बरसों से राजनीति और राजनीतिकों पर लिखने के बाद मेरा अनुभव यह रहा है कि राजनीतिकों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है। पहली श्रेणी में हैं, वे लोग जो सिर्फ राजनीति करते हैं। दूसरी श्रेणी में हैं वे लोग जो न सिर्फ राजनीति करते हैं, उसके बारे में सोचते भी हैं, उसकी गहराइयों को समझने के लिए। इस दूसरी श्रेणी में मेरे कुछ मुट्ठी भर दोस्त हैं, जिनके साथ मैं उस समय बातचीत करने जाती हूं, जब कोई नई चीज दिखने लगती है भारत के राजनीतिक रंगमंच पर। इसलिए जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे और समझना मुश्किल था कि देश को किस दिशा में ले जाने वाले हैं तो मैंने इस दूसरी श्रेणी के एक दोस्त के साथ लंबी बातचीत की।

दोस्त ने बताया मोदी के भविष्य की सच्चाई

मेरा यह दोस्त कई वर्षों से कांग्रेस पार्टी में रहा है और इस दौरान कई सरकारों में मंत्री भी रहा है। ये वे दिन थे जब मैं मोदी भक्त हुआ करती थी इस उम्मीद से कि मोदी वास्तव में अपने इस बेहाल देश का भला कर सकते हैं ‘लुटियंस’ दिल्ली की राजनीतिक सभ्यता में बदलाव लाकर। ऐसे लोगों को राजनीति में लाकर जो अपने परिवार के लिए नहीं, देश के लिए काम करना चाहते हैं। उस समय तकरीबन पूरा देश मोदी भक्ति के नशे में उम्मीदों से कुछ पागल-सा हो गया था। महा-परिवर्तन की आशा सबको थी। मोदी ने तब तक कोई बड़ी गलती नहीं की थी और न ही उनके आने से देश में दंगे फैल चुके थे, जिसकी भविष्यवाणी वामपंथियों ने बहुत बार की थी। ये वे दिन थे जब वास्तव में लग रहा था कि मोदी अपने परिवर्तन और विकास लाने के वादे पूरा करेंगे।

मुझे मेरे इस कांग्रेसी दोस्त ने अपने घर खाने पर बुलाया था। याद है मुझे कि सर्दी का मौसम था और उसके सरकारी बंगले को धुंध ने घेर रखा था। लेकिन घर के अंदर रोशनी थी और ठंड से बचने के लिए हीटर लगे हुए थे। एक हीटर के पास बैठ कर हम बातें कर रहे थे। मैंने जब उसको याद दिलाया कि मोदी के आने से न वे दंगे हुए थे, जिसकी उसने खुद भविष्यवाणी की थी और न ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत फैली थी तो उसने जवाब इन शब्दों में दिया। ‘थोड़ा इंतजार करो। जब मोदी को लगेगा कि उनकी लोकप्रियता में कमी आ गई है और वे अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लगेंगे, तब देखना वे किस तरह हिंदुत्व को अपना मुख्य मुद्दा बनाएंगे’।

महाराष्ट्र और झारखंड में मोदी के भाषण खास रहे

उनकी बात मैंने कभी भुलाई नहीं, लेकिन इस सप्ताह खास याद आ रही है महाराष्ट्र और झारखंड में प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री के भाषण सुनने के बाद। इस लेख को लिखते हुए मेरे कानों में गूंज रहा है उनका नारा ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’। इस नारे को मोदी इतनी बार दोहरा चुके हैं कि शायद ही किसी आम सभा को उन्होंने संबोधित किया हो जिसमें उन्होंने मंच से न कहा हो ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’। कई बार पहले तीन शब्द कहकर अपने श्रोताओं से ‘सेफ रहेंगे’ कहलवाते हैं जैसे कभी ‘वंदे’ के बाद ‘मातरम्’ कहलवाते थे।

इस नारे ने योगी आदित्यनाथ के ‘कटेंगे तो बटेंगे’ वाले नारे को पीछे छोड़ दिया है इतना कि अब योगी खुद अपनी आम सभाओं में अपने नारे के साथ मोदी का नारा जोड़ देते हैं। अगर आप अभी तक समझे नहीं हैं कि ‘सेफ’ किसको रहना है और ‘काटने’ का काम कौन करनेवाले हैं तो स्पष्ट कर देती हूं आपके लिए कि बात जातियों में बांटने की नहीं कर रहे हैं मोदी बावजूद इसके कि भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ऐसे कहते फिर रहे हैं इन दिनों टीवी चर्चा में। बात हो रही है हिंदुओं और मुसलमानों को बांटने की, ताकि हिंदुओं का एक मजबूत वोट बैंक बन जाए भाजपा के लिए।

लगता है इसकी जरूरत महसूस हो रही है मोदी को इसलिए कि हरियाणा जीतने के बावजूद वे भूले नहीं हैं कि लोकसभा चुनावों में इस बार पूरा बहुमत उनको नहीं मिला था। नुकसान सबसे ज्यादा हुआ था उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में। उत्तर प्रदेश में भाजपा की लोकसभा सीटें 2019 में 62 थीं जो इस लोकसभा में आधी होकर 33 तक गिर गई हैं। महाराष्ट्र में जहां 2019 में भाजपा ने 23 लोकसभा सीटें जीती थीं, अब सिर्फ नौ रह गई हैं। इस नुकसान को मोदी किसी हाल में महाराष्ट्र के विधानसभा में नहीं देखना चाहते हैं। इसलिए हिंदुत्व का सहारा लिया जा रहा है।

बिल्कुल वैसे हो रहा है जैसे मेरे कांग्रेसी दोस्त ने 2014 में कहा था कि होगा। मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में स्वच्छ भारत, जनधन और उज्ज्वला जैसी योजनाओं पर बल दिया था। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में हिंदुत्व उनका सबसे बड़ा हथियार बन गया है। जब भी कांग्रेस के साथ उनकी स्पर्धा मुश्किल होने लगती है, मोदी उस पर मुसलिम-परस्त होने का इल्जाम लगा देते हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस अब पाकिस्तान की भाषा बोलने लग गई है। इस इशारे को समझ कर उनके प्रवक्ता और वफादार सिपाही जगह-जगह मुसलमानों को निशाना बनाते दिख रहे हैं। महाराष्ट्र में औरंगजेब के जुल्म याद कराए जा रहे हैं और कांग्रेस पर आरोप लगाया जा रहा है कि पिछड़ी जातियों और दलितों के आरक्षण को नुकसान करके मुसलमानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।

ऐसा करने से शायद भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में अपनी मिलीजुली महायुति सरकार को बचा ले जाएगी, लेकिन जो नफरत फैलाई जा रही है मुसलमानों के खिलाफ, उसका चुनाव के बाद जो नुकसान होगा, उसका हिसाब करना मुश्किल है। सवाल यह है कि बांट कौन रहा है, क्या मोदी जानते नहीं हैं?