इस मौसम में ऐसी चीजें मिलती भी भरपूर हैं। इसलिए किसी न किसी रूप में उन्हें अपने भोजन में शामिल जरूर करना चाहिए। इनसे खाने-पीने का आनंद तो बढ़ता ही है, शरीर को शक्ति भी मिलती है।
हल्दी की चटनी
ह तो आप सब जानते हैं कि हल्दी का उपयोग भोजन में क्यों महत्त्वपूर्ण है। हल्दी न केवल भोजन का रंग बेहतर बनाती है, बल्कि यह सर्वोत्तम औषधि भी है। दर्दनाशक, विषाणु नाशक, शरीर के भीतर के जहर का शमन करने वाली औषधि। पाचनतंत्र को दुरुस्त करने में हल्दी बहुत मदद करती है। अच्छी बात यह कि कच्ची हल्दी सर्दी-जुकाम के प्रकोप से बचाती है, शरीर को गरम रखती है। हल्दी पाउडर का इस्तेमाल तो सब्जियों में सभी करते हैं, मगर कम लोगों को पता होगा कि कच्ची हल्दी पाउडर की अपेक्षा अधिक गुणकारी होती है।
इस मौसम में कच्ची हल्दी खूब मिलती है। इसका स्वाद भी पाउडर वाली हल्दी से कहीं बेहतर होता है। सबसे अच्छी बात कि कच्ची हल्दी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बहुत तेजी से बढ़ाती है। इसलिए रात को गरम दूध में अगर कच्ची हल्दी घिस कर पीएं, तो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं दूर हो जाती हैं। कच्ची हल्दी का अचार और चटनी के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।
कच्ची हल्दी की चटनी बनाना बहुत आसान है। इसे बना कर जार में भर कर रख दें और जब भी भोजन करें, एक छोटा चम्मच लेकर खा लें। इस तरह भोजन का स्वाद भी बढ़ेगा और शरीर को ताकत भी मिलेगी। अलग से और बार-बार हल्दी घिसने की झंझट से मुक्ति मिलेगी। बहुत सारे लोग इसलिए कच्ची हल्दी का उपयोग करने से बचते हैं कि इसे घिसने से हाथ में उसका रंग लग जाता है और जल्दी छूटता नहीं। ऐसे में अगर चटनी बना कर रख लें, तो बार-बार हल्दी घिसने की झंझट से भी मुक्ति मिल जाती है।
हल्दी की चटनी बनाने के लिए ढाई सौ ग्राम ताजा कच्ची हल्दी लें। धोकर साफ कर लें। अब हाथ में प्लास्टिक के दस्ताने पहनें या प्लास्टिक लपेट लें और चाकू की मदद से सारी हल्दी का छिलका उतार कर मोटे कद्दूकस पर घिस लें। चटनी बनाने में यही सबसे झंझट वाला काम लगता है। घिस लेने के बाद कोई झंझट नहीं। कड़ाही में दो चम्मच घी गरम करें। उसमें एक चम्मच अजवाइन, एक साबुत लाल मिर्च, एक छोटा चम्मच सौंफ, एक छोटा चम्मच साबुत धनिया, आधा चम्मत मंगरैल यानी अनियन सीड्स और थोड़ा हींग पाउडर डालें। तड़का तैयार हो जाए, तो उसमें घिसी हुई हल्दी को छौंक दें।
आंच धीमी कर दें। अच्छी तरह चलाने के बाद उसमें आधा छोटी चम्मच नमक और एक चम्मच कुटी लाल मिर्च डाल कर अच्छी तरह चला लें और फिर ढक्कन लगा कर छोड़ दें। पांच से सात मिनट पकने दें। इस तरह हल्दी पक कर नरम हो जाएगी। अब इसमें डेढ़ से दो सौ ग्राम कद्दूकस किया हुआ गुड़ या खांड़ डालें, अच्छी तरह मिलाएं और फिर पांच मिनट के लिए ढंक कर छोड़ दें।
पांच से सात मिनट बाद आंच बंद कर दें। चटनी तैयार है। सारे मसाले उसे घुल-मिल चुके हैं। ध्यान दें कि इसमें हल्दी के अलावा कितने तरह के स्वास्थ्यवर्धक मसाले मिले हुए हैं। इन्हें खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बहुत तेजी से बढ़ती है। बच्चों और बुजुर्ग लोगों को तो यह चटनी हर वक्त भोजन में शामिल करनी चाहिए। इस चटनी को ठंडा होने के बाद जार में भर कर रख दें जब खाएं, तब निकाल लिया करें।
अमरूद की चटनी
कच्ची हल्दी की तरह इस मौसम में अमरूद खाना भी बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में अमरूद को अमृत कहा गया है। कुछ लोग तो अमरूद शब्द को अमृत शब्द से घिस कर बना हुआ मानते हैं। सर्दी का अमरूद पाचन शक्ति, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता, रक्त शुद्धि आदि में बहुत कारगर औषधि माना जाता है। इस मौसम में अमरूद का स्वाद होता भी लाजवाब है। यों तो लोग फल की तरह अमरूद खाते ही हैं, पर चटनी के रूप में इसका इस्तेमाल कम ही लोग करते हैं।
अगर इसकी चटनी बनाएं तो कई फायदे मिलते हैं। एक तो जिन लोगों को इसके बीज से परेशानी होती है, वे भी इसे खा सकेंगे। दूसरे, चटनी में हरा धनिया और कुछ और मसाले पड़ते हैं, वे इसके गुणों को और बढ़ा देते हैं। वैसे भोजन के साथ इसलिए भी चटनी अवश्य शामिल करनी चाहिए कि इससे खासकर कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम जैसे तत्त्व सीधे प्राप्त हो जाते हैं। भोजन का आनंद तो बढ़ ही जाता है।
अमरूद की चटनी बनाना भी बहुत आसान है। इसके लिए नरम हरे अमरूद लें। पीले और पिलपिले अमरूद का इस्तेमाल चटनी के लिए कभी न करें। अमरूद को धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इसमें डालने के लिए थोड़ा हरा धनिया, एक चम्मच सौंफ, आधा छोटा चम्मच जीरा, आधा चम्मच अजवाइन, एक से डेढ़ चम्मच सफेद तड़काई हुई तिल, कुछ हरी मिर्चें, आठ-दस लहसुन की कलियां ले लें। सफेद तिल को पहले गरम तवे पर थोड़ी देर रख दें और फिर जब वे चटक जाएं, तो इस्तेमाल करें। ध्यान रखें कि इन्हें भूनना नहीं है। इस तरह स्वाद अच्छा आता है।
इन सारी चीजों को मिक्सर में डालें, चार-पांच बर्फ के टुकड़े और आधा मुट्ठी बेसन की भुजिया डाल कर अच्छी तरह पीस लें। बर्फ के टुकड़े डालने से चटनी बाद में काली नहीं पड़ती, उसका हरापन बना रहता है। बेसन की भुजिया डालने से चटनी में से पानी नहीं निकलता, वह उसे सोख लेती और गाढ़ापन बनाए रखती है।
अमरूद की यह चटनी खाने में मजेदार और सेहत के लिए अत्यंत गुणकारी है। इसे सब्जी की जगह भी खाया जा सकता है। ब्रेड पर फैला कर बच्चों के लिए सैंडविच बना कर दें, वे बड़े मन से खाएंगे।