मानस मनोहर

आयुर्वेद कहता है कि खानपान हमेशा मौसम के मिजाज के अनुसार ही होना चाहिए। जिस मौसम में जो फल और सब्जियां उगती हैं, उन्हें ही खाना चाहिए। इसमें स्थानीयता का भी ध्यान रखना चहिए। जो चीज आपके इलाके में उगती है, वही खाना बेहतर होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस मौसम के कुछ व्यंजन।

कटहल कोफ्ते

मैदानी भागों में इस मौसम में कटहल की पैदावार खूब होती है। समुद्र तटीय इलाकों में तो बारहों महीने कटहल का फल लगता है, मगर मैदानी भागों में जब तापमान अठारह डिग्री के आसपास बना रहता है, तब कटहल के फल लगने शुरू होते हैं। ये कटहल स्वाद में समुद्र तटीय कटहल से अलग और लाजवाब होते हैं। इनमें रेशे मोटे और कड़े नहीं होते। बरसात का मौसम शुरू होने से पहले तक मैदानी गर्म इलाकों में कटहल की सब्जी खूब खाई जाती है। कटहल की सब्जी भी कई तरह से बनती है। इसका टिक्का भी बनता है। मगर इसके कोफ्ते का मजा ही अलग होता है। यह बनाना भी बहुत आसान होता है।

कोफ्ते बनाने हों या किसी भी और प्रकार की सब्जी, कटहल हमेशा छोटे और नरम ही लेने चाहिए। जिस कटहल के बीज कड़े नहीं होते, वह सब्जी के लिए उत्तम माना जाता है, इसलिए कि उसमें रेशे भी मोटे और कड़े नहीं होते। वरना, रेशे दांतों में फंस कर सब्जी का मजा किरकिरा कर देते हैं। आजकल तो शहरों में कटहल दुकान में ही छिल और काट कर मिल जाता है। चाहें तो वैसा भी ले सकते हैं। नहीं तो बिना छिला कटहल लाएं और हाथ में सरसों का तेल लगा कर उसका छिलका उतारें और मनचाहे आकार में टुकड़े काट लें।

कटहल के टुकड़ों को एक कुकर में थोड़े पानी और नमक के साथ डाल कर दो से तीन सीटी तक उबाल लें। कटहल के टुकड़े बिल्कुल नरम हो जाने चाहिए, ताकि उन्हें मसल कर कोफ्ते बनाने में आसानी रहे। कटहल के टुकड़ों का पानी पूरी तरह निथार लें। फिर ठंडा होने पर फोर्क की मदद से या हाथों से मसल लें। अब इसमें कटी हरी मिर्च, धनिया पत्ती, नमक, लाल मिर्च पाउडर, चुटकी भर गरम मसाला और थोड़ा-सा बेसन डालें। सारी सामग्री को अच्छी तरह मिला कर मिश्रण तैयार कर लें। इसमें से एक-एक चम्मच बराबर मात्रा लेकर कोफ्ते बना लें। कोफ्तों के बीच अंगूठे से दबा कर एक किशमिश भी डाल सकते हैं। कड़ाही में तेल गरम करें और मध्यम आंच पर इन कोफ्तों को पलट-पलट कर सुनहरा होने तक तल लें।

अब इसकी तरी तैयार करें। इसकी तरी भी बाकी कोफ्तों की तरह ही बनती है। प्याज और टमाटर को मोटा-मोटा काट लें। कड़ाही में जीरा, छोटा टुकड़ा दालचीनी, सौंफ और साबुत धनिया का तड़का दें और उसमें टमाटर और प्याज को छौंक दें। इसी में आठ-दस काजू भी डाल दें। काजू से तरी में चमक और अच्छी रंगत आती है। आंच मध्यम रख कर सारी चीजों को नरम होने तक पकाएं। थोड़ा ठंडा होने के बाद इसे मिक्सर में अच्छी तरह पीस लें और मोटी छन्नी से छान कर अलग रख लें।

फिर कड़ाही में थोड़ा-सा तेल गरम करें, उसमें केवल जीरे का तड़का दें और पिसे हुए प्याज-टमाटर डाल कर चलाते हुए तेल छोड़ने तक पकाएं। अब अपनी रुचि के मुताबिक गरम मसाला, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर और थोड़ी-सी हल्दी डाल कर दो मिनट के लिए चलाते हुए पकाएं, फिर एक कप पानी डाल कर तरी को पकाएं। तरी का गाढ़ापन आप अपनी रुचि के मुताबिक रख सकते हैं। अब इस तरी को तले हुए कोफ्तों के ऊपर डाल दें और ढक्कन लगा कर रखें ताकि कोफ्तों में तरी का रस भीन सके। कटहल के कोफ्ते तैयार हैं। इन पर हरी मिर्च, धनिया पत्ता और अदरक का लच्छा डाल कर सजाएं और परोसें।

सौंफ का शर्बत

गर्मी बढ़ती है, तो पाचन तंत्र मंद पड़ जाता है। न कुछ खाने का मन होता है, न जो खाते हैं वह जल्दी पचता है। फिर दिन में तेज लू से परेशानी अलग रहती है। ऐसे में पाचन तंत्र को दुरुस्त और शरीर के तापमान को संतुलित करने के लिए कुछ ऐसे खाद्य और शर्बत आदि लेने पड़ते हैं, जिससे गर्मी की परेशानियों से दूर रहा जा सके। ऐसे मौसम में सौंफ का इस्तेमाल सबसे उत्तम रहता है। सौंफ की तासीर ठंडी होती है और यह पाचनतंत्र को दुरुस्त रखने में बहुत मदद करता है। सौंफ का शर्बत गर्मी के मौसम में उत्तम पेय है।

सौंफ का शर्बत बनाना बहुत आसान है। वैसे तो आजकल हर देसी व्यंजन डिब्बाबंद रूप में दुकानों पर मिलने लगा है। सौंफ का शर्बत भी मिलता है। मगर घर पर इसे बनाना सेहत की दृष्टि से ज्यादा उत्तम है। सौंफ की ही तरह मिश्री की तासीर भी ठंडी होती है। इसलिए जब भी सौंफ का शर्बत बनाया जाता है, तो उसमें मिश्री का उपयोग किया जाता है। घर पर इसे बनाएंगे, तो शुद्धता और गुणवत्ता का भी अच्छी तरह ध्यान रख पाएंगे। शर्बत के लिए मोटे दाने वाली भूरे रंग की सौंफ अच्छी रहती है। वैसे आप अपनी रुचि से हरी वाली सौंफ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें सौंफ और मिश्री की मात्रा बराबर रखें। यानी अगर ढाई सौ ग्राम सौंफ ली है, तो ढाई सौ ग्राम ही मिश्री भी लें।

सौंफ का शर्बत बनाने के दो तरीके हैं। एक तो यह कि सौंफ को तीन-चार घंटे के लिए भिगो दें, फिर जब वह नरम हो जाए तो पीस कर पतले कपड़े में छान कर उसका सारा रस निचोड़ लें। फिर मिश्री पीस कर डालें। दूसरा तरीका यह है कि मिश्री और सौंफ को पहले ही ग्राइंडर में पीस लें। दोनों को मिला कर डिब्बे में बंद करके रख दें। जब भी शर्बत बनाना हो, तो प्रति गिलास के हिसाब से दो खाने के चम्मच बराबर मिश्रण पानी में भिगो कर दो घंटे के लिए छोड़ दें। फिर छान कर परोसें। छानने के लिए महीन साफ कपड़े का उपयोग करने से लाभ यह होता है कि इसमें सौंफ को निचोड़ना आसान रहता है। पूरी गर्मी यह शर्बत पीएं, शरीर ठंडा रहेगा और पाचन संबंधी शिकायतें दूर हो जाएंगी।