पेप्टिक अल्सर पेट की भीतरी सतह पर बनने वाले छाले होते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर ये छाले जख्म में बदल जाते हैं। इसके बाद कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं। पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रिक अल्सर अमाशय या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में होता है। यह तब बनता है, जब भोजन पचाने वाला अम्ल अमाशय या आंत की दीवारों को नुकसान पहुंचाने लगता है। पेप्टिक अल्सर पेट में होता है। यह दो प्रकार का होता है, पहला गैस्ट्रिक अल्सर और दूसरा ड्यूडिनल अल्सर। अल्सर होने पर पेट दर्द, जलन, उल्टी और उसके साथ रक्तस्राव होने लगता है। कुछ समय बाद अल्सर के पकने पर यह फट भी जाता है।
क्यों होता है?
खानपान की गलत आदतों और उसके कारण बनने वाला अम्ल इस बीमारी को अधिक बढ़ा देता है। अनियमित दिनचर्या, खानपान की गलत आदतें और उसकी वजह से बनने वाला अम्ल अल्सर की प्रमुख वजह है। कई दर्द निवारकों और दवाओं की वजह से भी यह बीमारी हो जाती है। इसके अलावा तनाव भी अल्सर का बड़ा कारण है, क्योंकि इससे अम्ल ज्यादा बनता है।
सिर्फ खानपान और पेट में अम्ल बनने से पेप्टिक अल्सर नहीं होते, बल्कि हेलिकोबैक्टर पायलोरी जीवाणु भी इसका एक कारण है। इसके अलावा धूम्रपान भी अल्सर के खतरे को बढ़ा देता है। गैस्ट्रिक अल्सर में खाने के बाद पेट में दर्द होने लगता है। वहीं ड्यूडिनल अल्सर में खाली पेट रहने से दर्द होता है और भोजन करते ही दर्द ठीक हो जाता है।
लक्षण
पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द होना अल्सर का पहला लक्षण हो सकता है। भोजन के बाद जब पेट में दर्द हो और डाइजिन जैसी एंटी-एसिड दवाओं से राहत मिले, तो इसे गैस्ट्रिक अल्सर का लक्षण माना जाता है। ड्यूडिनल अल्सर में खाली पेट दर्द होता है और भोजन के बाद इससे राहत मिलती है। पेप्टिक अल्सर होने से मरीज को भूख कम लगती है। इसके अतिरिक्त पेट में दर्द, जलन, उल्टी या मिचली आती है। कई बार उल्टियों में खून भी आता है। अल्सर के पकने पर काले रंग का मल होने लगता है।
इलाज
पेप्टिक अल्सर में अम्ल कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। मरीज को ये औषधियां चिकित्सक के परामर्श के बताए परहेज के साथ लेनी चाहिए। अगर अल्सर बढ़ जाता है तो आपरेशन ही हल है। अगर यह अल्सर कैंसर में तब्दील हो गया है, तो मरीज की कीमोथैरेपी की जाती है। अगर समय पर उपचार न हो तो अल्सर, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का रूप ले सकता है। जिसके कारण जान जा सकती है। इसके अलावा कई घरेलू उपाय भी हैं, जिन्हें अपनाकर फायदा मिलता है। लेकिन, विशेषज्ञ परामर्श सबसे जरूरी है। तनावमुक्त रहने की कोशिश करें तथा व्यायाम को जिंदगी का हिस्सा बनाएं। दर्द या बुखार होने पर ज्यादा दवाओं का सेवन न करें।
इनसे बचें
मिर्च-मसालेदार एवं गारिष्ठ खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। खाना आराम से और समय पर खाएं। अल्सर होने के बाद चाय, काफी, शीत पेय पदार्थ, जंक फूड एकदम छोड़ दें। धूम्रपान से परहेज करें।
विशेषज्ञों की राय
चिकित्सकों का मानना है कि गलत खानपान और गैस्ट्रिक समस्या के कारण होने वाली इस बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए। पेप्टिक अल्सर से कैंसर का खतरा नहीं होता, लेकिन गैस्ट्रिक अल्सर से हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते इसका इलाज करा लिया जाए। जल्दी पता चलने पर एसिड की दवाओं से इसे ठीक कर दिया जाता है। अल्सर के पकने पर आपरेशन कर दिया जाता है। खानपान का ध्यान रखना चाहिए। पेट खाली न रहे। दर्द निवारक दवाओं का सेवन चिकित्सक के परामर्श से लें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)