मानस मनोहर
मुंगौड़ी लबाबदार
गौड़ी या मंगौड़ी मूंगदाल से बनी वड़ियों को कहते हैं। यों दूसरी दालों के बनने वाली वड़ियों को भी आम चलन में मुंगौड़ी बोल दिया जाता है। वड़ियां हमारे देश के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग प्रकार से बनती हैं। खाई लगभग पूरे देश में हैं। इसकी विधि लोगों ने इसलिए विकसित की थी कि जिस मौसम में कोई सब्जी न उपलब्ध हो, उसमें वड़ियों का उपयोग कर सालन बनाया जा सके।
सोयाबीन, उड़द दाल, चना दाल आदि से वड़ियां बनाई जाती हैं। उड़द दाल की वड़ियां आमतौर पर मसालेदार बनती हैं। उनमें खूब मिर्च, मसाला पड़ा होता है। मगर मुंगौड़ी मूल रूप से मूंगदाल से बनती है और उसमें किसी प्रकार के मसाले का उपयोग नहीं होता। इस तरह तीखा और मसालेदार चीजों से परहेज करने वाले लोग भी इसे खा सकते हैं। जैसा कि हमें इसमें लहसुन-प्याज टमाटर का इस्तेमाल नहीं करना है, मुंगौड़ी बनाने के लिए बहुत तैयारियां करने की जरूरत नहीं होती। इसके लिए कुछ खड़े और कुछ पिसे मसालों की जरूरत होती है। थोड़ी-सी कुटी अदरक भी।
मुंगौड़ी बनाने के लिए एक कुकर में दो-तीन चम्मच तेल गरम करें। उसमें जीरा, सौंफ और अजवाइन का तड़का दें। तड़के में दो चुटकी हींग भी डाल दें। फिर कुटी हुई अदरक डाल कर पांच-सात सेकंड के लिए भूनें और फिर मुंगौड़ियों को डाल कर अच्छी तरह सेंक लें। ध्यान रखें कि मुगौड़ियां जलने न पाएं। आंच धीमी रखें और उन्हें चलाते रहें। जब मुंगौड़ियां सिंक जाएं, तो उसमें एक चम्मच कुटी लाल मिर्च, एक चम्मच धनिया पाउडर, आधा चम्मच हल्दी पाउडर और एक चम्मच सब्जी मसाला डाल कर चलाएं और एक से डेढ़ गिलास पानी और जरूरत भर नमक डाल कर कुकर का ढक्कन लगा दें। मध्यम आंच पर पांच से सात मिनट तक पकने दें।
इस बीच दो सीटी आ जाएंगी। इतना पकाना पर्याप्त है। वड़ियां नरम हो चुकी होंगी। जब कुकर की भाप शांत हो जाए, तो ढक्कन खोलें और उसमें मूंग दाल के दो कच्चे पापड़ छोटे-छोटे टुकड़े करके डाल दें और अच्छी तरह मिला कर एक बार फिर ढक्कन लगा दें। सब्जी की गरमी से ही पापड़ पक जाएंगे। बिना लहसुन-प्याज वाली मुंगौड़ी की सब्जी तैयार है। इसे रोटी, परांठे या चावल किसी के भी साथ खा सकते हैं। यह राजस्थान की बहुत लोकप्रिय सब्जी है।
अगर आपको केवल मुंगौड़ी की सब्जी पसंद नहीं है, तो इसमें हरे वाले दो-तीन बैगन भी काट कर डाल सकते हैं। जब वड़ियां भुन जाएं तब कटे हुए बैगन डालें और थोड़ा चलाने के बाद कुकर का ढक्कन लगा दें। बैगन गल कर वड़ियों की ग्रेवी को गाढ़ा कर देंगे और उनका स्वाद और बढ़ जाएगा।
परवल का चोखा
रवल का चोखा बनाना बहुत आसान है। इसके लिए बहुत कौशल की जरूरत नहीं होती। बता दें कि चोखा का चलन पशु चराने वालों और गाड़ीवानों ने विकसित किया था। वे चूंकि लंबे समय तक घर से बाहर रहते थे और भोजन पकाने के लिए उनके पास बर्तन आदि की सुविधा होती नहीं थी, इसलिए वे आलू और दूसरी सब्जियों को आग में पका कर नमक, मिर्च वगैरह डाल कर मसल लिया करते थे। ऐसे खाद्य केवल भारत में नहीं, दुनिया के तमाम देशों में प्रचलित हैं, जिन्हें चरवाहों, गाड़ीवानों आदि ने विकसित किया था। आजकल बाजार में शाही तुरंता खाद्य की तरह बिकने वाला पिज्जा को भी उसी श्रेणी में आता है।
खैर, परवल का चोखा बनाने का पारंपरिक तरीका तो यह है कि परवल को धीमी आग पर भून लिया जाए। अगर ऐसा कर पाएं, तो स्वाद निराला होगा। पर इसकी सुविधा नहीं है, तो भी चिंता की बात नहीं। छह से आठ बड़े आकार के परवल लें। चाकू से रगड़ कर उसकी ऊपरी परत को अच्छी तरह घिस लें और दोनों सिरों को काट कर अलग कर दें। अच्छी तरह धोएं और फोर्क यानी कांटेदार चम्मच या चाकू की नोक से चार-पांच जगह छेद कर दें। अब दो बड़े आकार के टमाटर लें और उन्हें भी धोकर साफ कर लें।
इसके साथ ही आठ से दस लहसुन की कलियां और तीन-चार हरी मिर्च लें। एक बड़े कुकर या ढक्कन वाली कड़ाही में एक-दो चम्मच सरसों का तेल गरम करें और परवल, टमाटर, लहसुन और हरी मिर्च को डाल कर ढक्कन लगा दें। मध्यम आंच पर कम से कम पंद्रह मिनट तक पकने दें। आप देखें कि परवल में लहसुन और मिर्च की गंध रच-बस जाएगी। अगर आग पर भून रहे हैं तो लहसुन की कलियों को परवल के दोनों सिरों पर छेद करके अंदर डाल सकते हैं। टमाटर को भी भूनना है।
अब चोखे के लिए बाकी तैयारी कर लें। एक मध्यम आकार का प्याज, थोड़ा अदरक, धनिया पत्ता और एक-दो हरी मिर्चें बारीक-बारीक काट कर अलग रख लें। पके हुए परवल और बाकी चीजों को बाहर निकालें। थोड़ा ठंडा होने दें। पके हुए लहसुन और मिर्च को खरल यानी कुंडी में डाल कर मसल लें। फिर परवलों को चम्मच से छोटे-छोटे टुकड़े करें और इसी खरल में डाल कर मसल लें।
फिर टमाटर का छिलका उतारें और उन्हें भी मसल लें। इन सारी चीजों को एक बड़े कटोरे में डाल कर मिलाएं। ऊपर से कुकर में बचा हुआ तेल समेत रस डालें। जरूरत भर का नमक, कटी हुई सारी सामग्री, आधा चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच मंगरैल और दो चम्मच कच्चा सरसों तेल डालें। सारी चीजों को अच्छी तरह मिलाएं। परवल का चोखा तैयार है। इसे दाल-चावल, रोटी के साथ भी खा सकते हैं, पर इसका मेल सत्तू भरे परांठे या लिट्टी के साथ बेजोड़ होता है।