आजकल खानपान के प्रति लोगों की रुचियां काफी तेजी से विकसित हुई हैं। अच्छे और सेहतमंद भोजन का अर्थ अब उसके स्वादिष्ट और मनभावन होने से माना जाने लगा है। बाजार ने भी इसमें काफी योगदान किया है। खाने-पीने का शौक अच्छी बात मानी जाती है, मगर बहुत सारे लोग, खासकर आजकल की पीढ़ी इस बात को भुला बैठी है कि भोजन में विसंगति सेहत को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। पहले लोग इस बात का बहुत ध्यान रखते थे कि क्या चीज कब और किस चीज के साथ खानी चाहिए और क्या खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए। मगर अब शायद ही इसकी समझ नई पीढ़ी में बची है। यही वजह है कि वे बहुत कम उम्र में ही पेट और सेहत संबंधी अनेक समस्याओं की चपेट में आ जाते हैं।
भोजन में इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि कौन-से पदार्थ का किन पदार्थों के साथ तालमेल नहीं बैठता। वे आपस में मिल कर विष पैदा करते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों को आयुर्वेद में विरुद्ध आहार कहा जाता है। कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं जो अकेले तो बहुत गुणकारी और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं, लेकिन जब इन्हीं पदार्थों को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए तो सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। यही विरुद्धाहार कहलाते हैं। विरुद्ध आहार का सेवन करने से कई तरह के रोग होने का खतरा रहता है। क्योंकि ये रस, रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हैं, दोषों को बढ़ाते हैं तथा मल को शरीर से बाहर नहीं निकलने देते।
विरुद्ध आहार के प्रकार
विरुद्ध आहार अनेक प्रकार के होते हैं। इन्हें अलग-अलग कोटियों में बांटा गया है। वातावरण की दृष्टि से: नमी वाले स्थानों में नमी वाले, चिकनाई युक्त, ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन करना मना होता है। मौसम की दृष्टि से: जाड़ों में ठंडी और रुखी चीजें खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है। पाचन की दृष्टि से: मंदाग्नि वाले व्यक्ति को भारी, चिकनाई युक्त, ठंडे और मधुर रस वाले या मिठास युक्त भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। मात्रा की दृष्टि से: शहद और घी का समान मात्रा में सेवन करना विष के समान है, पर अलग-अलग मात्रा में सेवन करना अमृत माना गया है। पकाने की दृष्टि से: जैसे, खट्टे पदार्थों को तांबे या पीतल के बर्तन में पका कर खाना।
पाचन के आधार पर: कुछ लोगों का पाचन तंत्र बहुत खराब होता है, जिसकी वजह से वे बहुत सख्त मल का त्याग करते हैं। आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज से पीड़ित हैं और उन्हें मलत्याग करने में कठिनाई होती है। ऐसे लोगों को कब्ज बढ़ाने वाली, वात और कफ बढ़ाने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। शारीरिक अवस्था की दृष्टि से: अधिक चर्बी वाले यानी मोटे व्यक्तियों को चिकनाई युक्त पदार्थों (घी, मक्खन, तेल आदि) का सेवन तथा कमजोर लोगों को रुक्ष और हल्के (लघु) पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
निषेध की दृष्टि से: कुछ विशेष पदार्थों के सेवन के बाद उनके कुप्रभाव से बचने के लिए किसी अन्य विशेष पदार्थ का सेवन अवश्य करना चाहिए या उसके बाद किसी पदार्थ का सेवन एकदम नहीं करना चाहिए। इस नियम का उल्लंघन करना निषेध की दृष्टि से विरुद्धाहार है। जैसे, घी के बाद ठंडे जल आदि पदार्थों का सेवन करना, जबकि घी के बाद गर्म जल या गर्म पेय लेने का नियम है। संयोग की दृष्टि से: कुछ पदार्थों को एक-साथ या आपस में मिला कर खाना संयोग की दृष्टि से विरुद्धाहार है, जैसे खट्टे पदार्थों को दूध के साथ खाना, दूध के साथ तरबूज और खरबूजा खाना, दूध के साथ लवण युक्त पदार्थों का सेवन करना।
भोजन में असंगति
कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिनका कुछ चीजों के साथ बिल्कुल मेल नहीं बैठता। इसलिए उन्हें आपस में मिला कर कभी नहीं खाना चाहिए। जैसे-
दूध के साथ: दही, नमक, मूली, मूली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, नींबू, करौंदा, जामुन, अनार, आंवला, गुड़, तिलकुट, उड़द, सत्तू, तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई, मछली आदि चीजें न खाएं।
दही के साथ: खीर, दूध, पनीर, गर्म पदार्थ, खीरा, खरबूजा आदि न खाएं। खीर के साथ कटहल, खटाई (दही, नींबू, आदि), सत्तू, शराब आदि न खाएं। शहद के साथ: घी (समान मात्रा में पुराना घी), वर्षा का जल, तेल, वसा, अंगूर, कमल का बीज, मूली, ज्यादा गर्म जल, गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ, चीनी से बना शर्बत आदि चीजें न खाएं। शहद को गर्म करके सेवन करना भी हानिकारक है। ठंडे जल के साथ घी, तेल, गर्म दूध या गर्म पदार्थ, तरबूज, अमरूद, खीरा, ककड़ी, मूंगफली, चिलगोजा आदि चीजें न खाएं। चावल के साथ सिरका न खाएं। उड़द की दाल के साथ मूली न खाएं। केले के साथ मट्ठा पीना हानिकारक है। इन सबका विचार करके ही खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
विरुद्ध आहार से रोग
जो लोग ऊपर बताए विरुद्ध आहारों का सेवन करते रहते हैं, उनके धातु दोष और मल आदि विकृत हो जाते हैं। वे चर्मरोग, भोजन विषाक्तता, नपुंसकता, पेट में पानी, बड़े फोड़े, भगंदर, पेट से जुड़ी बीमारियों, कुष्ठ, सफेद दाग, टीबी, जुकाम आदि रोगों का शिकार हो सकते हैं।
हितकारी खाद्य पदार्थ
जिस प्रकार विरुद्ध आहार के सेवन से हानि होती है, उसी प्रकार कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं, जिन्हें आपस में मिला कर खाने से अधिक फायदा होता है। कुछ चीजें स्वभाव में बहुत भारी होती हैं और देर से पचती हैं। ऐसी चीजों को अगर आप उनके हितकारी संयोग वाली चीजों के साथ खाएं तो उन्हें पचाना आसान हो जाता है। ऐसा करने से अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं भी नहीं होती हैं। जैसे भोजन के बाद सौंफ या अजवाइन चबाना भारी चीजों को पचाने में मदद करता है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)