साल भर सबसे आगे रहने वाला आपका चैनल दिखाएगा आपको सबसे पहले हर पल शपथ ग्रहण समारोह की खबर।
– सबसे प्रामाणिक और सबसे जल्दी खबर देगा आपका यह प्रिय चैनल कि किसका भाग्य खुलेगा?
– अरे, वो क्या देगा असली खबर! वह भी सबसे तेजी से देंगे हम, बस कृपा बनाए रहिए, देखते रहिए हमें। एक से एक विशेषज्ञ बताएंगे आपको हर खबर के अंदर की बात।
– ये है आपका लाडला नंबर वन चैनल। दूरदर्शन हमें लाइव फीड देगा, उसे लेकर हम आपको बताएंगे कि किसके भाग्य में क्या लिखा है?
इस तरह पहली खबर देने वाला रहा दूरदर्शन और उससे उधार लेकर बताने वाले रहे निजी चैनल।
तब भी हर चैनल दावा करता रहा कि हम देंगे सबसे पहले भव्य शपथ ग्रहण समारोह की सबसे पहली खबर!
सबके पास होती है दूरदर्शन से उधार ली खबर, लेकिन बेचते ऐसे हैं, जैसे वह उन्हीं की लाई खबर हो!
जिस तरह सब्जी वाला बेचता है सब्जी पर पानी मार मार कर, उसी तरह हमारे चैनल बेचा करते हैं दूरदर्शन से उधार ली खबर पानी मार मार कर।
पापी पेट के वास्ते क्या क्या नहीं करना पड़ता? सुबह सजधज कर कैमरों के आगे आकर सिर्फ बोलते रहना है कि आज बनेगा इतिहास। आप बने रहिए हमारे साथ इतिहास के गवाह कि कौन बनेगा मंत्री, कौन बनेगा नंबर दो, नंबर तीन, चार…
तीस मई के दिन सारे चैनल यही कयास भिड़ाने में लगे रहे और जब शपथ ग्रहण समारोह हो चुका तो करने लगे व्याख्याएं कि किसे क्या मिलेगा?
शपथ समारोह के दौरान समूचा राष्ट्रपति भवन और प्रांगण तिरंगी रौशनियों में नहाया रहा। एक से एक नामी मेहमानों को कैमरे दिखाते और कहते कि ये आ रहे हैं केजरीवाल और मनीष सिसोदिया, ये रहे पूर्वमंत्री जी! देखो इनको क्या मिलता है? ये हैं वहां के राज्यपाल जी, ये रहे कल्याण सिंह जी, ये रहे रजनीकांत, ये रहीं कंगना रनौत और ये ये वो वो वो… ये आ रही हैं सुषमा जी! क्या मंत्री बनने वाली हैं वे?
कमेंटेटर अपनी कल्पना दौड़ाते रहे। ये रहे मॉरीशस के महामहिम, ये बांग्लादेश के, ये श्रीलंका के… पाकिस्तान का पत्ता बिम्स्टेक देशों ने काटा!
समारोह से पहले तक यह खबर चौंकाती रही कि शपथ ग्रहण समारोह में ममता दीदी पधारेंगी, फिर जैसे ही एक चैनल ने खबर दिखाई कि इस समारोह में बंगाल की चुनावी हिंसा में मारे गए चौवन भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजन भी आएंगे, तो ममता जी का आना ‘बायकाट’ में बदल गया। एक अंग्रजी एंकर व्यर्थ में रोंता रहा कि शपथ ग्रहण में भी राजनीति की जा रही है! लेकिन भैये! कहां नहीं हैं राजनीति?
इसके बरक्स राहुल, सोनिया और मनमोहन सिंह को शपथ ग्रहण समारोह में आया देख अच्छा लगा, लेकिन राहुल के रकीब उन एंकरों का कोई क्या करे, जो राहुल की देहभाषा पर ही आपत्ति करने लगे कि देखो वे किस तरह बैठे हैं?
इससे पहले कई एंकर और रिपोर्टर राहुल के इस्तीफे का घटाटोप बनाते रहे, फिर पूछते रहे कि इस्तीफा दिया कि नहीं दिया। कुछ कहते कि दिया था, लेकिन वापस ले लिया। फिर बताने लगते कि वापस नहीं लिया, लेकिन उसे सीडब्लूसी पर छोड़ा। कुछ एंकर फिर भी मजाक उड़ाते रहे कि राहुल का इस्तीफा राहुल ही मान सकते हैं। फिर चुटकी लेते रहे कि कुछ लोग राहुल को मनाने का नाटक कर रहे हैं और ये देखो कुछ हृष्टपुष्ट कांग्रेसी भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं। एक एंकर ने राहुल के लिए एक सही शब्द दिया कि वे ‘कोप भवन’ में हैं! फिर खबर बनी कि राहुल नए अध्यक्ष के बनने तक अध्यक्ष बने रहेंगे।
परिणामों के तुरंत बाद संसद के केंद्रीय कक्ष में मोदी जी का भाषण एक यादगार भाषण रहा। ‘सबका साथ सबका विकास’ के साथ ज्यों ही उन्होंने ‘सबका विश्वास’ और जोड़ा कि ‘चिर अविश्वासियों’ के कान खड़े हो गए। तिस पर एमपी के कुछ लिंचरों ने अपनी नई लिंचलीला से उनको हथियार दे दिया।
एक अंग्रेजी एंकर ने इन लिंचरों से बातचीत भी दी। लिंचरों ने अपने चेहरे रूमाल से ढंके हुए थे, लेकिन वे एकदम बेखौफ होकर बोलते दिखते थे कि लोग जब बीफ ले कर जाते हैं, तो हमें गुस्सा आता है, हम उनको ठोक देते हैं… आप ठोकने वाले कौन होते हैं, के जवाब में एक बोला कि हम प्रशासन को खबर देते हैं। तब ठोकते क्यों हैं? तो बोला कि हम इनको ठोकेंगे। एंकर परेशान होकर कहता रहा कि जब ऐसों को मंत्री माला पहनाते हैं, तो इनके हौसले बढ़ जाते हैं। अंत में उसने इनको देसी ‘कू क्लक्स क्लान’ का नाम दिया!
इसी बीच हरियाणा में एक और ‘हेट क्राइम’ हो गया। एक युवक को उसकी टोपी के लिए पीटा गया। फिर खबर पर लीपापोती होती दिखी कि यह ‘हेट क्राइम’ न होकर ‘तू तू मैं मैं’ का मामला था।
सौ शुभ समाचारों को बेकार करने के लिए ऐसा एक अशुभ समाचार ही काफी होता है। एक कुघटना सारे सीन को बिगाड़ कर रख देती है। जब कोई कुघटना खबर बन कर टीवी के जरिए नाना हाथों में पड़ती है, तो उसके मानी ‘अनंत’ और ‘अनियंत्रित’ हो उठते हैं! आपके नेक इरादे भी अगले पल संदेहास्पद बताए जाने लगते हैं।
चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद एक दाक्षिणात्य दल के मार्फत एक अंग्रेजी चैनल ने लाइन दी कि ‘इंडिया इज नॉट ए हिंदी स्पीकिंग स्टेट’!
सत्यवचन महाराज! भारत अगर ‘हिंदी राज्य’ नहीं है, तो वह ‘तमिल राज्य’ भी नहीं है और न वह ‘अंग्रेजी राज्य’ ही है।
जब चुनाव के परिणामों पर बस न चला, तो हिंदी को ही ठोक दिया! बिना हिंदी के इस देश को चला लोगे क्या? इसीलिए हम विनती करते हैं कि हिंदी को पीटना बंद करें प्लीज!

