रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीर सावरकर पर एक किताब के विमोचन के कार्यक्रम में कहा कि महात्मा गांधी के कहने पर ही उन्होंने क्षमा याचिका दाखिल की थी। इसी विषय पर चल रही एक डिबेट के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल ने कहा कि अंबेडकर ने सावरकर को नादान बताया था।

आज तक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम ‘दंगल’ में हो रही डिबेट के दौरान एंकर चित्रा त्रिपाठी के सवाल का जवाब देते हुए डीयू के प्रोफेसर रतन लाल ने कहा, राजनाथ सिंह और मोहन भागवत इतिहासकार हैं। मुझे उम्मीद है कि उन्होंने सावरकर से संबंधित सभी दस्तावेजों को पढ़ लिया होगा। उन्होंने डिबेट में मौजूद बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी से कहा कि मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इस चर्चा को एक सेमिनार में करें।

उन्होंने अपने पास रखे दो कागजों का जिक्र करते हुए कहा, 9 जनवरी 1918 के इस कागज में सावरकर द्वारा माफी मांगी गई है। उनकी बात पर एंकर ने सवाल किया कि यह बात तो राजनाथ सिंह भी कह रहे हैं कि उन्होंने महात्मा गांधी के कहने पर माफी मांगी थी? इस पर उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने तो बहुत कुछ कहा था। उन्होंने पूना पैक्ट के दौरान अंबेडकर से कहा था कि 5 साल में हिंदू सुधर जाएंगे लेकिन आज तक यह संभव नहीं हो सका।

प्रोफेसर ने कहा कि अंबेडकर ने सावरकर को नादान और कन्फ्यूज्ड कहा था। वह देशभक्त भी दिखना चाहते हैं और ब्रिटिश हुकूमत के साथ भी रहना चाहते हैं।

गौरतलब है कि वीर सावरकर पर हो रही एक किताब के विमोचन के दौरान राजनाथ सिंह के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उपस्थित थे। उन्होंने हिंदुत्व को लेकर कहा कि सावरकर का हिंदुत्व, विवेकानंद का हिंदुत्व, ऐसा कुछ नहीं है। हिंदुत्व एक ही है, वो सनातन है जो आखिर तक रहेगा।