गर्मी में सेहत की दृष्टि से बहुत सावधान रहने की जरूरत होती है। कुछ बीमारियां इसमें और बढ़ जाती हैं, तो कुछ बीमारियों के उभरने की संभावना है, तो वे उभर आती हैं। इसलिए कि इस मौसम में शरीर का तापमान सामान्य से कुछ अधिक ही रहता है। थायराइड ग्रंथि के स्राव में असंतुलन की आशंका भी इस मौसम में अधिक रहती है। थायराइड इस समय दुनिया भर में चिंता का विषय है। आज दुनिया भर में हर पांच में से एक व्यक्ति थायराइड से ग्रस्त है। थायराइड हार्मोन का बढ़ना और घटना दोनों ही नुकसानदेह हैं। मगर थोड़ा सावधान रहें, तो इस समस्या से पार पाया जा सकता है।
जब गले में पाई जाने वाली थायराइड ग्रंथि सामान्य रूप से कार्य करना बंद कर देती है, तो थायराइड की समस्या पैदा हो जाती है। दरअसल, थायराइड शरीर में चयापचय यानी मेटाबालिज्म को नियंत्रित करती है।
यह शरीर के तापमान को संतुलित रखने के साथ ऊतकों को बढ़ाने का काम भी करती है। थायराइड हार्मोन रक्त से खराब कोलेस्ट्राल को निकालने में लीवर की मदद करता है। इस तरह थायराइड के असंतुलन से कब्ज और दस्त की समस्या हो सकती है।
अगर शरीर में थायराइड का निर्माण कम हो जाए, तो इससे खराब कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ जाती है। थायराइड बीमारी दो प्रकार की होती है। एक हाइपर थायराइड और दूसरी हाइपो थायराइड।
लक्षण
- चिंता और तनाव बढ़ना। अच्छी नींद लेने के बावजूद सुबह-सुबह थकान महसूस करना।
- हाइपर थायराइड के कारण भूख बढ़ जाती है। इससे मोटापा बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।
- शरीर में थायराइड की कमी के कारण अवसाद बढ़ सकता है। दरअसल, मस्तिष्क में बायोकेमिकल सेरोटोनिन एलिमेंट पाया जाता है, जो आपको अच्छा महसूस कराता है। यह तत्त्व थायराइड हार्मोन से जुड़ा रहता है। इसकी कमी के कारण सेरोटोनिन एलिमेंट प्रभावित होता है और आप तनाव महसूस करते हैं।
- महिलाओं में थायराइड की कमी के कारण माहवारी में अनियमितता आ जाती है।
- लोगों में रक्तचाप की समस्या आ जाने के साथ-साथ हाथ पैरों में सुन्नता और दर्द होने लगता है।
- इससे पीड़ित लोगों को कभी अत्यधिक गर्मी लगती है या कभी अत्यधिक ठंड का अहसास होता है।
- इस बीमारी में थायराइड ग्रंथि में सूजन आने के चलते आवाज बदल जाती है।
- थायराइड की कमी की वजह शरीर के विभिन्न हिस्सों, जैसे सिर, भौहों में बालों की कमी हो जाती है।
कारण
- थायराइड में शरीर का अस्सी फीसद आयोडीन पाया जाता है। ऐसे में जब शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है, तब थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है। ऐसे में थायराइड हार्मोन का निर्माण कम हो जाता है। इस वजह से शरीर का विकास रुक जाता है, जिसे क्रीटीनिज्म कहा जाता है।
- कई बार विभिन्न प्रकार की दवाइयों के विपरीत प्रभाव के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
- थायराइड की समस्या सोया पाउडर, सोया प्रोटीन और सोया कैप्सूल के अधिक इस्तेमाल से भी हो सकती है।
- जो लोग अत्यधिक तनाव लेते हैं, उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है।
- थायराइड की समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है।
हाइपर थायराइड से पीड़ित लोगों के बाल अत्यधिक झड़ने लगते हैं। इससे कमजोरी का अहसास होने लगता है और पूरा शरीर कांपने लगता है। हाइपर थायराइड के कारण वजन कम हो जाता है और दिल जोर से धड़कने लगता है। इसकी वजह से अत्यधिक पसीना आता है या फिर बिल्कुल पसीना नहीं आता।
क्या खाएं
जो लोग हाइपर थायराइड से ग्रस्त है, उन्हें संतुलित आहार करना बेहद जरूरी है। अंडे, बादाम, फलियां अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। आइसोथायोसाइनेट्स और गाइट्रोजेन्स जैसे तत्वों से भरपूर ब्रोकली का सेवन करना चाहिए। थायराइड हार्मोन के संतुलन के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर चीजें जैसे, अखरोट, अलसी और मछली खानी चाहिए। प्रोटीन से भरपूर सोया उत्पाद का सेवन भी किया जा सकता है। इसके अलावा, आंवला, जामुन, स्ट्राबेरी और चेरी भी फायदेमंद है।
हाइपो थायराइड से पीड़ित मरीजों की पाचन शक्ति कम हो जाती है और मोटापा बढ़ने लगता है। ऐसे लोगों को अपने भोजन में विटामिन से भरपूर साबुत अनाज, बाजरा, ज्वार, फल, सब्जियां शामिल करना चाहिए। ऐसे मरीजों के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद हो सकता है। ल्ल
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें। )