उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कैराना और शामली पहुंचकर वहां दंगा पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। यह परिवार हिंसा से परेशान होकर पलायन करने पर मजबूर हो गए थे और अब वापस लौटे हैं। इसी मुद्दे पर न्यूज़ 18 इंडिया चैनल पर आयोजित टीवी डिबेट के दौरान बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा प्रमुख पर आरोपों की बौछार की।
बकौल त्रिपाठी, सपा नेता राजकुमार भाटी ने कहा था कि केंद्र सरकार ने एक व्यक्ति को यूपी का उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए भेजा था। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनने दिया। उन्होंने कहा कि भाटी ऐसी गोपनीय जानकारी कहां से लाते हैं, इसका किसी को पता नहीं है। त्रिपाठी ने सपा प्रवक्ता को याद दिलाया कि उनकी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपना एक मुख्य सचिव भी नहीं बना पाते थे।
राकेश त्रिपाठी ने कहा कि यह पूरे प्रदेश ने देखा था कि कैसे अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को पीडब्ल्यूडी मंत्रालय से बर्खास्त किया था। इनके परिवार की कलह सबने देखी थी। उन्होंने अखिलेश पर तंज कसते हुए कहा कि उनके पिता मुलायम सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बने रहने के लिए चुनाव आयोग तक जाना पड़ा था।
मुलायम सिंह यादव ने की बेटे अखिलेश से अपील- वापस लौटा दो सपा का अध्यक्ष पद
त्रिपाठी ने कहा कि अखिलेश ने अपने पिता को मंच से धक्का देकर निकाला था। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में किसी भी नेता ने अपने नेतृत्व पर सवाल उठाया हो तो मैं सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए तैयार हूं। प्राइवेट कंपनी की तरह चलने वाली पार्टियां भाजपा जैसा लोकतंत्र कायम नहीं कर सकती हैं।
डिबेट में मौजूद पीस पार्टी के नेता शादाब चौहान ने कहा, बीजेपी यूपी का चुनाव गरीब, बेरोजगारी और महिला की सुरक्षा पर लड़ने के लिए तैयार नहीं है। यही कारण है कि सीएम योगी आदित्यनाथ कैराना जाकर ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। बीजेपी 2013 की तरह उत्तर प्रदेश को नफरत की प्रयोगशाला बनाना चाहती है।
गौरतलब है कि 2016 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की किसी बात को लेकर बहस हो गई थी। जिसके बाद मुलायम सिंह यादव गुस्से में मंच छोड़कर चले गए थे। उस समय अखिलेश यादव भी गुस्से में अपनी गाड़ी पर बैठकर चले गए थे।