उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार राम मंदिर भी बड़ा मुद्दा रह सकता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी रामलला के दर्शन करने अयोध्या पहुंचे थे। इस विषय पर न्यूज़ 18 इंडिया चैनल पर हुई डिबेट में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन के बीच यूपीए सरकार पर बहस हुई। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारतीय राजनीति में पहली बार राजीव गांधी ने अयोध्या से 1989 में भगवान राम का नाम लेकर चुनाव की शुरुआत की थी। उसके ठीक एक साल बाद कारसेवकों की हत्या कराने वाली मुलायम सिंह सरकार को समर्थन देकर बचाया था।

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, जो भगवान राम से विमुख हो जाते हैं, उसकी क्या दुर्गति होती है यह सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने रामराज्य स्थापना की बात की थी। उन्होंने अंतिम शब्द हे राम कहा था लेकिन गांधी से नेहरू आते-आते मदरसे खुल गए… नेहरू से इंदिरा गांधी के आते गौरक्षक संतों पर गोलियां चला दी गईं… इंदिरा से सोनिया गांधी के आते-आते राम भक्तों पर गोलियां चलाने वालों का समर्थन कर दिया गया। नरसिम्हा राव की सरकार आने पर बाबरी मस्जिद बनाने पर समझौता होने लगा और मनमोहन की सरकार के समय हलफनामा हो गया कि राम झूठे हैं।

इसके जवाब में आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा कि भाजपा के वह हलफनामा दिखाना चाहिए जिसमें केंद्र सरकार ने भगवान राम को काल्पनिक बताया हो। कांग्रेस पार्टी ने कभी भी नहीं कहा कि भगवान राम काल्पनिक हैं। प्रमोद कृष्णन ने बीजेपी प्रवक्ता से पूछा कि भगवान राम ने आपकी पार्टी की सदस्यता कब ले ली? क्या आपकी पार्टी के नेता राम से मिलने बैकुंठ गए थे।

प्रमोद कृष्णन ने सुधांशु से पूछा कि क्या अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हिंदू नहीं हैं? उन्होंने कहा कि अगर संसद से राम मंदिर बनाने का फैसला हुआ होता तो यह माना जाता कि बीजेपी ने राम मंदिर निर्माण के लिए कुछ किया है।

प्रमोद कृष्णन ने कहा कि भाजपा ने भगवान राम के नाम पर सरकार बनाई है। उनके नाम के जरिए ही सत्ता के सिंहासन पर दाखिल हुए। लेकिन पार्टी ने राम के नाम को बेचा है।