दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आईआईटी खडगपुर के बेहतरीन छात्र रहे हैं, लेकिन उनका सपना बचपन से इंजीनियर बनने का नहीं था। एक प्रोग्राम में उन्होंने बताया कि वह बनना तो चाहते थे डॉक्टर पर एक सीनियर की सलाह के बाद उन्होंने अपनी राह आईआईटी की तरफ मोड़ ली। पढ़ाई इसके मुताबिक ही की और आईआईटी खडगपुर में सिलेक्ट हुए।

दिल्ली सरकार के प्रोग्राम देश के मेन्टर बनो में उन्होंने अपनी बीती जिंदगी के कुछ राज बयां किए। केजरीवाल ने बताया कि उनकी हसरत डॉक्टर बनने की थी। उस समय 10 वीं के बाद ही तय करना होता था कि मेडिकल लाइन में जाना है या फिर इंजीनियरिंग। वह मेडिकल के लिए खुद को तैयार कर रहे थे। उनके सीनियर थे अरविंद पांडेय। वह आईआईटी से इंजीनियरिंग कर रहे थे। उन्होंने ही केजरीवाल को इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

दिल्ली के सीएम ने बताया कि अरविंद पांडेय ने उनसे कहा कि अगर डॉक्टर बनना चाहते हो तो देश में केवल एम्स ही ऐसा संस्थान है जो सबसे अच्छा है। लेकिन वहां 30 सीटें ही होती हैं। अगर इंजीनियंरिंग की तरफ जाना चाहते हो तो देश में पांच आईआईटी हैं। उनमें तकरीबन डेढ़ हजार सीटें होती हैं। उनका आशय था कि 30 के बजाए डेढ़ हजार सीटों के लिए लड़ना सरल है। वहां एडमिशन एम्स की बजाए ज्यादा आसानी से हो सकता है और वह एक सफल इंजीनियर बन सकते हैं।

ध्यान रहे कि अरविंद केजरीवाल के पिता भी एक इंजीनियर थे। हरियाणा के हिसार जिले में जन्मे केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम किया। 1968 में जन्मे साल केजरीवाल ने 1992 में रेवेन्यु सर्विस में शामिल हुए। लेकिन 2006 में सरकारी नौकरी छोड़ दी। तब आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे। समाजसेवा के लिए उन्होंने बेहतरीन नौकरी को अलविदा कह दिया।

इसके बाद उन्होंने समाजसेवी अरुणा रॉय के साथ सामाजिक आंदोलन चलाया था। 2006 में उन्हें मैग्सेसे पुरस्कार दिया गया था। अन्ना हजारे के साथ सत्याग्रह करने के बाद उन्होंने 2012 में आम आदमी पार्टी की शुरुआत की थी। फिर चुनाव मैदान में उतरे और उसके बाद से लगातार दिल्ली के सीएम हैं। कभी डॉक्टर बनने की हसरत पालने वाले केजरीवाल आज एक सफल राजनीतिज्ञ माने जाते हैं।