शरीर में बहुत सारी परेशानियां हमारी सामान्य लापरवाहियों की वजह से पैदा हो जाती हैं। उठने-बैठने, चलने-फिरने, सोने की भंगिमा का उचित ध्यान न रखने की वजह से भी कई परेशानियां पैदा हो जाती हैं। हड्डियों के जोड़ों में उठने वाला दर्द ऐसी ही सामान्य लापरवाहियों की वजह से पैदा होता है। जोड़ों के दर्द में सबसे अधिक पीड़ा देने वाला दर्द होता है कंधों में अकड़न आ जाने की वजह से।

कंधों में अकड़न को चिकित्सीय भाषा में ‘फ्रोजन शोल्डर’ कहते हैं। यह तीन चरणों में धीरे-धीरे विकसित होता है और प्रत्येक चरण कई महीनों तक चल सकता है। हालांकि, यह जल्दी ठीक भी हो सकता है। इसमें कंधे के जोड़ में अकड़न आ जाती है, जिससे बांह को हिलाना मुश्किल हो जाता है।

कंधा तीन हड्डियों से बना होता है- ऊपरी बांह (ह्यूमरस), कंधा-पत्र (स्कैपुला), और हंसली यानी कालरबोन। इन तीनों के बीच एक गोलीनुमा चीज यानी ‘बाल ऐंड साकेट’ जोड़ बनाता है। कंधे के जोड़ के आसपास के ऊतकों को ‘शोल्डर कैप्सूल’ कहा जाता है।

कंधे में अकड़न को ‘एडहेसिव कैप्सुलिटिस’ भी कहा जाता है। यह एक दर्दनाक स्थिति है, जो तीन महीने से अधिक समय तक रहती है। इसमें कंधा अक्सर धीरे-धीरे अकड़ता है। ‘फ्रोजन शोल्डर’ में ‘शोल्डर कैप्सूल’ बहुत मोटा और कड़ा हो जाता है, जो उसकी गति में बाधा डालता है।

कंधे की अकड़न तीन चरणों में धीरे-धीरे विकसित होती है। पहला है ‘फ्रीजिंग’, जिसमें कंधे को हिलाने-डुलाने से दर्द होता है, और गति में कमी आती है। दूसरा है, फ्रोजन। इस चरण में दर्द कम होना शुरू हो जाता है। हालांकि, कंधा सख्त हो जाता है, और इसे चलाना अधिक कठिन हो जाता है। तीसरा है ‘थौइंग’, जिसमें कंधे की गति में सुधार होने लगता है। कंधे की अकड़न का निदान करने के लिए चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण और ‘इमेजिंग’ का उपयोग किया जाता है।

कारण

कंधे में अकड़न पैदा होने के पीछे थायराइड विकार, टाइप 2 मधुमेह, हृदयाघात, कंधे की चोट, स्मृतिभ्रंश, पेन सिंड्रोम जैसे कुछ कारण हो सकते हैं।

उपचार

कंधों की अकड़न के उपचार का सबसे कारगर उपाय व्यायाम है। बहुत गंभीर स्थिति हो जाने पर ही दवाओं और सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है। दर्द नियंत्रण और कंधे की सामान्य गतिशीलता को बढ़ाने के लिए फिजियोथेरेपी बहुत महत्त्वपूर्ण साबित होता है।

इसमें दर्द समय-समय पर घटता-बढ़ता रहता है। इसलिए कई लोग इसके उपचार में देर कर देते हैं। मगर भले ही समय के साथ इसके लक्षण कम हो गए हों, लापरवाही की वजह से आप कंधे को अच्छे से हिलाने की क्षमता कभी हासिल नहीं कर पाएंगे। यह नुकसान स्थायी होगा।

कंधे की अकड़न में कंधे की गर्म सिंकाई करने से खून के प्रवाह में सुधार होता है और नरम ऊतकों की क्षमता बढ़ सकती है। मगर यह उपचार अस्थायी होता है। फिजियोथेरेपिस्ट दर्द से राहत दिलाने के लिए गर्म सिंकाई के साथ-साथ आपके कंधे के जोड़ की गति को बेहतर बनाने के लिए उपयुक्त व्यायाम भी कराता है।
इस समस्या से आराम पाने के लिए बर्फ की सिंकाई भी मददगार साबित होती है। अगर किसी अंदरूनी चोट के कारण कंधे में तेज दर्द और सूजन है, तो बर्फ की सिंकाई उसको कम करने में मदद करती है। फिजियोथेरेपिस्ट को पता होता है कि दोनों में से किस सिंकाई का उपयोग कब करना है। इसलिए कंधे की अकड़न ज्यादा तकलीफदेह हो, तो फिजियोथेरेपिस्ट से मिलना चाहिए।

घरेलू उपचार

अगर आपके कंधे में अकड़न आ गई है तो अपने कंधे को हिलाना जारी रखें, नहीं तो यह अकड़न और बढ़ती जाएगी और दर्द अगले चरण में बढ़ेगा।
दर्द में कमी के लिए व्यायाम से पहले गर्म पानी से सिंकाई करें।
कंघी का उपयोग करना जारी रखें। जैसे बालों में कंघी करना, सिर के ऊपरी हिस्से तक बांह को पहुंचना आदि गतिविधियां करते रहें।
अपने मधुमेह को नियंत्रण में रखें।
अपनी दर्द की दवाएं समय पर लें।
अगर आपके कंधे में अकड़न है, तो आपको यह सब बिल्कुल नहीं करना चाहिए:
कंधे को झटके से न चलाएं।
भले इससे आपके कंधे को आराम मिलता हो, पर बांह का स्लिंग यानी उसे स्थिर रखने वाला पट्टा न पहनें। ध्यान रहे कि आपको अपनी बांह हिलाते रहना है।

व्यायाम

कंधे की अकड़न यानी एडहेसिव कैप्सुलिटिस से निजात पाने के लिए कंधे का व्यायाम ही श्रेष्ठ उपाय है। इसके लिए कुछ सामान्य-से व्यायाम करते रहना चाहिए। कहीं भी दीवार के पास खड़े होकर बांह को नीचे लटका लें और फिर हाथ के पंजे से दीवार को दबाएं। ऐसा दोनों हाथों से करें। इसी तरह कुर्सी को पकड़ कर थोड़ा झुकें और पहले एक बांह को बिल्कुल ढीली छोड़ कर पेंडुलम की तरह हिलाएं। ऐसा ही दूसरी बांह से भी करें। बांहों को हिलाते-डुलाते रहने से कंधे की अकड़न दूर हो जाती है, दर्द नहीं होता।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)