आम जासूसी कहानियों की बात हो तो आज भी भारतीय फिल्म निर्देशकों के लिए कोलकाता की गलियां, सड़कें और वहां की आबोहवा मुफीद लगते हैं। कोलकाता के कुदरती सेट पर जासूसी कहानियों का रहस्य और रोमांच सजीव हो उठता है। साधारण से दिखते लोगों के बीच से असाधारण कहानियां निकलती हैं। जब पूरी दुनिया में शरलाक होम्स के जासूसी उपन्यासों का जलवा था तब बंगाल के शरदेंदु बंदोपाध्याय ने ब्योमकेश बक्शी के रूप में बाबू मोशाय को जासूसी किरदार के रूप में उतारा। शरदेंदु बांग्ला सिनेमा के साथ बालीवुड में भी सक्रिय थे। उन्होंने कई लघुकथाएं और उपन्यास लिखे। उनकी चर्चित कृतियों में ब्योमकेश बक्शी ने अमरता सी हासिल कर ली।
किरदार में कहीं कोई विदेशी नकल नहीं थी
जब शरदेंदु बंदोपाध्याय ने ब्योमकेश के व्यक्तित्व को खड़ा कर दिया तो वह कहीं से भी किसी विदेशी किरदार की नकल नहीं लग रहा था। धोती-कुर्ता वाला शांत-सौम्य और एक ठहराव वाला जासूस। अपराध की गुत्थियों को हल करते वक्त अपने आस-पास के समाज का तार्किक विश्लेषण करता। ब्योमकेश बक्शी के साथ अपराध कथा सामाजिक विश्लेषण करती थीं।
शरदेंदु बंदोपाध्याय ने तीस के दशक से ब्योमकेश बक्शी की लगभग 32 कहानियां लिखीं। हर कहानी में ऐसी कसी हुई गुत्थी थी जो पाठकों को बांध देती थी। ब्योमकेश बक्शी के किरदार के साथ उनकी पहली कहानी ‘सत्यान्वेशी’ और आखिरी कहानी थी ‘लोहार बिस्किट’ (लोहे का बिसकुट)। ब्योमकेश बक्शी का साधारण सा अंदाज ही इस किरदार को अपने समय में असाधारण बना गया था। ब्योमकेश बक्शी की जासूसी गुत्थी आमतौर पर मानव व्यवहार से जुड़ी होती थी।
कौन थे ‘चंद्रकांता’ के बाबू देवकीनंदन खत्री? तिलिस्म का वह जादूगर जिसने हिंदी पढ़ने को कर दिया मजबूर
ब्योमकेश की जासूसी कहानियों को तुरंत ही ख्याति मिल गई। जल्दी ही इसकी तरफ फिल्मकारों की नजर पड़ी। शरदेंदु बंदोपाध्याय ने ब्योमकेश के किरदार के साथ कहानियों को इस तरह कसावट से बुना था जो सिनेमा के साथ टीवी धारावाहिक के लिए अनुकूल था। ब्योमकेश बक्शी पर आधारित पहली फिल्म1942 में ‘चिड़ियाखाना’ के नाम से आई थी। नब्बे के दशक में दूरदर्शन ने ब्योमकेश बक्शी की जासूसी कहानियों पर आधारित धारावाहिक का निर्माण किया। बक्शी के किरदार के रूप में रजित कपूर अपनी मुकम्मल पहचान बना गए। 1993 से लेकर 1997 तक के अंतराल में चालीस मिनट के इस धारावाहिक ने दर्शकों को अपने साथ बांध लिया था। 32 कड़ियों का यह धारावाहिक दो भागों में आया था। निर्देशक बासु चटर्जी ने रजित कपूर, केके मेनन और सुकन्या कुलकर्णी से बेहतरीन काम लिया था।
ब्योमकेश के किरदार पर आधारित धारावाहिक की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 28 मार्च 2020 को कोरोना संक्रमण के कारण जब पूरे देश में 28 दिनों की तालाबंदी हुई थी तो दूरदर्शन ने रामायण की तरह इसका भी पुनर्प्रसारण किया था।