घटना हजारों साल पुरानी है। उन दिनों सूरज और पानी एक साथ रहते थे। वे पक्के दोस्त थे। हमेशा सूरज ही पानी के घर जाता। एक दिन सूरज पानी से कह उठा, ‘प्यारे भाई, तुम कभी मेरे घर क्यों नहीं आते?’
पानी ने जवाब दिया, ‘मेरा परिवार बहुत बड़ा है। अगर हम सब लोग तुम्हारे यहां आ गए, तो तुम्हें अपना घर छोड़ना पड़ जाएगा।’
सूरज बोला, ‘तुम इसकी चिंता मत करो। मैं एक बहुत बड़ा सा घर बनवा लूंगा।’
पानी ने जवाब दिया, ‘इतना कष्ट करने की क्या जरूरत है? तुम मेरे घर आए या मैं तुम्हारे घर गया, इससे फर्क क्या पड़ता है?’
सूरज बोला, ‘मैं बहुत दिनों से नया घर बनवाने की सोच रहा था। पर किसी न किसी वजह से यह काम अब तक टलता ही रहा। अब मैं फौरन नया घर बनवाना शुरू करूंगा।’
पानी ने कहा, ‘प्यारे दोस्त, मेरा एक सुझाव सुन लो। जब अपना नया घर बनवाओ, तब उसका आंगन बहुत बड़ा रखना।’
सूरज बोला, ‘चिंता मत करो। जब आओगे, तब घर देख कर तबीयत खुश हो जाएगी।’
सूरज एक दिन अपनी पत्नी चंदा से बोला, ‘आज मैं तुम्हें खुशखबरी सुनाना चाहता हूं।’
चंदा बोली, ‘वह क्या?’
सूरज ने कहा, ‘कल से हम अपना नया घर बनवाना शुरू करेंगे।’
चंदा बोली, ‘बहुत अच्छी बात है। लेकिन तुम्हारे मन में यह विचार आया कैसे?’
सूरज ने सारी बात बता दी। सूरज नया घर बनवाने में जुट गया। उसने खूबसूरत घर बनवाया। एक दिन उसने पानी को घर आने का निमंत्रण दिया। पानी चाहते हुए भी मना नहीं कर सका।
अगले दिन पानी अपना पूरा परिवार ले कर सूरज के घर पहुंचा। सूरज को आवाज दी। फिर कहा, ‘मैं सपरिवार आया हूं। अगर सब लोग अंदर आ जाएं, तो कोई परेशानी तो नहीं होगी?’
सूरज ने उत्तर दिया, ‘परेशानी कैसी? एकदम नया घर है। अपने परिवार सहित अंदर चले आओ।’
पानी अंदर घुसा। ढेर सारी मछलियां, झींगें, केकड़े और न जाने कितनी तरह के जलीय जंतु उसके साथ-साथ चले। अभी पूरा परिवार अंदर तक घुसा भी नहीं था कि घुटनों तक की जगह घिर गई।
पानी ने फिर आवाज लगाई, ‘प्यारे दोस्त, अच्छी तरह देख लो कि सारे परिवार का अंदर आना ठीक भी है या नहीं।’
सूरज बोला, ‘किसी तरह का सोच-विचार मत करो। एकदम अंदर चले आओ।’
पानी सपरिवार अंदर घुसता गया। सिर तक की जगह घिर गई, फिर भी परिवार पूरा न आ पाया।
उसने फिर पूछा, ‘क्या तुम यह चाहते हो कि मैं अपना पूरा परिवार ले कर अंदर आऊं?’
इस बार सूरज और उसकी पत्नी चंदा ने एक साथ जवाब दिया, ‘हां, भाई, सब अंदर आ जाएं।’
यह सुन पानी सपरिवार अंदर बढ़ता गया। सूरज और चंदा को छत पर जाना पड़ा। पानी ने फिर से अपना पुराना प्रश्न दोहराया। सूरज की ओर से भी पहले वाला जवाब आया। पानी का परिवार अंदर घुसा तो सूरज और चंदा को छत भी खाली करनी पड़ी। वे दोनों आकाश में चले गए। कहते हैं तब से वे दोनों वहीं रहते हैं।

नरेंद्र देवांगन