आप में से जिन लोगों ने कभी गर्दन और कंधों की अकड़न की तकलीफ झेली होगी, वे जानते होंगे कि इसमें किस तरह पूरी दिनचर्या जकड़ जाती है। मेडिकल की भाषा में इस समस्या को ‘फ्रोजन शोल्डर’ कहते हैं। यह क्यों होता है, इसे समझ लें, तो इस तकलीफ से पार पाने में काफी सुविधा होगी। कंधा तीन हड्डियों से बना होता है- ऊपरी बांह (ह्यूमरस), शोल्डर ब्लेड (स्कैपुला), और ‘कालरबोन’ यानी हंसली। इन्हें एक छोटी गोली जोड़ती है। कंधे के जोड़ के आसपास के ऊतकों को ‘शोल्डर कैप्सूल’ कहते हैं। तकलीफ यहीं से शुरू होती है।

लक्षण

इस समस्या में कंधा अक्सर धीरे-धीरे अकड़ता जाता है। इसमें, ‘शोल्डर कैप्सूल’ बहुत मोटा और कड़ा हो जाता है, जो समग्र गति में बाधा उत्पन्न करता है। ज्यादातर मामलों में इससे जल्दी छुटकारा मिल जाता है, मगर कुछ मामलों में इसमें एक से दो साल तक का समय लग सकता है। कंधे की अकड़न तीन चरणों में धीरे-धीरे विकसित होती है और प्रत्येक चरण कई महीनों तक चल सकता है।

अकसर ऐसा होता है कि जब हम सोने के बाद उठते हैं तो कंधे में अकड़न और दर्द महसूस होता है। आमतौर पर यह दर्द कुछ देर में या थोड़ा हिलाने-डुलाने के बाद अपने आप ठीक हो जाता है। मगर कई बार यह समस्या लंबे समय तक परेशान करती है। चिकित्सीय भाषा में इस दर्द को ‘एडहेसिव कैप्सूलाइटिस’ कहा जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह समस्या आमतौर पर पैंतीस से साठ वर्ष की आयु वर्ग के लोगों को होती है। मधुमेह, थायराइड और हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों में इसके मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं।

‘फ्रोजन शोल्डर’ की समस्या में कंधे से लेकर गर्दन तक में धीरे-धीरे दर्द शुरू होता है, जो बाद में बढ़ता जाता है। कुछ समय के बाद यह आपके पूरे कंधे को जाम कर देता है। कई बार दर्द इतना बढ़ जाता है कि बांह को ऊपर उठाने में भी परेशानी होती है और रोज के काम करने में मुश्किल होने लगती है। इस समस्या में सही समय पर इलाज न कराने से मरीज की परेशानियां बढ़ जाती हैं, इसलिए सही समय पर इसके लक्षणों को पहचान कर इलाज कराना बहुत जरूरी होता है।

निदान

‘फ्रोजन शोल्डर’ का निदान करने के लिए शारीरिक परीक्षण और ‘इमेजिंग’ का उपयोग किया जाता है। इसकी वजह थायराइड विकार, मधुमेह, कंधे की चोट आदि भी हो सकती है। दर्द से छुटकारा पाने और कंधे की गतिशीलता ठीक करने के लिए फिजियोथेरेपी बहुत कारगर साबित होती है।

इलाज

वैसे तो आमतौर पर लोग फ्रोजन शोल्डर के दर्द से राहत पाने के लिए दर्द निवारक लेते हैं। मगर इसमें दर्द निवारक लेना दूसरी कई तरह की समस्याओं को भी बढ़ा सकता है। इसलिए इस समस्या में आयुर्वेदिक उपचार को बहुत कारगर माना जाता है। इन घरेलू उपायों से इस समस्या से राहत पा सकते हैं-

तिल का तेल और लौंग

फ्रोजन शोल्डर में दर्द और अकड़न से राहत पाने के लिए लौंग और तिल का तेल बहुत फायदेमंद है। तिल के तेल में एंटी-इन्फेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन कम करने में मदद करते हैं। वहीं लौंग भी दर्द से राहत दिलाने में कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए दो सौ ग्राम तिल के तेल में बीस ग्राम लौंग डाल कर पका लें। इस तेल से कंधों की मालिश करें, दर्द से जल्द आराम मिलेगा।

अजवाइन और सेंधा नमक

अजवाइन और सेंधा नमक भी फ्रोजन शोल्डर का इलाज करने में असरदार साबित हो सकते हैं। अजवाइन में थाइमोल की मात्रा अधिक होती है, जो दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। सेंधा में मौजूद तत्व भी दर्द को कम करने के लिए फायदेमंद हैं। फ्रोजन शोल्डर में आप सूती कपड़े में अजवाइन और सेंधा नमक डालें और इसे बांधकर एक पोटली बना लें। इस पोटली को तवे पर गर्म कर प्रभावित हिस्से की सेंक करने से फ्रोजन शोल्डर में बहुत अधिक लाभ होता है।

इसके अलावा इस परेशानी से राहत पाने के लिए सोंठ, अश्वगंधा, मेथी दाना और शल्लकी का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये सभी चीजें दर्द और अकड़न से राहत दिलाने में काफी फायदेमंद हैं। इन जड़ी-बूटियों में पाए जाने वाले तत्व दर्द और अकड़न से राहत दिलाते हैं और फ्रोजन शोल्डर के इलाज में काफी प्रभावी हैं। इसके लिए दस ग्राम सोंठ, सौ ग्राम अश्वगंधा, बीस ग्राम मेथी दाना और साठ ग्राम शल्लकी लें। सभी चीजों को मिला लें और तीन से पांच ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध से लें। इससे कंधे में दर्द और अकड़न से जल्द आराम मिलेगा।

व्यायाम

कंधों की जकड़न में व्यायाम बहुत राहतकारी साबित होता है। इसके लिए धीरे-धीरे कंधों को चक्राकार घुमाएं। दीवार से सट कर खड़ें हों और बांह से दीवार पर दबाव डालें। ऐसा तीन से चार बार करें। कमर से नब्बे अंश पर झुक जाएं और बाहों को नीचे लटका दें। बिल्कुल ढीला छोड़ें और दाएं से बाएं और बाएं से दाएं घड़ी के पेंडुलम की तरह बारी-बारी चलाएं। इससे इस समस्या से राहत मिलती है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)