Zomato Delivery Boy Viral News: दिल्ली के एक सोशल एक्टिविस्ट ने लिंक्डइन पर एक वायरल पोस्ट में ज़ोमैटो डिलीवरी एजेंट के साथ अपनी मुलाकात की एक इमोशनल स्टोरी साझा की है। नोएडा में अपनी कार पार्क करते समय, किरण वर्मा ने डिलीवरी पार्टनर को अपनी बाइक पर खाना खाते हुए देखा।

किरण को पहले तो लगा कि डिलीवरी राइडर, जिसे उन्होंने “विशाल” (बदला हुआ नाम) कहा, किसी कस्टमर के लिए बनाया गया खाना खा रहा है। हालांकि, विशाल से बात करने के बाद ही उनको इसके पीछे की कहानी समझ में आई।

बाइक पर बैठकर खाना खा रहा था शख्स

वर्मा ने अपनी पोस्ट में कहा, “इस अच्छे खराब फैसले के लिए ज़ोमैटो का धन्यवाद! कल, मैं नोएडा में अपनी कार पार्क कर रहा था, जब मैंने इस बाइकर को अपनी बाइक पर खाना खाते हुए देखा। चूंकि कार को पार्क करने के लिए आस-पास यही एकमात्र जगह थी, इसलिए मैंने उसके खाना खत्म करने का इंतज़ार करने लगा। तभी मैंने पहली फोटो क्लिक की और मुझे लगा कि वो कोई और डिलीवरी बॉय होगा जो किसी और का खाना खा रहा होगा।”

विशाल ने किरण को बताया कि उन्होंने दोपहर 2 बजे के आसपास एक ऑर्डर लिया था, लेकिन डिलीवरी लोकेशन पर पहुंचने पर पाया कि उसे लेने के लिए कोई मौजूद नहीं था। उनके अनुसार, ज़ोमैटो ने उन्हें ऑर्डर को “डिलीवर” के रूप में मार्क करने का निर्देश दिया, कथित तौर पर बेवजह की परेशानी से बचने के लिए कंपनी ऐसा करती है। एक बार डिलीवर के रूप में मार्क होने के बाद, भोजन उनके पास रह सकता है।

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किरण ने कहा, “यह अनैतिक या गलत लग सकता है, लेकिन ये अच्छी प्रैक्टिस है, क्योंकि इस तरह से डिलीवरी पार्टनर अपने भोजन पर थोड़ा पैसा बचाते हैं और खाने की बर्बादी को भी नियंत्रित किया जा सकता है।”

विशाल ने कहा कि उन्होंने पहले खाना नहीं खाया था क्योंकि वे इनसेंटिव कमाने के लिए होली के दौरान डिलीवरी को अधिक से अधिक डिलिवरी करने की कोशिश कर रहे थे।

डिलिवरी पार्टनर को आर्थिक मदद की पेशकश की

किरण ने कहा, “उन्हें प्रति ऑर्डर लगभग 10-25 रुपये मिलते हैं और मुश्किल से 20,000-25,000 रुपये महीने कमा पाते हैं। उनके पिता पूर्वी यूपी में छोटे किसान हैं और उनके दो छोटे भाई-बहन हैं (दोनों पढ़ाई कर रहे हैं)। वे ग्रेजुएट हैं और उन्हें अपने लिए अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई, इसलिए उनके पास यह आसान ऑप्शन था। पूरा परिवार उनकी कमाई पर निर्भर करता है, और इसलिए इस तरह का भोजन उनके लिए बचत या लाइफलाइन से कम नहीं है।”

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उसकी हालत के बारे में जानने के बाद किरण ने विशाल को आर्थिक मदद की पेशकश की, लेकिन उसने कहा, “सर, मैं और मेहनत कर सकता हूं, लेकिन भीख नहीं मांग सकता।” हालांकि, सम्मान के तौर पर किरण ने कुछ गुझिया (एक त्यौहारी मिठाई) मंगवाई और विशाल को आमंत्रित किया कि अगर उसे समय मिले तो वो अपने परिवार के साथ होली मनाए।

दीपिंदर गोयल का धन्यवाद किया

किरण ने कहा, “मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि जब कोई विशाल ऐसा खाना खा रहा हो तो आप उसके बारे में मेरी तरह राय न बनाएं।” उन्होंने अपने पोस्ट को ज़ोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल के लिए एक धन्यवाद नोट के साथ खत्म किया, “इस तरह के प्रभावशाली तरीके से उम्मीद जगाने के लिए दीपिंदर गोयल का धन्यवाद। आशा है कि आप सभी अपने परिवारों के साथ त्यौहार मना रहे होंगे और लाखों गिग वर्कर्स की तरह नहीं, जो उन पलों को यादगार बनाने में हमारा साथ दे रहे हैं।”