कोरोना का प्रकोप अब भी जारी है। इस बीच पूर्णबंदी और संक्रमण से बचाव के दूसरे एहतियात ने लोगों की जीवनशैली में बड़ा फर्क ला दिया है। खासतौर पर शहरी कामकाजी लोगों को लगातर घरों से ही काम करना पड़ रहा है। ‘वर्क फ्रॉम होम’ कल तक कामकाज का एक विकल्प था पर आज यह अनिवार्य बाध्यता है। ऐसे में लोगों का ज्यादातर समय बड़े मनोवैज्ञानक दबाव के बीच घर के अंदर लैपटॉप, मोबाइल फोन और टीवी के साथ बीत रहा है। यह स्थिति खासतौर पर आंखों के लिए खासी नुकसानदेह है। लोग दस से भी ज्यादा घंटे स्क्रीन के सामने बैठकर गुजार रहे हैं, जिस कारण आंखों में भारीपन, थकान, जलन, लाली और सूखेपन की शिकायतें बढ़ रही हैं। ज्यादा समय तक स्क्रीन देखने से आंखों की मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है। हम जितना अधिक स्क्रीन देखते हैं, हमारी आंखों की नमी और पलक झपकने की दर उतनी ही कम होती जाती है। इससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। हमें अभी कुछ और दिन ऐसे ही बिताने हैं। ऐसे में आंखों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
काम का सही तरीका
आमतौर पर दफ्तर में लैपटॉप व कंप्यूटर डेस्क पर कुर्सी से उचित दूरी और उचित ऊंचाई पर रखे होते हैं। वहीं घर से काम कर रहे लोग लैपटॉप को कभी बिस्तर पर तो कभी गोद में रखकर काम करते हैं। इससे आंखों की मांसपेशियों पर खासा जोर पड़ता है। साथ ही बैठने की गलत मुद्रा से कमर में दर्द की समस्या भी हो सकती है। इसलिए घर से काम करने के दौरान भी लैपटॉप की आंखों से उचित दूरी और उचित ऊंचाई का ध्यान रखें। इससे आंखों पर कम प्रभाव पड़ता है और शारीरिक मुद्रा भी ठीक रहती है। अगर आंखों पर चश्मा चढ़ा है तो बिना चश्मे के काम न करें। अगर आप डिजिटल कंटेंट, ऑनलाइन गेम या सोशल मीडिया पर ज्यादा समय गुजार रहे हैं तो भी आपको चश्मा पहनना चाहिए।
टेलीविजन और मोबाइल फोन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों पर बुरा प्रभाव डालती है। इससे आंखों में जलन, भारीपन और सूखेपन की शिकायत बढ़ जाती है। सूखापन का मतलब आंखों में आंसू यानी पानी की कमी से है। कई दिनों तक यह समस्या होने पर सिरदर्द भी हो सकता है। इससे बचने का एकमात्र उपाय है कि स्क्रीन पर थोड़ा कम समय बिताएं। साथ ही बैठे-बैठे आंखों की कसरत करें। इसके लिए दूर रखी किसी चीज को बिना पलक झपकाएं एकटक देखें, ऐसा करने से आंखों की क्षमता में इजाफा भी होता है।
झपकाते रहें पलक
सामान्य तौर पर व्यक्ति एक मिनट में करीब बारह से पंद्रह बार पलकें झपकाता है। लेकिन टीवी और मोबाइल देखते समय वह तीन से चार बार ही पलक झपकाता है। पलक नहीं झपकाने के कारण आंखों में बनने वाला तरल पदार्थ आंखों में नहीं फैल पाता है, जिससे कार्निया सूखी यानी ड्राई हो जाती है। इससे आंखों में खुजली और जलन होने लगती है। इससे बचने का बेहतर तरीका है कि याद से पलकों को बार-बार झपकाते रहें। टीवी, मोबाइल फोन देखते समय या लैपटॉप पर काम के दौरान सामान्य तौर पर पलकें झपकाने की कोशिश के अलावा हर घंटे के अंतराल पर पलकों को खोलें और बंद करें और कुछ मिनट तक यह क्रिया दुहराएं।
जरूरी एहतियात
-कंप्यूटर पर घंटों काम करने से आंखें थक जाती हैं। अगर लंबे समय तक यह स्थिति बनी रही तो आंखों पर चश्मा भी चढ़ सकता है। चश्मा से बचने के लिए लैपटॉप, मोबाइल व कंप्यूटर पर काम करते समय कमरे में पर्याप्त रोशनी रखें।
-दिन में चार से पांच बार आंखों पर पानी के छींटें मारें। ध्यान रहें कि पानी के छींटें इतने तेज भी नहीं होने चाहिए कि आंखों में चोट लग जाए। सुबह में यानी दांतों की सफाई के दौरान भी रोजाना ऐसा करना चाहिए। इससे आंखों की क्षमता स्थिर रखने में मदद मिलेगी।
आंखों को बार-बार न रगड़ें।
-बिना डॉक्टर के परामर्श के किसी भी तरह के आई-ड्रॉप का इस्तेमाल न करें। यह भी कि आंखों की किसी भी तरह की समस्या होने पर घरेलु नुस्खों के प्रयोग से बचें। काजल या आई लाइनर की वजह से आंखों में खुजली या दूसरी परेशानी हो तो इनका प्रयोग तत्काल रोकें और डॉक्टर को दिखाएं।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)