मानस मनोहर

थालीपीठ
थालीपीठ महाराष्ट्र का लोकप्रिय व्यंजन है। यह स्वाद और सेहत से भरपूर होता है। इसे नाश्ते या मुख्य भोजन के तौर पर भी खाया जा सकता है। यह विभिन्न अनाजों और दालों के आटे और सब्जियों को मिला कर बनाया जाता है। थालीपीठ बनाना बहुत ही आसान है। महाराष्ट्र में इसका आटा भाजनी आटा के नाम से दुकानों पर आसानी से मिल जाता है। पर जहां यह आटा नहीं मिलता, वहां घर पर बहुत सहजता से तैयार किया जा सकता है। इसके स्वाद का राज इसके आटे में होता है। इसलिए चलिए सबसे पहले इसका आटा तैयार करते हैं।

थालीपीठ या भाजनी आटा तैयार करने के लिए एक कप चावल, एक कप बाजरा, एक कप ज्वार, एक कप गेहूं, एक कप चने की दाल, एक कप मूंग की दाल, एक कप मोठ और एक कप उड़द की दाल लें, साथ में एक चम्मच साबुत धनिया और एक चम्मच जीरा भी ले लें। अब इन सबको अलग-अलग कड़ाही में सुगंध आने तक भून लें। ध्यान रखें, ये अनाज और मसाले जलने न पाएं, बस सुनहरा हो जाएं। इन सबको हल्का ठंडा होने पर एक साथ मिक्सर में दरदरा पीस लें। थालीपीठ आटा तैयार है। देखिए, इसमें कितने तरह के पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं।

अब थालीपीठ के आटे में आप प्याज और लहसुन को बारीक काट कर डालें। इसके अलावा मटर, बीन्स, पत्ता गोभी, हरा प्याज, धनिया पत्ता, हरी मिर्च वगैरह भी अपने स्वाद के अनुसार डाल सकते हैं। वैसे बिना हरी सब्जियों के भी इसे बनाया जा सकता है। अब आटे में नमक डाल कर गरम पानी से गूंथ लें। तवा गरम करें।

थालीपीठ आटे की छोटी-छोटी लोइयां बनाते हुए उन्हें हथेलियों पर हाथ से फैलाते हुए मोटी रोटी की शक्ल दें और तवे पर डाल दें। चाहें तो चकले पर प्लास्टिक शीट बिछा कर भी इसे रोटी का आकार दे सकते हैं। थालीपीठ के बीच में अंगुली से छेद कर दें। अब हल्का देसी घी डालते हुए मद्धिम आंच पर पलटते हुए कुरकुरा होने तक पकाएं। थोड़ा घी थालीपीठ में किए हुए छेद में भी डाल दें, इससे अच्छा कुरकुरापन आ जाता है।

चटनी
थालीपीठ को लहसुन-मूंगफली की चटनी, रायता और अचार के साथ खाना बहुत स्वादिष्ट होता है। थालीपीठ के साथ खाने के लिए कच्ची मूंगफली के दाने लें। मूंगफली की आधी मात्रा में लहसुन लें। इतनी ही मात्रा में हरी मिर्चें लें। मूंगफली को खरल में कूट कर उसके छिलके उतार लें। ऊपर से लहसुन और हरी मिर्चें डालें और नमक डाल कर सबको एक साथ कूट लें। चटनी तैयार है।

दाल ढोलकी
दाल ढोकली मुख्य रूप से गुजरात में खाया जाने वाला व्यंजन है। पर इससे मिलता-जुलता व्यंजन उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी बनाया और खाया जाता है। दाल-पिट्ठी। इसके बारे में हम पहले बात कर चुके हैं। दाल पिट्ठी और ढोकली पकाने का तरीका लगभग समान है। दाल ढोकली अपने आप में संपूर्ण आहार है। अगर इसे रोटी के साथ खाना चाहें तो उस रूप में भी उपयोग कर सकते हैं। दाल ढोकली बनाना बहुत आसान है। इसके लिए अरहर यानी तुअर की दाल, थोड़ी-सी मूंगफली, आटा, बेसन, नमक, चीनी और कुछ खड़े और पिसे मसालों की जरूरत होती है।

आधा कप अरहर की दाल को धोकर कुछ देर के लिए भिगो दें। फिर एक बड़े कुकर में तीन-चार कप पानी और भिगोई हुई दाल डालें। उसमें थोड़ा-सा हल्दी पाउडर, थोड़ा-सा हींग और नमक डालें। अब एक कटोरी में दो चम्मच मूंगफली के साबुत दाने लें और कुकर में दाल के ऊपर रख दें। कुकर का ढक्कन लगा कर धीमी आंच पर दाल को दो से तीन सीटी तक पकने दें।

इस बीच आधा कप गेहूं का आटा लें, उसमें दो चम्मच बेसन मिलाएं और ऊपर से थोड़ा-सा हल्दी पाउडर, नमक, एक छोटा चम्मच अजवाइन और एक चम्मच खाने का तेल डाल कर थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए परांठे के आटे जैसा गूंथ लीजिए। गुंथे हुए आटे को गीले कपड़े से ढक कर दस से पंद्रह मिनट के लिए रख दीजिए।

कुकर को खोल कर मूंगफली वाली कटोरी को बाहर निकाल लीजिए और उबली हुई दाल को मथानी या ब्लेंडर से मथ लीजिए। अब कड़ाही में एक चम्मच देसी घी गरम कीजिए। उसमें राई, जीरा और लाल मिर्च का तड़का दीजिए। तड़का तैयार हो जाए तो उसमें एक चम्मच धनिया पाउडर और चाहें तो थोड़ी-सी कुटी हुई लाल मिर्च भी डाल दें।

फिर मथी हुई दाल और मूंगफली के दाने डाल दीजिए। इसमें थोड़ा और पानी मिला लें और एक से डेढ़ चम्मच चीनी डाल कर मद्धिम आंच पर दाल को पकने दीजिए। अब गुंथे हुए आटे की छोटी-छोटी लोइयां बना कर रोटी की तरह बेल लें। इन रोटियों को बरफी के आकार में छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। ये ढोकली हैं। दाल उबलनी शुरू हो जाए तो एक-एक रोटी के कटे हुए टुकड़ों को डालते जाएं। टुकड़ों को डालते समय दाल को चलाते रहें, ताकि ढोकली आपस में चिपकने न पाए। फिर जब ढोकली पक जाएं और दाल गाढ़ी हो जाए तो आंच बंद कर दें।

बारीक कटे धनिया पत्ता से सजा कर दाल ढोकली परोसें। स्वादिष्ट, सुपाच्य दाल ढोकली चाहें तो नाश्ते में खाएं या दोपहर या रात के भोजन के रूप में, आनंद भरपूर आएगा।