मानस मनोहर

गट्टे तरीदार
बेसन से बनने वाली सब्जियों में तरीदार गट्टे सबसे लोकप्रिय सब्जी है। राजस्थान में तो शादी-विवाह जैसे उत्सवों और भंडारे, जिसे सवामणी भी कहते हैं, में भी इसे परोसा जाता है। इसकी तरी दही के साथ बनती है, तो इसका स्वाद निखर कर आता है। गर्मी में दही और बेसन का मेल पेट के लिए ठीक रहता है। जब भिंडी, तोरई, करेले खाकर ऊब गए हों, तो गट्टे अच्छा विकल्प हैं। इसे बनाने में थोड़ा समय जरूर अधिक लगता है, मगर इतना भी अधिक नहीं कि आपके दूसरे काम बाधित हों।

गट्टे बनाने के मुख्यतया दो हिस्से हैं। एक, गट्टे तैयार करना और दूसरा इसकी तरी यानी ग्रेवी तैयार करना। असली कुशलता की जरूरत इसके गट्टे बनाने में ही पड़ती है। गट्टे का बेसन गूंथने से पहले इसके लिए मसाला तैयार कर लें। एक पैन गरम करें। आंच बिल्कुल धीमी रखें। उसमें दो चम्मच साबुत धनिया, एक चम्मच जीरा, एक चम्मच सौंफ और एक चम्मच अजवाइन डालें और चलाते हुए महक आने तक भूनें। आंच बंद कर दें। ध्यान रखें कि बस, मसाले गरम होकर महक देने लगें, जलने न पाएं। मसाले ठंडा हो जाएं तो खरल में डाल कर तोड़ लें।

गट्टे के लिए बेसन थोड़ा मोटे वाला लें, तो बेहतर रहता है। एक कप बेसन लें। उसमें कुटे मसालों का आधा हिस्सा डालें और आधा हिस्सा अलग रख दें। फिर थोड़ी-सी हल्दी, चुटकी भर हींग, चौथाई चम्मच नमक और दो चम्मच सरसों का तेल डालें। सरसों तेल के अलावा चाहें तो इतनी ही मात्रा में देसी घी भी डाल सकते हैं। सारी चीजों को एक बार अच्छी तरह मिला लें।

फिर अच्छी तरह फेंटा हुआ आधा कटोरी दही और एक पैकेट ईनो डालें और मल कर बेसन को गूंथें। अगर बेसन कड़ा लग रहा हो, तो पानी के छींटें डाल कर थोड़ा नरम कर लें। मगर ध्यान रखें कि बेसन न तो नरम रहना चाहिए और न अधिक कड़ा। इसकी पहचान यह है कि गुंथे हुए बेसन में दरार नजर नहीं आनी चाहिए। इसे पंद्रह-बीस मिनट के लिए ढंक कर आराम करने के लिए रख दें।

एक चौड़े पेंदे वाली कड़ाही या पैन में भरपूर पानी गरम करें। आंच मध्यम रखें। गुंथे हुए आटे में से टुकड़े लेकर बेलनाकार लंबाई में गट्टे बना लें। इन गट्टों को गरम पानी में डाल दें। थोड़ी देर बाद जब गट्टे पक कर पानी पर तैरने लगें, तो आंच बंद कर दें। गट्टों के पकने की पहचान यह भी है कि उनके ऊपर दानेदार उभर आएगा। अब इन गट्टों को बाहर निकाल लें और ठंडा होने के बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।

अब इसकी तरी की तैयारी करें। इसके लिए दो कटोरी दही लें। इसे अच्छी तरह फेंट लें। इसमें चौथाई चम्मच हल्दी, डेढ़ चम्मच धनिया पाउडर, आधा चम्मच गरम मसाला, चुटकी भर हींग और आधा चम्मच नमक डाल कर अच्छी तरह मिलाएं। कटे हुए गट्टों में से दो-तीन लेकर इसी दही में चूरा बना कर डालें और अच्छी तरह मिला कर दस मिनट के लिए ढंक कर रख दें।

इस बीच एक टमाटर ग्राइंडर में पीस कर रख लें। इसके अलावा दो हरी मिर्चें और थोड़ा अदरक बारीक काट कर रख लें। कड़ाही में दो चम्मच सरसों का तेल गरम करें। आंच धीमी करें और उसमें कुटे हुए मसाले डालें। फिर हरी कटी मिर्चें और अदरक डाल कर पांच-सात सेंकेंड भूनें और फिर पिसा हुआ टमाटर डाल कर तेल छोड़ने तक चलाते हुए पकाएं।

जब टमाटर तेल छोड़ने लगे, तो उसमें गट्टे के बचे पानी में से एक कलछी पानी डालें और एक बार चलाने के बाद उसमें दही का मिश्रण डालें और धीमी आंच पर चलाते हुए उबाल आने तक पकाएं। उबाल आने के बाद गट्टे का बचा पानी डालें और मनचाहा गाढ़ापन लाएं। एक उबाल आ जाए, तो उसमें गट्टे के टुकड़े डाल दें और कड़ाही पर ढक्कन लगा दें। पांच मिनट तक पकने दें। फिर आंच बंद कर दें। गट्टे तैयार हैं।

भंडारे वाला सीताफल
सीताफल को कुछ लोग कद्दू कहते हैं, तो कुछ पेठा। कई जगह इसे कोहंड़ा या कदीमा भी कहते हैं। अंग्रेजी में पंपकिन। यह एक ऐसी सब्जी है, जो दुनिया भर में खाई जाती है। अनेक औषधीय गुणों से भरपूर। आजकल तो बहुत सारे लोग रक्त शर्करा, चर्बी, प्रोस्टेट आदि की समस्या दूर करने के लिए इसका बीज भी खाते हैं। बाजार में डिब्बाबंद मिलता है। यानी, जो लोग इसे देख कर मुंह बिचकाते हैं, उन्हें भी इसे खाने की अदत डाल लेनी चाहिए।

सीताफल आमतौर पर दो प्रकार के होते हैं- लाल और और हरा। दोनों को एक ही तरीके से बनाया जाता है। लाल वाला थोड़ा सख्त होता है, इसलिए हरे वाले सीताफल की अपेक्षा उसे पकने में थोड़ा अधिक समय लगता है और उसमें थोड़ी मिठास होती है। हरे वाले में वैसी मिठास नहीं होती। आप हरे वाला ताजा सीताफल लीजिए। चाहें तो उसका छिलका उतार सकते हैं, न भी उतारें तो हर्ज नहीं। छोटे टुकड़ों में काट लीजिए। इस मौसम में कच्चा आम खूब उपलब्ध है। एक आम छील कर उसका गूदा भी छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर अलग रख लें।

अब एक कुकर में एक से दो चम्मच तेल गरम करें। उसमें साबुत धनिया, मेथी दाना, सौंफ, दो साबुत लाल मिर्चें और अजवाइन का तड़का दें। मेथी दाना और सौंफ का तड़का इसमें अनिवार्य है। बस, छौंक दीजिए कटे हुए सीताफल को। अच्छी तरह चलाइए। चुटकी भर हल्दी, चुटकी भर हींग पाउडर, चौथाई चम्मच कुटी लाल मिर्च, जरूरत भर का नमक और एक छोटा चम्मच धनिया पाउडर डालें और अच्छी तरह मिला लें।

अब कटा हुआ आम और एक से डेढ़ चम्मच चीनी या दो से ढाई चम्मच गुड़ डालें और अच्छी तरह मिला कर कुकर का ढक्कन बंद कर दें। इसमें पानी डालने की जरूरत नहीं। सीताफल अपने पानी से ही पक जाता है। आंच मध्यम रखें और एक से दो सीटी आने के बाद आंच बंद कर दें। कुकर की भाप शांत हो जाए तो सब्जी बाहर निकालें और गरमा-गरम परोसें।