राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) द्वारा आतंकवाद के आरोपों के आधार पर मुकदमा चलाया जाएगा। 26/11 के अन्य प्रमुख व्यक्ति जैसे लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, आतंकवादियों के संदिग्ध आइएसआइ हैंडलर मेजर इकबाल और आतंकवादियों के प्रशिक्षक साजिद मजीद उर्फ साजिद मीर पाकिस्तान में ही हैं।
तहव्वुर राणा को विशेष एनआइए और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी 26/11 की पहेली के गायब टुकड़ों को खोजने के लिए उससे पूछताछ करेंगे। 2011 में एनआइए ने राणा, उसके सहयोगी और हमलों के जासूस डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी तथा सात अन्य के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में आरोपपत्र दाखिल किया था।
किन धाराओं के तहत आरोप?
उन पर आपराधिक साजिश के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना), 18 (आतंकवादी कृत्य करने का प्रयास करना, या उसकी वकालत करना) और 20 (आतंकवादी समूह की सदस्यता) और भारतीय दंड संहिता, 1860 (आइपीसी) की धारा 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 121ए (121 के तहत अपराधों के लिए साजिश), 302 (हत्या), 468 (जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने की उम्मीद है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएसएस) के तहत आरोपों को अपडेट किए जाने की संभावना है। इनमें से कई आरोपों में मृत्युदंड का प्रावधान है।
एनआइए ने क्या आरोप लगाए?
एनआइए ने अपना आरोपपत्र एफबीआइ द्वारा उपलब्ध कराए गए ठोस साक्ष्यों और हेडली से पूछताछ के आधार पर तैयार किया। हेडली को राणा से ठीक पहले अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था और उसने 26/11 के हमलों में अपनी भूमिका के लिए दोषी होने की दलील दी थी। उसे अमेरिका में जेल की सजा सुनाई गई थी, उसकी दलील-सौदेबाजी की शर्तों में से एक यह थी कि उसे भारत प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा। हालांकि एनआइए जांचकर्ताओं को अमेरिका में हेडली तक पहुंच प्रदान की गई।
- एनआइए के आरोपपत्र के अनुसार, जून 2006 के आसपास, भारत की अपनी पहली यात्रा से पहले, हेडली शिकागो गया था और राणा के साथ पूरी साजिश पर चर्चा की थी और लश्कर द्वारा सौंपे गए कार्य को अंजाम देने के लिए राणा की आव्रजन फर्म का इस्तेमाल करने में सहायता ली थी। एनआइए ने कहा कि राणा ने हेडली को बहु-प्रवेश भारतीय वीजा दिलाने और उसकी कंपनी की मुंबई शाखा स्थापित करने में मदद की, हालांकि, कंपनी ने अपने पूरे संचालन के दौरान एक भी आव्रजन मामले का निपटारा नहीं किया।
- भारत में रहते हुए हेडली ने दिल्ली, मुंबई, जयपुर, पुष्कर, गोवा और पुणे में महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, होटलों, यहूदी प्रतिष्ठानों और हिंदू स्थलों की तलाशी ली। हमले से ठीक पहले 13 से 21 नवंबर 2008 तक राणा अपनी पत्नी के साथ भारत आया था। वे हापुड़, दिल्ली, आगरा, कोचीन, अहमदाबाद, मुंबई और अन्य स्थानों पर गए थे।
- एनआइए ने दावा किया कि राणा भारत में भविष्य के हमलों की योजना बनाने में भी शामिल था, और उसने मुंबई हमलों से पहले दुबई में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी अब्दुर रहमान से मुलाकात की थी। दोनों ने आतंकवादियों के कथित आइएसआइ संचालक और प्रमुख साजिशकर्ता मेजर इकबाल के साथ भी संपर्क बनाए रखा।
- राणा भारत की अपनी प्रत्येक यात्रा के दौरान हेडली के साथ फोन पर लगातार संपर्क में रहा – पहली यात्रा के दौरान 32 बार, दूसरी यात्रा के दौरान 23 बार, तीसरी यात्रा के दौरान 40 बार, पांचवीं यात्रा के दौरान 37 बार, छठी यात्रा के दौरान 33 बार तथा आठवीं यात्रा के दौरान 66 बार।
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कैसे हुआ राणा का प्रत्यर्पण कैसे हुआ?
राणा की 2009 में गिरफ्तारी के बाद, इलिनोइस के उत्तरी जिले के न्यायालय ने उस पर तीन मामलों में मुकदमा चलाया। भारत में आतंकवादियों को सहायता प्रदान करने की साजिश रचने (धारा 9), डेनमार्क में आतंकवादियों को सहायता प्रदान करने की साजिश (धारा 11)और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करना (धारा 12)।
- जूरी ने राणा को धारा 9 में बरी कर दिया, लेकिन 11 और 12 में उसे दोषी ठहराया। 7 जनवरी, 2013 को राणा को 168 महीने जेल की सजा सुनाई गई। 9 जून, 2020 को अदालत ने राणा की अनुकंपा रिहाई की याचिका स्वीकार कर ली और उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।
- 10 जून, 2020 को कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के मजिस्ट्रेट जज ने, जहां राणा अपनी सजा काट रहा था, उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए एक प्रोविजनल अरेस्ट वारंट पर हस्ताक्षर किए, ताकि वहां उस पर आरोप लगाए जा सकें। यह भारत की ओर से दिसंबर 2019 में किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर किया गया था।
- राणा ने दोहरे खतरे के आधार पर अपने प्रत्यर्पण का विरोध किया, जो एक प्रक्रियात्मक बचाव है जो किसी बरी या दोषी ठहराए जाने के बाद समान आरोपों पर फिर से मुकदमा चलाने से संरक्षण की मांग करता है। लेकिन 16 मई, 2023 को प्रत्यर्पण मजिस्ट्रेट न्यायाधीश ने राणा की दलीलों को इस आधार पर खारिज कर दिया कि भारतीय आरोपों में ऐसे तत्व हैं जो उन आरोपों से अलग थे, जिनके तहत राणा पर मुकदमा चलाया गया था और अंतत: शिकागो अदालत द्वारा उसे बरी कर दिया गया था।
- यह भी माना गया कि भारत ने इस बात का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सक्षम साक्ष्य प्रदान किए थे कि राणा ने आरोपित अपराध किए हैं।
- इसके बाद राणा ने कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के लिए यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। इसे भी 10 अगस्त, 2023 को खारिज कर दिया गया।
- राणा ने नौवें सर्किट के लिए अपील न्यायालय में जिला न्यायालय के आदेश के खिलाफअपील की। इसे भी खारिज कर दिया गया।
- राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की, जिसे इस साल 21 जनवरी को खारिज कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन आवेदन के माध्यम से अपने प्रत्यर्पण को रोकने के उसके अंतिम प्रयास को भी खारिज कर दिया गया।