हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी देश भर में 14,500 स्कूलों को अपग्रेड करने की बात कही थी। साथ पीएम ने कहा था कि इन स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाया जाएगा। इनमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पूरी झलक समाहित होगी। अब दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि “पीएम मोदी जी ने 14,500 स्कूलों को अपग्रेड करने का ऐलान किया, जो कि बहुत अच्छा है। लेकिन देश में 10 लाख सरकारी स्कूल हैं इस तरह तो सारे स्कूल ठीक करने में सौ साल से ज़्यादा लग जाएंगे।
अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि आपने केवल 14,500 सरकारी स्कूलों को ठीक करने की योजना बनायी है। देश भर में दस लाख से ज्यादा सरकारी स्कूल है। ऐसे तो सारे सरकारी स्कूलों को ठीक करने में सौ साल से भी ज्यादा लग जाएंगे। तो क्या अगले सौ साल भी हम दूसरे देशों से पीछे रह जाएंगे? केजरीवाल ने पत्र में लिखा, “मेरा आपसे आग्रह है कि 14,500 की बजाय सारे दस लाख सरकारी स्कूलों को शानदार बनाने की योजना बनायी जाए। दिल्ली में हमने बहुत कम पैसों में सरकारी स्कूल बहुत शानदार बना दिए। राष्ट्र निर्माण के इस कार्य में हम पूरी तरह आपका सहयोग करेंगे।”
शलभमणि त्रिपाठी ने ऐसे दिया जवाब
केजरीवाल को जवाब देते हुए भाजपा विधायक शलभमणि त्रिपाठी ने ट्वीट किया, “यही फर्क है केजरीवाल जी, मोदी जी पाठशाला बनाने में जुटे हैं, और आप मधुशाला।” आशीष सूद ने लिखा कि ये वही अरविंद केजरीवाल जी हैं, जो कहते थे कि पूरे देश में टीकाकरण करने में 100 साल लग जाएंगे, आता –जाता कुछ नहीं है, घपले बाजी के सिवा और चले हैं पूरे देश की ज़िम्मेदारी उठाने।
अमित मिश्रा नाम के यूजर ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को राजनीति से ऊपर उठकर दिल्ली का शिक्षा मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहिए। देश भर में शानदार सरकारी स्कूल होने चाहिए ताकि गरीब से गरीब आदमी का बच्चा उसमें पढ़ लिख कर देश का नाम रोशन कर सके. शशांक शेखर झा नाम के यूजर ने लिखा कि पहले कहा कि देश में कोरोना के टीका लगने में 100 साल लग जाएंगे, अब विद्यालयों के बारे में भी वही विचार हैं। स्वयं का आकलन कब करोगे?
बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि “1947 में हमसे बहुत बड़ी गलती हुई। देश आज़ाद होते ही सबसे पहले हमें भारत के हर गांव और हर मोहल्ले में शानदार सरकारी स्कूल खोलने चाहिए थे। 1947 में हमने ऐसा नहीं किया। ज़्यादा दुःख की बात ये है कि अगले 25 साल भी हमने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने पर ध्यान नहीं दिया। क्या भारत अब और वक्त बर्बाद कर सकता है?”