मानस मनोहर

सत्तू के परांठे
परांठे तो कई तरह के खाए जाते हैं, पर सत्तू के परांठे की बात ही अलग होती है। सत्तू की खास बात यह है कि आयुर्वेद के मुताबिक यह न सिर्फ पाचन को सही रखता है, बल्कि कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने में भी मदद करता है। जिन लोगों को बहुमूत्र की शिकायत है, सर्दी के मौसम में बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है, उन्हें सत्तू इस परेशानी से राहत देता है। फिर इसमें लौह तत्त्व तो भरपूर होता ही है।

इसके इस्तेमाल से रोजमर्रा के खानपान में कुछ स्वाद भी बदल जाता है। यों सत्तू का इस्तेमाल बाटी बनाने में ज्यादा किया जाता है, मगर इसके परांठे भी लाजवाब बनते हैं। सत्तू के परांठे के साथ आलू की तरीदार सब्जी का मेल अच्छा रहता है। जैसे पूड़ी-कचौड़ी के साथ तरीदार सब्जी बनाते हैं, वैसी ही सब्जी इसके साथ भी बनाएं।

सत्तू के परांठे बनाने के लिए सारी मेहनत इसका मसाला तैयार करने में होती है। मसाला यानी परांठे का भरावन। आजकल सत्तू हर कहीं बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। अगर उपलब्ध न हो तो बिना छिलके वाले भुने चने ले लें और उसे पीस कर सत्तू बना लें। अब इसमें डालने के लिए एक बिल्कुल बारीक कटे प्याज, सात-आठ कलियां लहसुन की, दो से तीन इंच अदरक की और भरपूर हरे धनिया की जरूरत पड़ेगी।

इसके अलावा अजवाइन और मंगरैल की आधा छोटे चम्मच बराबर अलग-अलग मात्राएं लेकर डाल लें। जरूरत भर का नमक डालें और दो नीबू निचोड़ कर उसका रस मिलाए। सत्तू के भरावन में कच्चे सरसों के तेल का मेल बेजोड़ होता है। इसलिए दो से तीन खाने के चम्मच बराबर सरसों का तेल डाल सकते हैं। इन सारी चीजों को हथेलियों के बीच रख कर अच्छी तरह देर तक रगड़ते हुए मिलाएं। सामग्री को मुट्ठी में बंद करके देखें, अगर उसकी मुठियां बन रही है, तो भरावन अच्छी तरह तैयार है। नमक चख कर देख लें, कम हो तो और डाल लें।

गुंथे हुए आटे की लोइयां तोड़ें और दोनों हाथों के अंगूठों की मदद से कटोरीनुमा आकार दें और उसमें सत्तू की भरावन भर कर सावधानी से बंद कर दें। ध्यान रहे कि परांठा बेलते समय फट सकता है, इसलिए भरावन भरते समय सावधानी बरतें। फिर चौकी पर रख कर पहले हल्के हाथों से दबा कर फैला लें, फिर बेलन से सावधानी से बेलते हुए फैलाएं। गरम तवे पर डालें और दोनों तरफ घी लगा कर पलटते हुए पकाएं। सत्तू के परांठे का स्वाद बाटी और घाठी से बिल्कुल अलग मिलेगा। इसे हरी चटनी और आलू की तरीदार सब्जी के साथ परोसें। साथ में कोई रायता भी ले सकते हैं।

मेथी मशरूम मलाई
आजकल मेथी का मौसम है। मेथी के परांठे और सब्जियां तो खाते ही रहते हैं, मशरूम और मलाई के साथ इसकी सब्जी बना कर खाएं, अलग आनंद आएगा। मेथी के गुणों से तो आप परिचित ही हैं। खासकर मधुमेह के रोगियों के लिए यह बहुत मुफीद सब्जी होती है। सर्दी में पाचन को दुरुस्त रखने और रक्तचाप संतुलित बनाए रखने में भी मदद करती है। पहले मेथी के पत्तों को डंठल से अलग करके अच्छी तरह धो लीजिए। फिर मोटा-मोटा काट लीजिए। इसी तरह मशरूम को गुनगुने पानी में थोड़ी देर रख कर साफ कर लीजिए और फिर दो हिस्सों में काट लीजिए। इसके साथ पनीर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अपनी इच्छा के अनुसार पनीर की मात्रा तय कर सकते हैं।

इसमें डालने के लिए दूध की उतारी एक से डेढ़ कटोरी मलाई की जरूरत पड़ेगी। बाजार की मलाई भी ले सकते हैं। जब हम मलाई का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो प्याज का उपयोग नहीं करेंगे। इसलिए दो मध्यम आकार के टमाटर पीस कर ग्रेवी बना लें। पांच-छह लहसुन की कलियां और दो इंच अदरक को बारीक-बारीक काट लीजिए।

अब एक कड़ाही में दो बड़े चम्मच तेल गरम करें। उसमें पहले मशरूम डाल कर दो से तीन मिनट तक चलाते हुए पकाएं, फिर निकाल कर बाहर रख दें। इसी तरह कटी हुई मेथी डालें और उसे सिकुड़ने तक दो से तीन मिनट पकाने के बाद बाहर निकाल कर मशरूम के साथ ही रख दें। फिर उसी कड़ाही में एक चम्मच तेल और गरम करें, उसमें जीरा, लहसुन, अदरक और एक बारीक कटी हरी मिर्च का तड़का लगाएं और पिसा हुआ टमाटर डाल कर तेल छोड़ने तक पकाएं।

अब इसमें जरूरत भर का नमक, चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर और एक छोटा चम्मच गरम मसाला डाल कर भून लें। फिर मलाई डालें और एक बार चलाने के बाद सारी सब्जियों को डाल दें। अच्छी तरह मिलाएं और आंच मध्यम करके कड़ाही पर ढक्कन लगा दें। सात-आठ मिनट पकने दें। मेथी मशरूम मलाई तैयार है।

इसे अगर और लज्जतदार बनाना चाहते हैं, तो एक चम्मच कसूरी मेथी को दोनों हथेलियों पर रगड़ कर डालें और अच्छी तरह मिला दें। अगर जरूरत समझें तो दो हरी मिर्चें भी बीच से फाड़ कर डाल सकते हैं। इसे परांठे या रोटी, जिसके साथ खाना चाहें, खाएं और सर्दी का आनंद लें।