Bulandshahr Python Viral Video: उत्तर प्रदेश के बलुंदशहर से डराने वाला वीडियो वायरल हो रहा है। यहां बीते दिनों एक गांव में बच्चों के एक समूह ने 15 फीट लंबे भारतीय रॉक पाइथन (पायथन मोलुरस) को सड़क पर करीब 3 किलोमीटर तक घुमाया, सेल्फी ली, रील बनाई और लुप्तप्राय सरीसृप को खिलौने की तरह इस्तेमाल किया। फिर उसे जंगल में छोड़ दिया।
पुलिस या वन विभाग को सूचना नहीं दी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को वन अधिकारियों ने इस संबंध में जानकारी दी। बता दें कि शनिवार को हुई यह घटना सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने के बाद ही सामने आई। किसी ने पुलिस या वन विभाग को इसकी सूचना नहीं दी थी।
रिपोर्ट के अनुसार जहांगीराबाद कोतवाली के अंतर्गत डूंगरा जाट गांव के पास अजगर दिखाई दिया। 10 से 15 साल की उम्र के करीब एक दर्जन बच्चों और कुछ ग्रामीणों ने सांप को नंगे हाथों से उठाया और शेखपुर रौरा की गलियों में घुमाया। चार से पांच बच्चों ने इसे सिर, पेट और पूंछ से पकड़कर बुलंदशहर-अनूपशहर रोड पर घुमाया, जिससे बड़ी भीड़ जुट गई। असामान्य दृश्य के बावजूद, किसी वयस्क ने हस्तक्षेप नहीं किया।
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शेखपुर रौरा के ग्राम प्रधान रिंकू सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया से घटना की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “बच्चों द्वारा पकड़े जाने से पहले अजगर ने एक बंदर को निगल लिया था। यह एक विशालकाय सांप था, जिसकी लंबाई 15 फीट से भी ज़्यादा थी। उन्होंने इसे गांव से थोड़ी दूर जंगल में ज़िंदा छोड़ दिया।”
यहां देखें वायरल वीडियो –
यहां ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय रॉक अजगर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित है। बिना अनुमति के ऐसी प्रजातियों को संभालना दंडनीय अपराध है। वन अधिकारी अब घटनाओं की पुष्टि करने और इसमें शामिल लोगों की पहचान करने के लिए फुटेज की समीक्षा कर रहे हैं। उप-मंडल वन अधिकारी (एसडीओ) प्रियंका ने कहा कि विभाग को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।
उन्होंने कहा, “हमें ऑनलाइन वायरल हो रहे वीडियो के ज़रिए ही मामले के बारे में पता चला। मामले की जांच की जा रही है।” यूपी के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रंजन सिंह ने कहा, “यह एक भारतीय रॉक अजगर लगता है, जिसे आवास के नुकसान और शिकार के कारण खतरे वाली प्रजातियों में वर्गीकृत किया गया है।”
उन्होंने कहा, “यह 15 फीट से अधिक लंबा और लगभग 35-40 किलोग्राम वजन का हो सकता है। इनकी खाल से बने चमड़े के सामान काफी महंगे होते हैं, जिसके कारण इनका अवैध शिकार किया जाता है। 2020 से 30% से अधिक की आबादी में गिरावट के कारण वे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में हैं।”