आज अपने आसपास की दुनिया से बेखबर हम कई बार इतने गुम हो जाते हैं कि हमारे भीतर पलती गड़बड़ियों पर भी हमारा ध्यान नहीं जा पाता। मसलन, हर तरफ पसरे शोर के बीच कब हम अपने कान में नाहक गूंजती आवाज की अनदेखी कर देते हैं, हमें पता नहीं चलता। जबकि वह हमारी आम जिंदगी को बाधित करता है, किसी बड़ी गड़बड़ी का संकेतक हो सकता है।

कान में सांय-सांय या घूं-घूं या सीटी बजने जैसी आवाज उन्हीं में से एक है। शुरू में तो यह अनदेखी करने लायक लगता है, मगर धीरे-धीरे यह एक जटिल परेशानी बनने लगती है। इसे कुछ गंभीर बीमारियों का संकेत भी माना जाता है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अगर कानों में लगातार सीटी जैसी आवाज आने लगे तो यह एक बीमारी है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अगर इसका समय पर इलाज न कराया जाए तो इसके परेशान व्यक्ति अवसाद तक की स्थिति में पहुंच जा सकता है।

शुरुआती लक्षण

कान में ऐसी आवाज आने की स्थिति को टिनिटस की समस्या कहते हैं। ऐसी आवाज की मुख्य वजह कपाल ट्यूमर का विकास हो जाना हो सकता है। इसका चिकित्सीय नाम ध्वनिक न्यूरोमा सौम्य ट्यूमर है, जो कानों को दिमाग से जोड़ने वाली नसों में विकसित हो जाता है। जब रक्त का प्रवाह होता है, तब कान में कुछ बजने की आवाज सुनाई दे सकती है। कई बार उसमें संतुलन बिठाना मुश्किल होने लगता है। बाद इसकी वजह से सुनने की क्षमता में भी कमी आ जाती है। इसके असर सिर में भारीपन भी महसूस हो सकता है। इन्हें टिनिटस के शुरुआती लक्षणों के तौर पर देखा जा सकता है।

कान में अस्वाभाविक ध्वनि का मतलब ही यह है कि कान के पर्दे पर कुछ बुरा असर पड़ा है, उसकी वजह चाहे जो हो। अध्ययनों के मुताबिक हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लगभग पचास फीसद लोग टिनिटस का अनुभव करते हैं। अनदेखी या लापरवाही की वजह से अगर उसका इलाज न किया जाए तो उनकी सुनने की क्षमता कम या गायब हो जा सकती है।

खतरे के संकेतक

आजकल मोबाइल या अन्य श्रव्य यंत्रों से कुछ सुनने के लिए कान में इयरफोन जैसे यंत्र लंबे समय तक लगाए रखना टिनिटस जैसी समस्या के बड़े कारणों में से एक माना जाने लगा है। अल्कोहल के सेवन या धूम्रपान आदि से भी इसका जोखिम बढ़ सकता है। इसके अलावा, मोटा, हृदय से जुड़ी समस्याएं, उच्च रक्तचाप, आर्थराइटिस, सिर में चोट लगाना, सर्दी-जुकाम की दवा ज्यादा मात्रा में लेने आदि स्थितियों में भी कान में सीटी बजने जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए ऐसी स्थितियों में सावधानी बरतने की जरूरत है।

बचाव का रास्ता

सवाल है कि अगर इसकी चपेट में आ ही गए तो इससे निपटने के लिए क्या-क्या किया जाए? सबसे पहले अपने वजन को लेकर सतर्क होने की जरूरत है। ज्यादा वजन सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। स्वस्थ हृदय, संचार, शरीर की अन्य प्रणालियों को विनियमित करने के लिए संतुलित वजन होना जरूरी है। यों तो ऊंचे स्वर में गाना सुनना या टीवी देखना अच्छा नहीं माना जाता है, मगर यह सेहत पर भी असर डालता है।

इसके प्रभाव में टिनिटस का शिकार होने के बजाय बचने की जरूरत है, जिसके लिए कोई भी संगीत या रेडियो कार्यक्रम ईयरफोन में कम तीव्र ध्वनि में सुनना चाहिए। इससे सुनने की क्षमता एक सुरक्षित स्थिति में कायम रहती है। अगर किन्हीं हालात में तेज आवाज के आसपास रहना मजबूरी हो जाए तो कानों को सुरक्षा देने पर ध्यान देना जरूरी है। रोजमर्रा की बिखरी हुई आदतों के बजाय व्यायाम करने, शराब और सिगरेट-बीड़ी के सेवन से बजने और एक संगठित जीवन जीने की आदत डालने की जरूरत है।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)