यूक्रेन के रूस पर ड्रोन हमले की तकनीक आतंकवादियों के हाथ लगने की आशंका है, जिससे वैश्विक खतरा बढ़ सकता है। जानकारों का कहना है कि यूक्रेन-रूस युद्ध ने ड्रोन तकनीक को और अधिक सुलभ बना दिया है, जिससे चरमपंथी संगठनों के लिए इसका दुरुपयोग आसान हो सकता है। हालांकि इस मुद्दे पर कुछ विवाद है, क्योंकि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि वर्तमान जवाबी यूएएस प्रणालियां और कानूनी सीमाएं इस खतरे को कम करने में सक्षम हो सकती हैं।

यूक्रेन-रूस युद्ध ने ड्रोन तकनीक के विकास को तेज किया है, जिसमें उच्च गति वाले फर्स्ट-पर्सन व्यू (एफपीवी) ड्रोन और एआइ-सहायता प्राप्त निशाना साधने की प्रणालियां शामिल हैं। यह तकनीक अब चरमपंथी संगठनों के लिए अधिक सुलभ हो गई हंै, जैसे हिजबुल्लाह, हमास, और इस्लामिक स्टेट। हालांकि ये संगठन पहले भी ड्रोन का उपयोग कर चुके हैं।

अफ्रीका में, अल-शबाब और इस्लामिक स्टेट के संबद्ध संगठन, एफपीवी ड्रोन का उपयोग शुरू कर चुके हैं। वाणिज्यिक ड्रोन की प्रचुरता, उन्नत घटकों तक आसान पहुंच और आनलाइन रणनीतियों के साझा होने से यह खतरा और बढ़ गया है। हालांकि, वर्तमान काउंटर-यूएएस प्रणालियां उच्च गति वाले, फाइबर आप्टिक एफपीवी ड्रोन का पता लगाने के लिए जूझ रही हैं।

कांबेटिंग टेररिज्म सेंटर एट वेस्ट पाइंट की एक रपट के अनुसार, यह युद्ध बड़े पैमाने पर ड्रोन तैनाती को सामान्य बना रहा है, जिसमें समन्वित ड्रोन स्वार्म और चरणबद्ध हमले शामिल हैं। ऐतिहासिक रूप से, आतंकवादी संगठनों जैसे हिजबुल्लाह, हमास, और इस्लामिक स्टेट ने ड्रोन का उपयोग हमलों के लिए किया है। उदाहरण के लिए, 2016 के वसंत में इस्लामिक स्टेट ने मासिक 60-100 हवाई ड्रोन हमले किए, और 2017 की शुरुआत में मोसुल की पुन: प्राप्ति के दौरान 24 घंटे में 70 से अधिक ड्रोन हवा में थे। वर्तमान में, अफ्रीका में, जैसे अल-शबाब और इस्लामिक स्टेट के संबद्ध संगठन, एफपीवी ड्रोन का उपयोग शुरू कर चुके हैं। जनवरी 2025 में सोमालिया में नौ ड्रोन को मार गिराया गया, जो इस्लामिक स्टेट सोमालिया की ओर से उपयोग किए गए थे। नाइजीरिया में आइएसडब्लूएपी ने भी ड्रोन तैनात किए हैं।

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वाणिज्यिक ड्रोन की प्रचुरता और आनलाइन रणनीतियों के साझा होने से खतरा और बढ़ गया है। उदाहरण के लिए, अल-शबाब ने डीजेआइ मैट्रिक्स ड्रोन आयात किए हैं और सोमालिया में 2023 में एक व्यापारी को पांच उच्च विशिष्टता जेएस क्राप ड्रोन (10-लीटर तरल क्षमता) चीन से लाते हुए गिरफ्तार किया गया, जो अल-शबाब के लिए छिपाकर लाया गया था। इसके अलावा, हौथिस ने ईरानी समर्थन के साथ लंबी दूरी के ड्रोन विकसित किए हैं, जैसे समद-3 (1,500 किमी) और शाहेद 136 (2,500 किमी), जो संभावित रूप से अन्य आतंकी संगठनों को आपूर्ति किए जा सकते हैं।

ड्रोन तकनीक की निरंतर उन्नति, जैसे अधिक कुशल, लंबी दूरी तक उड़ने वाले और भारी विस्फोटक ले जाने वाले ड्रोन, लंबी दूरी के ड्रोन आतंकवाद की संभावना को बढ़ा रहे हैं। हौथिस के लंबी दूरी के हमले, जैसे कि समद-3 और शाहेद 136, इस खतरे के शुरुआती संकेत हैं। चीन और ईरान जैसे देशों और चरमपंथी संगठनों के बीच खरीदारी के लिए गठजोड़ जोखिम को और बढ़ाता है। इसलिए, यह स्पष्ट है कि यूक्रेनके ड्रोन हमलों की तकनीक आतंकवादियों के हाथ लगने का खतरा है, और यह वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है।

बदल गई जंग की तकनीकी चाल

यूक्रेनी सुरक्षा सेवाओं ने एक जून को रूसी सैन्य हवाई अड्डों पर बड़े पैमाने पर ड्रोन हमला किया, जो अग्रिम मोर्चे से हजारों किलोमीटर दूर थे। राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की ने कहा कि यह अब तक का यूक्रेन का सबसे लंबी दूरी का अभियान था। यूक्रेन ने दावा किया है कि इससे रूस को काफी नुकसान हुआ है। लेकिन अभी तक इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि करना असंभव है। यूक्रेन की एसबीयू सुरक्षा सेवा के एक सूत्र ने कहा कि समन्वित हमलों में 41 विमानों को निशाना बनाया गया, जिनका उपयोग यूक्रेनी शहरों पर बमबारी करने के लिए किया गया था। उन्होंने टीयू-95 और टीयू-22 सामरिक बमवर्षक विमानों और ए-50 रडार डिटेक्शन और कमांड विमानों का हवाला दिया। माना जाता है कि इनमें से 10 से भी कम विमान सेवा में हैं।

रूसी मिसाइलें यूक्रेनी वायु रक्षा के लिए एक विशेष समस्या उत्पन्न कर रही हैं। 24 मई की रात को दागी गईं नौ मिसाइलों में से यूक्रेन किसी को भी रोकने में विफल रहा। मिसाइलों की गति और गतिशीलता के कारण, उन्हें केवल अमेरिका निर्मित पैट्रियट या फ्रेंको-इतालवी एसएएमपी-टी प्रणालियों से दागी गई मिसाइलों से ही मार गिराया जा सकता है।

मई के अंत तक यूक्रेन के पास एसएएमपी-टी मिसाइलें खत्म हो गईं। कीव ने वाशिंगटन से और अधिक पैट्रियट मिसाइलों की मांग की। इस मांग पर विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका के पास अभी ये उपलब्ध नहीं हैं। अमेरिका ने अन्य देशों को यूक्रेन को अपनी पैट्रियट बैटरियां और मिसाइलें देने के लिए कहा है। 10 मई को, उसने जर्मनी को अपने स्वयं के भंडार से 100 वायु रक्षा मिसाइलें स्थानांतरित करने की हरी झंडी दे दी। वैसे जर्मनी ने यूक्रेन को सैन्य सहायता देने का बड़ा एलान किया है। जर्मन सरकार पांच अरब पाउंड की मदद देने जा रही है, जिसका इस्तेमाल लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास और निर्माण में किया जाएगा।

जर्मनी का कहना है कि रूस से निपटने के लिए यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों की आवश्यकता है और उनकी सरकार इसमें पूरी मदद देगी। हाल ही में ब्रिटेन ने कहा कि वह यूक्रेन को अप्रैल 2026 तक एक लाख ड्रोन देगा। यह सहायता पैकेज कुल 4.5 अरब पाउंड का होगा, जिसमें मुख्य ध्यान ड्रोन तकनीक पर रहेगा। इसके अलावा गोला-बारूद और अन्य सैन्य उपकरणों की आपूर्ति भी इसमें शामिल हैं।
ब्रिटेन का मानना है कि ड्रोन तकनीक ने युद्ध के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया है और इसने यूक्रेन को एक नई ताकत दी है। यही वजह है कि ब्रिटेन ने ड्रोन की आपूर्ति में 10 गुना तक बढ़ोतरी कर दी है।

पश्चिमी देशों की सामूहिक कोशिश यह संकेत देती है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में आधुनिक तकनीकी हथियारों की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा अहम हो चुकी है। पारंपरिक हथियारों के मुकाबले ड्रोन और मिसाइल जैसे आधुनिक उपकरण इस जंग को नए स्तर पर ले जा रहे हैं। रूसी रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि रूसी आर्कटिक क्षेत्र के मरमंस्क और पूर्वी साइबेरिया के इरकुत्स्क क्षेत्रों में स्थित सैन्य अड्डों पर ड्रोन हमले के बाद कई विमानों में आग लग गई। जेलेंस्की ने आपरेशन के शानदार परिणामों की सराहना की और इसे तीन साल से अधिक के युद्ध में सबसे लंबी दूरी का आपरेशन बताया। 117 ड्रोन का उपयोग करते हुए यूक्रेन अग्रिम मोर्चे से हजारों किलोमीटर दूर के क्षेत्रों तक पहुंचने में सक्षम हो गया, जबकि उसके हमले आमतौर पर उसकी सीमाओं के निकटवर्ती क्षेत्रों पर केंद्रित होते हैं।

यूक्रेन ने कहा कि उसने जिन दो हवाई ठिकानों ओलेन्या और बेलाया पर हमला किया, वे यूक्रेन से लगभग 1,900 किलोमीटर और 4,300 किलोमीटर दूर हैं। पहला रूसी आर्कटिक में स्थित है, जबकि दूसरा पूर्वी साइबेरिया में। रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने इवानोवो और रियाजान क्षेत्रों के साथ चीन की सीमा के पास अमूर में भी हमलों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया। नार्वेजियन रक्षा अकादमी में अंतरराष्ट्रीय संबंध और समकालीन इतिहास की प्रोफेसर कैटरीना जिस्क ने इस्तांबुल में दोनों देशों की वार्ता से पहले हमले के महत्त्व को बताया। जिस्क ने मास्को टाइम्स से कहा, यूक्रेन समझता है कि पुतिन को बातचीत को गंभीरता से लेने के लिए मजबूर करने का एकमात्र तरीका ताकतवर स्थिति ही है, जबकि उसके पास ऐसा करने के लिएकोई विकल्प नहीं है।

नाटिंघम विश्वविद्यालय में खुफिया एवं सुरक्षा अध्ययन के वरिष्ठ व्याख्याता डैन लोमास ने मास्को टाइम्स को बताया कि इन हमलों से रूसी सुरक्षा सेवाओं में भय का माहौल पैदा होगा। उन्होंने कहा, यूक्रेन की खुफिया एजंसियों के पास कौशल, दृढ़ संकल्प और सबसे महत्त्वपूर्ण बात, रूस पर हमला करने की क्षमता है।