ब्ला…इंसान ऑफिस जाने के लिए भी पैसे देता है, अपनी फिटनेस के लिए जिम के पैसे, खाने के पैसे, एकाध बार शॉपिंग में क्रेडिट कार्ड का बिल… मतलब खर्चे हैं जो संभलते नहीं है। ऊपर से बच्चों की पढ़ाई की चिंता। कहने को एक शख्स महीने की अगर 50 हजार की सैलरी है मगर पैसे दिखते नहीं है।

दरअसल, एक पिता ने एक्स पर अपना दुख जाहिर किया है। शख्स का कहना है कि उसके बेटे की फीस हर साल बढ़ती जा रही है। वे अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाा चाहते हैं ताकि उसका भविष्य बेहतर हो। जब एडमिशन कराया था तबकी फीस में औऱ आज में काफी अंतर आ गया है। एक्स पर पोस्ट करते हुए शख्स ने लिखा है कि फिलहाल वे अपने बेटे की हर महीने स्कूल फीस 30 हजार भरते हैं।

हर साल 10 प्रतिशत बढ़ जाती है फीस

उनका कहना है कि हर साल उनके बेटे की फीस मनमानी ढंग से बढ़ रही है। स्कूल 10 प्रतिशत सालाना हाईक कर रहा है। हालांकि स्कूल यह बताता भी नहीं है कि इतनी फीस वे क्यों बढ़ा रहे हैं। शख्स के अनुसार, जब मात-पिता स्कूल से इस बात की शिकायत करते हैं तो मैनेजमेंट कहता है कि वे अपने बेटे का एडमिशन किसी और स्कूल में करा दें।

शख्स का नाम उदित भंडारी है। वे गुरुग्राम में एक रियल एस्टेट सलाहकार हैं। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर अपना दर्द बयां किया है। उनका बेटा फिलहाल तीसरी क्लास में है। उन्होंने पोस्ट में कहा, मेरा बेटा गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूल में जाता है और महीने में 30,000 उसकी स्कूल फीस भरता हूं। भंडारी ने कहा कि अगर इसी तरह यह स्कूल हर साल अपनी फीस में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी जारी रखता है, तो उन्हें अपने बेटे के 12वीं कक्षा में पहुंचने पर हर साल 9,00,000 फीस भरनी होगी।

देखिए सोशल मीडिया यूजर ने क्या लिखा-

एक यूजर ने लिखा, ”मुझे भारत में प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी ढंग से अधिक फीस वसूलने के कई कारण दिखते हैं- प्राइवेट स्कूल को विनियमित नहीं किया जाता है। वे बड़े व्यवसाय हैं औऱ लाभ के लिए चल रहे हैं। मांग-आपूर्ति में भारी अंतर है। ज्यादातर मामलों में माता-पिता के पास केवल 1 ही बच्चा होता है, और वे अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं। सरकारी स्कूल दयनीय हैं। होमस्कूलिंग अभी तक भारत में शुरू नहीं हुई है।”

एक अन्य यूजर ने कहा, ”सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और प्राइवेट स्कूल की फीस पर सीमा लगानी चाहिए लेकिन ऐसा लगता है कि मैं सरकार से बहुत ज्यादा उम्मीद कर रहा हूं।”

वहीं एक अन्य यूजर ने कहा कि यही हाल रहा तो भविष्य में बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना सबके बस की बात नहीं रह जाएगी। हमारी शिक्षा प्रणाली इसी दिशा में जा रही है…। इस बारे में आपकी राय क्या है।