इसे कहते हैं ब्याजनिंदा-प्रोमो। ऊपर से निंदा, अंदर से सराहना। तीन दिन एंकरों ने यही किया। इधर सलमान ने एक लफंगा डॉयलाग मारा, उधर हर एंकर की सलमान निंदा शुरू। दबंगई को नसीहत देने के चक्कर में उनकी रिलीजातुर फिल्म ‘सुल्तान’ का प्रकारांतर से प्रोमो हो गया। ‘शूटिंग की थकान की तुलना बलात्कार की शिकार औरत’ से कर सलमान ने चैनलों को फ्री के विवादी-प्रोमो का जो मसाला दिया, चैनलों ने उसे प्रेमपूर्वक लपक लिया!

सब चैनलों पर चर्चकों के झींकने का-सा फार्मूला रहा। एक ओर एंकर निंदा करता। दूसरी ओर नगमा या शायना एनसी या अन्य दस-बीस सलमान की कुछ निंदा और कुछ स्तुति करते। बीच स्क्रीन में सांड़ जैसी बॉडी दिखाते सलमान मिट्टी के अखाड़े में दूसरे सांड़ जैसे पहलवान को उठा कर पटकते बार-बार दिखते। कभी ऊपर से मुक्का मार कर गिराते दिखते। इसी में उनका निंदनीय ‘रेपोपमा’ लिखी आती कि ‘एक सौ बीस किलो के पहलवान को दस बार उठा कर पटकने के बाद अखाड़े से बाहर निकलता, तो ऐसा लगता जैसे ‘बलात्कार की शिकार औरत’ निकलती हो। यही तो फुलटू प्रोमो का फुटेज था, जिसे तीन दिन तक दिखाया जाता रहा।

कांग्रेस की नगमा और भाजपा की प्रवक्ता शायना एनसी सलमान को लेकर देर तक एकमत दिखीं कि सलमान को वे पर्सनली जानती हैं, वे औरतों की बड़ी इज्जत करते हैं, उनका बयान अनुचित है, लेकिन औरत के अपमान का इरादा नहीं है। दबंग के लफंगे डॉयलाग को बार-बार दिखा कर एंकर सलमान से माफी का आग्रह करते रहे। पुत्रजी संकट में दिखे, तो तुरंत पिताजी बचाने आए। सलीम साहब बोले कि उसका माने वो नहीं था! अब माने न बताइए महाराज! पब्लिक माने सारे जानती है। फ्री का प्रोमो लो और दो सौ करोड़ का इंतजार करो!

तब भी चैनलों ने सलमान का पीछा न छोड़ा। मुंबई एअरपोर्ट पर न्यूज-एक्स रिपोर्टर ने सलमान से पूछा: ‘आप माफी मांगेंगे’ और अंगरक्षकों के बीच सुरक्षित सलमान ने एक तिरछी मुस्कान मारी, मानो कहते हों, अच्छा बेटा हमीं से जोर आजमाइश कर रहे हो? दबंग कहीं माफी मांगा करते हैं?

सलमान के रेप-डायलाग के चक्कर में चैनलों ने योग दिवस को पीट दिया। इस दिन योग ‘योगा’ हो गया और इतनी अति के साथ आया कि लगने लगा कि सारी समस्याओं का हल योगा है। एबीपी ने पाकिस्तान के रामदेव बाबा शमशाद का जल योगासन दिखाया। चीन का कुंगफू योगा दिखा। बाबा रामदेव ने रिकार्ड तोड़ा। एक साथ एक लाख को योगा कराया। चंडीगढ़ में मोदीजी ने योगा के फायदे बताए। आयुष विभाग ने हर चैनल पर योगा दिखाने का टाइम लिया। एक चैनल ने हुलास से कहा कि दो सौ चौंतीस देश योगा दिवस मना रहे हैं, तो दूसरे ने सुधारा कि एक सौ छत्तीस देश मना रहे हैं। दसियों लाख दरी बिक गर्इं। लाखों टी शर्टें बिक गर्इं! और क्या चाहिए योगा महाराजजी को!

इस बीच महाराष्ट्र भाजपा के एक एमएलएजी ने दलित की तुलना सूअर के बच्चे से कर डाली और हवाला लिंकन का दिया, तो क्या माफी मांगी? टाइम्स नाउ का गला सूख गया माफी मंगवाते, लेकिन नहीं आई माफी!

इधर स्वामीजी का हठयोग जारी रहा। राजन को निपटाने का श्रेय लेने के बाद वित्त सलाहकार अरविंद सुब्रहमण्यन पर ट्वीट की मूठ चलाई। जवाब देने बेचारे जेटलीजी को आना पड़ा कि अरविंद ‘असेट’ हैं। तब स्वामीजी ने अगला ‘स्वाहा’ किया: कैसा असेट है? देखेंगे! और लगे हाथ वित्त मंत्रालय के सलाहकार सचिव शशिकांत दास के नाम ‘ओम ह्रीं श्री क्लीं’ कर दिया कि यह आदमी चिंदबरम का मददगार है। जेटलीजी ने फिर ट्वीट कर जवाब दिया कि ऐसा हमला गलत है! लगता है कि कांग्रेस के दिग्विजय सिंह को ‘अंदर की बात’ मालूम रही। उन्हींने इस सत्य का उद्घाटन किया, कहा कि असल निशाना तो जेटली हैं! केसी त्यागी ने कहा: स्वामी ‘मिस गाइडेड मिसाइल’ हैं। क्या पता किधर चल जाएं!

इंडिया टुडे ने लाइन लिखी: ‘हंैगमैन स्वामी’! हैंगमेन यानी ‘जल्लाद’! बावरे चैनल! सावधान! फिर न रोना, स्वामीजी ने गोला दाग दिया!
एक दबंग से पीछा छूटा, तो चीन की दबंगई दरपेश हो गई। सभी चैनल दम लगाए कि पीएम एनएसजी सदस्यता लेकर लौटेंगे। एनडीटीवी ने तो ताशकंद में अपनी रिपोर्टर ही रख दी। लेकिन टाइम्स नाउ ने सबसे पहले बताया कि कोई सहमति बनी ही नहीं, मुद्दे पर विचार हुआ ही नहीं। ब्रेकिंग न्यूज यही रहा कि चीन ही नहीं तुर्की, आयरलैंड, आस्ट्रिया, न्यूजीलैंड और ब्राजील भी भारत के विरोध में हैं। एनपीटी के सवाल उठा रहे हैं। अपनी विदेश नीति का चैनलों में इतना हल्ला और यह असलियत?

इसके आगे अपने देशभक्त चैनल के रोने का टाइम शुरू हुआ। एक रिटायर्ड तीसमारखां पाक का बिठाया, एक अपना विशेषज्ञ बिठाया। विशेषज्ञ ने सलाह दी कि अगर चीन कह रहा है कि हमारे लिए भारत पाक बराबर हैं, तो हमारे विदेश मंत्रालय को सबसे पहले पाकिस्तान को एक्सपोज करना चाहिए और सबको सप्रमाण बताना चाहिए कि किस तरह पाक उत्तरी कोरिया को परमाणु सप्लाई करता रहा है।

केजरीवाल ने सरकार की छवि सुधारने के लिए एक विज्ञापन एजेंसी का सहारा लेने की बात क्या की कि भाजपा, कांग्रेस दोनों हाथ धो के पीछे पड़ गए। दूसरे दल और नेता अपना चेहरा चमकाने के लिए विज्ञापन एजेंसी की फेयर ऐंड लवली लगाएं तो ठीक, आप लगाएं तो कुफ्र! अभय दुबे ने एबीपी पर ऐसे दोहरे मानदंड लगाने वालों को सटीक जवाब दिया! सत्ता दल और जनता के बीच में जब विपक्ष निंदा अभियान चलाना हो तब विज्ञापन एजेंसी ही सहारा है। सब करते हैं। लेकिन विपक्ष करे तो ठीक, लेकिन ‘आप’ करे तो अपराध! यह क्या तर्क हुआ भाईजी!

इस बीच बेचारे उदारचरित ब्रिटेन का स्वाहा हो गया। यूरोपियन यूनियन से ‘निष्क्रमण’ को वोट देने वाले बहुमत में रहे। ‘ब्रेक्जिट’ होते ही विश्व बाजार लुढ़का। पाउंड लुढ़का। अपना सेंसेक्स आठ सौ बिंदु लुढ़का। एक डॉलर के मुकाबले रुपया छियानबे पैसे गिरा। चैनल निष्क्रमण की व्याख्या में लगे रहे।