समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) द्वारा रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। इस मुद्दे पर ही हाल में सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को हिंदू संगठनों ने काले झंडे दिखाए और उनके खिलाफ नारेबाजी की। इसको लेकर अखिलश यादव ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मैं सदन में योगी से सवाल करुंगा कि मैं शूद्र हूं या नहीं? अखिलेश के इस सवाल पर सोशल मीडिया यूज़र्स (Social Media Users) ने कई तरह के जवाब दिए हैं।
अखिलेश ने कही यह बात
अखिलेश यादव ने मीडिया से बात करते हुए आरएसएस और बीजेपी पर खूब कटाक्ष किये। उन्होंने कहा,”कल मैं मंदिर में दर्शन करने जा रहा था। क्या बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने वहां गुंडागर्दी नहीं की? अगर हमें पता होता कि चार-छः गुंडे आएंगे तो हम भी कार्यकर्ताओं के साथ अपनी तैयारी से जाते।” रामचरितमानस का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जी (योगी आदित्यनाथ) अगर योगी न होते … धार्मिक स्थान से न आए होते तो शायद यह सवाल मैं उनसे न पूछता लेकिन चूंकि वह योगी भी हैं और धार्मिक स्थान से उठकर सदन में आए हैं इसलिए मैं ये कहूंगा कि वो चौपाई एक बार हमें पढ़कर सुना दो। क्या आप पढ़कर सुना सकते हो मुझे बताओ? मैं मुख्यमंत्री जी से पूछने जा रहा हूं कि मैं शूद्र हूं कि नहीं हूं?”
स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी पर किये गए सवाल के जवाब में अखिलेश ने कहा,”मैं सीएम योगी से सदन में पूछूंगा। स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो बयान दिया है, क्या वह लिखे हुए दोहे या कहावतें पढ़ सकते हैं? अगर वह इसे सदन में पढ़ सकते हैं तो मैं जानना चाहूंगा कि ऐसा क्यों लिखा गया है।” राष्ट्रपति भवन में मुगल गार्डन का नाम बदलने पर अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां सुभान अल्लाह।
सपा प्रमुख के बयान पर लोगों के जवाब
@AnilKum32178832 नाम के एक यूजर ने लिखा,”वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित थी, उसका आज के जाति से कोई वास्ता नहीं था। एक ही घर में चार भाई ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हो सकते थे। आपस में कोई बैर नहीं था क्योंकि सबके कर्म श्रेष्ठ होते थे। आज भी बाल्मीकि जी को ऋषि कहते हैं, विश्वामित्र क्षत्रिय होकर ब्रह्म ऋषि थे।” @impradeep1393 नाम के एक यूजर ने कमेंट किया- जो वर्ण व्यवस्था कब का ख़ारिज हो चुकी है और अब संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार लोकतंत्र चल रहा है। उसमे अगर ये महाशय जान जायेंगे कि ये शूद्र है या नहीं तो उस से क्या हो जायेगा। ऐसे लोग जानता के हित,विकास और कल्याण की बात नहीं सोच सकते। बस इन्हें अपनी दुकान चलानी है, चाहे जैसे चले।
@MaharajRish नाम के एक यूजर ने लिखा- ज्यादा सवाल न करिये, जनता बताएगी कि आप क्या हैं, और योगी क्या हैं। थोड़े दिन और इन्तजार कर लीजिये। @Vikram_G_Singh नाम के एक यूजर ने अखिलेश से सवाल किया कि कुछ दिन पहले तो वो अपने आपको भगवान श्री कृष्ण के वंशज बता रहे थे। अब अचानक उन्हें अपने वंशावली के लिए योगी आदित्यनाथ से सर्टिफिकेट क्यों लेना पड़ रहा है? @DrRupani नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया- कुतर्क कर रहे हो अखिलेश बाबू। कुछ नहीं मिलेगा कुतर्क से।