मानस मनोहर

पत्तेदार गांठ गोभी

फूल गोभी और पत्ता गोभी तो आमतौर पर घरों में बनती है। ब्रोकली खाने का चलन भी इधर के कुछ सालों में खूब बढ़ा है। मगर गांठ गोभी कम ही लोग पसंद करते हैं। जो लोग इसे बनाते भी हैं, वे इसे खूब मसालेदार बना कर खाते हैं। जबकि गांठ गोभी को बिना मसाले के और उसके नरम पत्तों के साथ बनाएं, तो उसका स्वाद लाजवाब होता है। कुछ सब्जियां बिना मसाले के ही अपना मूल स्वाद प्रकट करती हैं, उनमें गांठ गोभी भी एक है।

गांठ गोभी में भरपूर रेशे होते हैं, इसलिए कब्ज आदि की शिकायत वाले लोगों को तो इसे अवश्य खाना चाहिए। फिर इसमें भी शलजम, चुकंदर और मूली की तरह खून साफ करने और विटामिन बी की मात्रा बढ़ाने वाले तत्त्व होते हैं।

इसे बनाना दूसरी सब्जियों की अपेक्षा काफी आसान है। फिर जब आप सब्जियां खरीदने जाएं, तो गांठ गोभी की तरफ से नजर न फेरें। बल्कि इस मौसम में हफ्ते में एक बार तो इसे अवश्य बना कर खाएं।

गांठ गोभी मुलायम ही चुननी चाहिए। इसकी पहचान यह है कि अगर इसके डंठल और पत्ते कठोर हो चुके हैं, तो गांठ गोभी कुछ कड़ी होगी। नरम पत्ते वाली गांठ गोभी लेने का फायदा यह भी है कि उनका भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

मुलायम पत्तों को अलग कर लें और डंठल को काट कर फेंक दें। अब चाकू की मदद से गांठ गोभी का छिलका उतार लें। छिलका उतारते समय ध्यान रखें कि उसके ऊपर कड़े रेशे की परत न रहने पाए। बीच का मुलायम हिस्सा ही रहे। इन्हें धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। पत्तों को भी काट लें।

गांठ गोभी के साथ एक गाजर और मुट्ठी भर हरी मटर के दाने ले लें, तो इस सब्जी का स्वाद और बढ़ जाता है। गाजर को भी छील कर छोटे टुकड़ों में काट लें। मटर और गाजर को भी गांठ गोभी के साथ ही मिला कर रख लें।
अब कड़ाही में एक चम्मच सरसों का तेल गरम करें। उसमें चौथाई चम्मच राई, कुछ दाने मेंथी के और चौथाई चम्मच जीरे का तड़का लगाएं और सब्जी को छौंक दें।

छौंकने के बाद जरूरत भर का नमक डालें और अच्छी तरह मिलाने के बाद आंच बिल्कुल मध्यम कर दें। पानी डालने की जरूरत नहीं, सब्जियां अपने पानी से ही पक जाएंगी। कड़ाही पर ढक्कन लगाएं और पंद्रह मिनट के लिए पकने दें। इस बीच बिल्कुल न चलाएं।

पंद्रह मिनट बाद देखें, गांठ गोभी के टुकड़े पक कर मुलायम हो चुके होंगे। बस, आंच बंद कर दीजिए। इसे चावल-दाल या रोटी, परांठा किसी के भी साथ खाइए। रात को चाहें तो केवल कटोरा भर सब्जी खा लें, संपूर्ण आहार होगा।

नारियल वाली लौकी

लौकी यानी घीया के गुणों से तो आप सभी परिचित हैं। यह मधुमेह जैसी परेशानियों को नियंत्रित करने, पाचनतंत्र संबंधी गड़बड़ियों को दूर करने में मदद करती है। मगर बहुत सारे लोग इसकी सब्जी पसंद नहीं करते, बच्चे तो बिल्कुल नहीं खाना चाहते। मगर उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि भोजन केवल स्वाद के लिए नहीं, सेहत के लिए किया जाता है।

सेहत की दृष्टि से लौकी बहुत गुणकारी और सुपाच्य सब्जी है। बहुत सारे लोग इसे टमाटर-प्याज के साथ मसालेदार बना कर खाते हैं, इसलिए कि इसका सादा स्वाद उन्हें पसंद नहीं। उनकी जुबान पर मसालों का स्वाद चढ़ चुका है। जबकि लौकी को सादा बना कर खाएं, तभी उसका असली स्वाद और गुण प्रकट होता है।

मसालेदार लौकी का स्वाद बदलने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि इसे नारियल के साथ बनाएं। नारियल के तत्त्व लौकी के साथ मिल कर सेहत के लिए और गुणकारी हो जाएंगे। इस तरह इसका स्वाद भी लाजवाब हो जाता है। दक्षिण भारत में तो नारियल के साथ सब्जियां बनती ही हैं। आप भी बना कर खाएं। इसे बनाना बहुत आसान है।

लौकी लंबी वाली, नरम और ताजा ही लें, तो अच्छा रहता है। छिलका उतार कर लौकी को धो लें और फिर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इसके बाद कच्चे नारियल को ग्राइंडर में चला कर बारीक पीस लें। एक लौकी के लिए चौथाई हिस्सा नारियल पर्याप्त होता है। आप चाहें, तो अधिक भी ले सकते हैं।

अब कड़ाही में एक चम्मच घी गरम करें। उसमें आधा छोटा चम्मच जीरा और आठ-दस साबुत काली मिर्च तड़काएं और लौकी को छौंक दें। जरूरत भर का नमक डालें और एक बार चला कर ढक्कन लगा दें।

मध्यम आंच पर दस मिनट पकने दें। फिर ढक्कन हटाएं और नारियल का चूरा डाल कर अच्छी तरह चलाएं और फिर ढक्कन लगा दें। इसमें हल्दी न डालें। अगर आपको मसाले पसंद हैं, तो एक छोटा चम्मच केवल पिसा धनिया डाल सकते हैं, नहीं तो यह सब्जी सादा ही अपना स्वाद बिखेरती है।

इस तरह ढक्कन लगा कर दस मिनट और पकने दें। फिर आंच बंद कर दें। पांच मिनट तक ढक्कन बंद रखें और फिर सब्जी को अलग बर्तन में निकाल लें। इस सब्जी को रोटी, परांठा या दाल-चावल के साथ खा सकते हैं। एक बार खाएंगे, तो बार-बार बनाएंगे।