एक दिन सत्तापक्ष ने आपातकाल का विरोध करने के लिए ‘25 जून’ को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का फैसला किया। सत्तापक्ष कहिन कि कुर्सी बचाने के लिए आपातकाल लगाकर संविधान खत्म किया गया, विपक्ष के हजारों लोगों को जेल में डाला गया, तो विपक्ष की ओर से जवाब आया कि आज भी तो ‘अघोषित आपातकाल’ है। इन दिनों विपक्ष हर मुद्दे पर ‘फ्रंट फुट’ पर खेलता नजर आता है, जबकि भाजपा ‘बैक फुट’ पर नजर आती है। ये भाजपा के दुर्दिन हैं। ऐसे ही एक दिन भाजपा ने ट्रंप की ‘हत्या की साजिश’ की तरह प्रधानमंत्री की ‘हत्या की साजिश’ का मुद्दा उठाया और फिर वही हुआ, जिसकी उम्मीद थी। एक कहिन कि जिस तरह जो बाइडेन ने ट्रंप के खिलाफ ऐसा ‘नेरेटिव’ बनाया, जिस तरह बहुत-से ‘नफरती भाषणों’ ने ट्रंप को ‘आसान निशाना’ बनाया, उसी तरह प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘नफरती भाषण’ भी ऐसा वातावरण बनाते हैं। अब तक उनको तीन बार ‘निशाना’ बनाया गया है।

कुछ भाजपा नेता ‘हार की मार’ से इतने विचलित दिखते हैं कि ‘मतदाताओं’ को ही निशाने पर लेने लगते हैं। इस क्रम में एक दिन बंगाल के एक भाजपा नेता ने कह दिया कि ‘जो हमारे साथ हम उसके साथ’। फिर बिहार के एक भाजपा नेता ने कह डाला कि हमने उनका ऐसा क्या बिगाड़ा है कि वे हमें वोट नहीं देते। यह शुद्ध ‘आत्ममुग्धता’ और ‘खिसियाहट’ का मिश्रण है, जो इन दिनों बहुत से भाजपा नेताओं की भाषा में दिखता है। सर जी! ये ऐसे ‘दुष्ट दिन’ हैं कि खिसियाने वालों, रोने वालों को कोई ‘भाव’ नहीं देता।

फिर एक शाम भाजपा की हिम्मत बढ़ाने वाली एक ‘खबर’ आई कि ‘एक्स’ (पूर्व नाम ‘ट्विटर’) पर पीएम मोदी के सौ मिलियन ‘फालोअर’ हैं, जो दुनिया में सर्वाधिक हैं। फिर खबर आई कि भोजशाला के सर्वे में मंदिर होने के प्रमाण मिले। आने वाले दिनों में अब इस पर भी कुछ दिन ‘ले-दे’ होनी है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के ‘तलाकशुदा मुसलिम औरत को मुआवजा देने’ के फैसले के खिलाफ ‘मुसलिम पर्सनल ला बोर्ड’ ने अपील करने की बात कही। बहसों ने एक बार फिर सिद्ध किया कि ‘मुसलिम पर्सनल ला बोर्ड’ के नेता अपने पुराने मत से एक इंच भी हटने वाले नहीं।

इसके बाद, हार के कारणों पर ‘आत्ममंथन’ करने की खबरों के साथ उत्तर प्रदेश में भाजपा की ‘अंतर्कलह’ भी चैनलों में व्यक्त हुई। एक बयान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने चेताया कि सरकार को एक खरोंच तक आई… तो दूसरे नेता ने चेताया कि संगठन सरकार से बड़ा था, है और रहेगा। सहयोगी दल के एक नेता ने कहा कि बुलडोजर चलाओगे तो यही होगा।

इसके बाद, उत्तर प्रदेश सरकार के नए एलान की खबर आई कि अब पंतनगर आदि में ‘बुलडोजर’ नहीं चलेगा और शिक्षकों की ‘बायोमेट्रिक उपस्थिति’ की अनिवार्यता के आदेश को भी टाल दिया गया है। इसे देख एक विपक्षी नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा कमजोर हो रही है, कि उत्तर प्रदेश में कठपुतली सरकार चल रही है। एक पत्रकार ने टीप लगाई कि यूपी में ‘कल्याण सिंह पार्ट-2’ चल रहा है। एक चैनल के अनुसार भाजपा ने अपने नेताओं को चेताया कि ‘जो बोलें सावधानी से बोलें’, लेकिन कोई माने तब न! शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश में शुरू हुई ‘अंतर्कलह’ सीधे ‘उत्तराखंड’ पहुंची। वहां एक पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्तमान मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जम कर कटाक्ष किया कि जनता आगे बढ़ गई, हम पीछे रह गए। आप आज यहां हैं, कल पीछे बैठ सकते हैं। पीछे वाले आगे बैठ सकते हैं। मैंने छोड़ा, तब आप आए… फैसलों को थोपो मत… कहीं भी बैठो, जमीन मत छोड़ो। और ऐसे हर वाक्य पर तालियां पड़ती दिखीं। एक एंकर ने कहा कि भाजपा में लगता है ‘जूतम-पैजार’ चल रही है।

फिर एक दिन कर्नाटक सरकार की मार्फत खबर आई कि उसने कर्नाटक में नौकरी करने वाले सभी के लिए ‘कन्नड़ भाषा’ में दक्ष होना जरूरी कर दिया है। ‘नासकाम’ ने इसका तुरंत विरोध किया और कह दिया कि अगर ऐसा किया गया तो सारी कंपनियां बाहर चली जाएंगी। इस धमकी के आगे सरकार ने तुरंत समर्पण कर दिया और इस प्रस्ताव को रोक दिया।

इसके बाद उत्तर प्रदेश का नया फरमान बहसों को गरम करता रहा। फरमान के अनुसार ‘कांवड़ यात्रा’ के मार्ग पर सभी विक्रेताओं और दुकानदारों को अपने नाम लिखकर प्रदर्शित करने होंगे। ओवैसी ने तुरंत कहा कि ये ‘छूआछूत’ है। एक अन्य विपक्षी नेता ने कहा कि यह हिटलर की तर्ज पर ‘प्रोफाइलिंग’ कराना है। भाजपा के एक पूर्व मुसलिम मंत्री तक ने कह दिया कि ऐसा अफसरी आदेश ‘अस्पृश्यता’ को ही बढ़ावा दे सकता है। और अंत में दिखे ‘गुरु जी’ के ‘व्यंग्य वाण’ कि कई ‘सुपरमैन’ बनना चाहते हैं, कई ‘देवता’, फिर ‘भगवान’ बनना चाहते हैं, लेकिन भगवान कहते हैं कि वे विश्वरूप हैं। अब आप खोजते रहिए कि इन ‘दुर्दिनों’ में भी कौन ‘सुपरमैन’ बनना चाहता है, कौन ‘देवता’ बनना चाहता है और कौन ‘भगवान’ बनने के चक्कर में है?