पिछले हफ्ते जिस सुबह अफरोजुल की हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, राजस्थान की मुख्यमंत्री ने यह ट्वीट किया अपनी दो तस्वीरों के साथ- ‘आज सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर जिला कल्याण अधिकारी चिड़ावा (झुंझुनू) कमांडर एमए राठौड़ ने झंडा लगा कर, साथ मनाया। इस अवसर पर सैनिक कल्याण सहयोग राशि भी मैंने उन्हें प्रदान की।’ अफरोजुल की हत्या राजसमंद में इतनी बेरहमी से की गई थी कि वीडियो देखना मुश्किल था। पहले उसको शंभुलाल रैगर नाम के व्यक्ति ने कुल्हाड़ी से मारा और फिर उसे जिंदा जलाया। हत्या करने के बाद उसने गर्व से विडियो पर कहा कि उसने ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए ऐसा किया है। वीडियो उसने अपने चौदह साल के भतीजे से बनवाई।
शाम तक इतना वायरल हो गया था यह वीडियो कि दिल्ली में मेरे कई पत्रकार दोस्त तय करने में लग गए थे कि अफरोजुल की हत्या ज्यादा अहमियत रखती है या मणिशंकर अय्यर का प्रधानमंत्री को ‘नीच’ कहना। लेकिन राजस्थान की मुख्यमंत्री की तरफ से एक भी ट्वीट नहीं देखने को मिली। मेरी पुरानी दोस्त हैं वसुंधरा राजे। मैं उनको तबसे जानती हूं जब वे राजनीति में नहीं थीं और इस लंबे अरसे में मैंने कभी नहीं सोचा था कि उनमें मामूली इंसानियत भी नहीं है। मैं उनकी तरफ से शर्मिंदा हूं। प्रधानमंत्री उस दिन गुजरात में चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, लेकिन इतने व्यस्त भी नहीं कि उनको मालूम नहीं था कि देश में क्या हो रहा है। श्री अय्यर के मुंह से ‘नीच’ शब्द क्या निकला कि उनके अगले भाषण का हिस्सा बन गया। जोश में आकर बार-बार दोहराया उन्होंने कि मुझे नीची जाति का कहते हैं ये लोग, मुझे नीच कहते हैं। लेकिन अफरोजुल की हत्या के बारे में एक शब्द नहीं कहा। अफसोस इस बात का भी है मुझे कि ऐसी हत्याएं इतनी आम हो गई हैं कि हम पत्रकार भी इनको अहमियत नहीं देते हैं अब। सो टीवी की चर्चाएं उस शाम अय्यर साहब की नीचता पर थीं ज्यादातर, अफरोजुल की हत्या पर नहीं। अगले दिन के अखबारों ने तो तकरीबन पूरी तरह इस हत्या को भुला दिया।
ट्विटर के हिंदुत्व योद्धाओं ने लेकिन खूब याद किया गर्व से। कइयों ने हत्यारे को शाबाशी दी और कइयों ने कहा कि मुसलमानों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। पिछले तीन वर्षों में देश में ऐसा माहौल बन गया है, जिसमें हिंदुत्ववादी हत्यारे हीरो बन गए हैं और मुसलमानों के खिलाफ नफरत इतनी बढ़ गई है कि एक गरीब मुसलिम मजदूर की निर्मम हत्या को देख कर हिंदुत्व मिजाज के लोग खुश होते हैं, दुखी नहीं। अगर पूछा जाए कि ऐसा माहौल किसने बनाया है, तो अंगुली उठती है नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रियों की तरफ। इन्होंने गोहत्या और लव जिहाद जैसे मुद्दों को इतनी प्राथमिकता न दी होती, तो शायद आज मुसलमानों को विश्वसस होने लगा होता कि प्रधानमंत्री वास्तव में ‘सबका साथ, सबका विकास’ चाहते हैं। सच तो यह है कि संघ परिवार के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि मुसलमानों को सिखाया जाए हर तरह से कि वे इस देश में तभी रह सकेंगे जब वे स्वीकार कर लेंगे कि भारत में वे अव्वल दर्जे के नहीं, दूसरे दर्जे के नागरिक हैं। मोहम्मद अखलाक की हत्या के कुछ दिन बाद मेरी मुलाकात एक वरिष्ठ आरएसएस नेता से हुई थी। मैंने जब इस हत्या के बारे में बात छेड़ी तो इस व्यक्ति ने मुझे इन शब्दों में जवाब दिया- ‘अच्छा है कि हिंदू कम से कम वार करने को आजकल तैयार हो गए हैं। पहले सिर्फ सहा करते थे मुसलमानों के वार।’ अन्य संघियों से जब भी मेरी बात हुई है, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हिंदुओं में क्षात्र धर्म को फिर से जीवित करने की आवश्यकता है। क्या इस तरह जीवित होगा क्षात्र धर्म? भीड़ में आकर निहत्थे मुसलमानों को मारना बहादुरी है कि कायरता? मेरी नजर में कायरता है, लेकिन अभी तक हम नहीं जानते कि प्रधानमंत्री के इस बारे में विचार क्या हैं।
गोरक्षकों और लव जिहाद वालों ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव इतना पैदा कर दिया है कि भारत के भविष्य को खतरा दिखने लगा है। इस समय अगर प्रधानमंत्री नेतृत्व दिखा कर अपने हिंदुत्व समर्थकों को काबू में लाने की कोशिश नहीं करते हैं तो अच्छे दिनों के बदले बहुत बुरे दिन आने वाले हैं। यकीन के साथ कहती हूं कि मोदी अगर इशारा करते हैं अपने मुख्यमंत्रियों को कि इस तरह की हिंसा रोकनी है उन्हें, तो कुछ ही दिनों में रुक सकती है। माना कि कुछ कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी लोग मोदी से दूर होने लग जाएंगे, लेकिन प्रधानमंत्री को तय करना है कि वे देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।
दो रास्ते हैं भारत के सामने। एक रास्ता है हिंदुत्व हिंसा और हिंदू-मुसलिम तनाव का, जो हद से बढ़ गया अगर तो देश फिर से टूट सकता है इस्लाम के नाम पर। दूसरा रास्ता वह है, जिसके कारण मोदी को पूर्ण बहुमत मिला था 2014 में, परिवर्तन और विकास का रास्ता, एक आधुनिक, डिजिटल भविष्य का रास्ता, जिस पर चल कर हम सपना देख सकते हैं कि अपने पुराने दुश्मन देश चीन की तरह हम भी एक दिन विश्व की आर्थिक महाशक्ति बन सकते हैं। इस दूसरे रास्ते पर अगर भारत को चलना है तो अफरोजुल जैसे मुसलमानों की हत्याएं बंद करनी होंगी। प्रधानमंत्री वास्तव में इस देश का भला करना चाहते हैं, तो उनको यह दूसरा रास्ता चुनना ही होगा। वरना वह दिन दूर नहीं, जब भारत एक हिंदू पाकिस्तान में तब्दील हो जाएगा और पाकिस्तान की तरह हम भी पीछे एक भूले हुए अतीत की तरफ चलने लगेंगे, आगे नहीं।