मानस मनोहर

नारियल मोदक
मोदक यानी लड्डू। मोदक कई तरह से बनाया जाता है। मगर महाराष्ट्र में गणेश उत्सव के दौरान मुख्य रूप से मावा यानी खोया और नारियल का मोदक अधिक बनता है। मोदक का आकार सामान्य लड्डू की तरह गोल न रख कर ऊपर की तरफ थोड़ा नुकीला बनाया जाता है। मोदक बनाने के लिए बाजार में बर्तन की दुकानों पर सांचा भी मिलता है, जिसमें सामग्री भर कर दबा दो, तो मोदक का आकार बन जाता है।

वैसे हाथ से भी यह आकार दिया जा सकता है। दिया ही जाता है। नारियल का मोदक बनाना बहुत आसान है। जैसे नारियल के लड्डू या बरफी बनाते हैं, उसी तरह मोदक के लिए सामग्री तैयार करनी होती है। बस आकार का अंतर होता है। मोदक बनाने के लिए अपनी इच्छा के अनुसार नारियल का चूरा लें। नारियल का चूरा बाजार में आसानी से मिल जाता है। अभी हम थोड़ी मात्रा के साथ इसे बनाने की बात करेंगे, मात्रा आप अपनी इच्छा से घटा-बढ़ा सकते हैं।

दो सौ ग्राम नारियल का चूरा लें। अगर बाजार का चूरा न लेना चाहें, तो घर में कच्चे या सख्त नारियल को घिस कर चूरा बना लें। फिर इसमें डालने के लिए सौ ग्राम मावा या एक छोटा टिन मिल्कमेड का कंडेंश्ड मिल्क लें। सौ ग्राम पिसी हुई चीनी और कुछ पतले कटे बादाम के टुकड़े भी ले लें। अगर मावा या मिल्कमेड का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो आधा लीटर उबला हुआ दूध लें।

अब कड़ाही में नारियल का चूरा डालें और मध्यम आंच पर चलाते हुए महक आने तक सेंकें। फिर अगर दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो दूध डाल दें या मावा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो मावा डालें और चलाते हुए नारियल के साथ अच्छी तरह मिलाएं। जब मिश्रण अच्छी तरह सूख जाए, तो आंच बंद कर दें। अगर मिल्कमेड का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे आंच बंद करने के बाद डालें और फिर अच्छी तरह मिला लें। अब इसी में पिसी हुई चीनी और कटा हुआ काजू डाल कर अच्छी तरह मिलाएं।

मिल्कमेड में चीनी पर्याप्त होती है, इसलिए जब भी इसका इस्तेमाल करें, तो चीनी की मात्रा का ध्यान रखें। अगर मिल्कमेड के साथ चीनी का उपयोग न भी करें, तो मिठास पर्याप्त रहती है। यह जरूर ध्यान रखें कि मिश्रण सूखा होना चाहिए, नहीं तो लड्डू पिलपिला हो जाएगा और उसका आकार सही नहीं रहेगा। फिर मिश्रण ठंडा हो जाए तो हथेलियों पर रख कर मोदक का आकार दें। सांचे का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसमें सामग्री भरें और दबा कर मोदक तैयार कर लें।

मोदक को अगर रंग देना चाहते हैं, तो दूध में केसर के कुछ दाने डाल कर कुछ देर रखें, इससे मोदक का स्वाद भी बढ़ेगा और उसका जाफरानी रंग उसे आकर्षक भी बनाएगा। अगर मिल्कमेड और खोया न भी उपयोग करें, तो मोदक के स्वाद में बहुत अंतर नहीं आएगा। दूध की मात्रा बढ़ा दें और उसे गाढ़ा करने के बाद ही नारियल में मिलाएं और बिल्कुल सूख जाने तक पकाएं।

पूरनपोली
पूरनपोली महाराष्ट्र का बहुत लोकप्रिय व्यंजन है। यह एक तरह का मीठा परांठा होता है। इसे चने की दाल से बनाया जाता है। हमारे यहां पूर्वी हिस्से में चना दाल का परांठा बनता है, उसी तरह पूरनपोली बनती है। दोनों में अंतर सिर्फ इतना होता है कि परांठा नमकीन होता है और पूरनपोली मीठी होती है। इस तरह इसे बनाने की विधि के बारे में कुछ अंदाजा आपको लग गया होगा।

पूरनपोली बनाने के लिए पहले चने की दाल को चार-पांच घंटे के लिए भिगो दें। चार लोगों के लिए डेढ़ कटोरी दाल पर्याप्त होती है। उसी के अनुसार मात्रा बढ़ा-घटा सकते हैं। भिगोने के बाद दाल को कुकर में थोड़े पानी के साथ एक या दो सीटी आने तक पका लें, ताकि नरम हो जाए।

ध्यान रखें कि इसमें नमक और हल्दी का इस्तेमाल नहीं करना है। फिर भाप शांत होने के बाद दाल को निकाल कर ठंडा होने दें। अगर उसमें पानी रह गया है, तो उसे पूरी तरह निथार लें। अब आटा तैयार करें। जैसे परांठे या रोटी के लिए आटा गूंथते हैं, उसी तरह आटा गूंथ कर आराम करने के लिए रख दें। उबली हुई चना दाल को ग्राइंडर में या फिर चकले पर बेलन से दबा कर अच्छी तरह पीस लें।

फिर कड़ाही में दो चम्मच घी गरम करें। उसमें सौंफ डाल कर हल्का चटकने दें और फिर पिसी हुई चना दाल डाल कर मध्यम आंच पर चलाते हुए पांच मिनट भूनें। अब इसमें आधा कटोरी गुड़ या चौथाई कटोरी चीनी डालें और अच्छी तरह मिलाएं। इसके साथ एक चम्मच अमचूर पाउडर भी डाल सकते हैं, इससे थोड़ा खट्टापन आ जाता है और खाने में अच्छा स्वाद आता है। सामग्री को अच्छी तरह मिला लेने के बाद आंच बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा होने दें। पूरनपोली की भरावन तैयार है।

अब तवा या पैन गरम करें और आटे में से छोटी-छोटी लोइयां लेकर उसमें डेढ़-दो चम्मच दाल का भरावन भरें और पतला परांठा बेल लें। जैसे आलू या दाल का परांठा बनाते हैं उसी तरह। मगर पूरनपोली पतली बनती है, इसका ध्यान रखें। मोटा न रखें। इसे बेलने में परेशानी नहीं आती।

तवा पर घी लगाएं और पूरनपोली को दोनों तरफ से पलट कर घी चुपड़ कर सेंक लें। पूरनपोली तैयार है। इसे दो-तीन दिन तक रख सकते हैं। यह बच्चों को बहुत पसंद आती है। जब उन्हें हल्की भूख हो, दे सकते हैं।