एक बार फिर ‘हिटलर’ आ गया, ‘फासिस्ट’ आ गया, ‘डेमोक्रेसी’ का ‘दुश्मन’ आ गया। हाय! अमेरिका तो गया! एक ‘खतरनाक आदमी’ फिर से जीत गया। अमेरिकी जनता ने अपने वोट से उसे फिर जिता दिया। सुबह कमला हैरिस जीत रहीं थी, तो लगता था कि डोनाल्ड ट्रंप ‘गए’, लेकिन दोपहर तक हर चैनल पर डोनाल्ड ट्रंप ही जीत रहे थे और रिकार्डतोड़ जीते भी! ट्रंप जी के नारे काम कर गए कि अमेरिका को फिर से महान राष्ट्र बनाना है, खतरनाक घुसपैठियों को निकालना है, आयात पर टैक्स बढ़ाना है, अपने उद्योगों को मजबूत करना है!
एक दिन डोनाल्ड जी नाचते-मटकते कहते दिखे कि ‘कमला… यूआर फायर्ड… गेट आउट कमाला..! कमला जी की अट्ठहासी हंसी हर चैनल पर अनेक जगह गूंजती दिखी। दुनिया भर को हिलाने-डुलाने वाले हालीवुड सेलीब्रिटी और मीडिया खिलाड़ी, जैसे ओप्रा विनफ्रे, जेनिफर लोपेज, लेडी गागा, रिहाना, हैरीसन फोर्ड, केट पेरी, श्वार्जनेगर, ‘अवेंजर’ सीरीज के सारे हीरो-हीरोइनें जैसे स्कारलेट जानसन, राबर्ट डाउनी, क्रिस ईवांस… आदि सब कमला जी के पक्ष में लगे दिखते रहे, जबकि डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में ‘एक्स’ के एलन मस्क, डब्लूडब्लूएफ के पहलवान हल्क होगान और सेलीब्रिटी डाना वाइट जैसे गिनती के लोग रहे।
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सारे सर्वेक्षण अंत तक कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच ‘कांटे की टक्कर’ बताते रहे, लेकिन जब नतीजे आए तो मालूम हुआ कि ट्रंप ने कीर्तिमान बना दिया है। एक हारा हुआ फिर जीतकर आया। अब वहां की बहसें वहीं छोड़ें, अपनी बहसों पर ध्यान लगाएं। दो चैनलों ने साफ कहा कि यह परिणाम अपने यहां के ‘लुटियनों’, ‘लेफ्ट लिबरलों’ और ‘वोकिस्टों’ का भी ‘मेल्ट डाउन’ होता दिखा। उनका ‘पिघलना’ दिखा। रोना-बिसूरना दिखा।
‘बंटेगे तो कटेंगे’ वाला नारा
एक एंकर ने ऐसों को बार-बार कोंचा। एक वामपंथी ने ट्रंप को सीधे ‘जाहिल’ कहा, तो जवाब में कई ‘ट्रंप समर्थक’ वक्ता चैनल पर ही भिड़ गए कि एक देश के राष्ट्रपति को ‘जाहिल’ कैसे बोला। वामपंथी जी फिर बोल उठे कि उसने भी वहां ‘बंटोगे तो कटोगे’ किया है! अरे भाई! जब तक दुनिया आपके अनुसार न चले, तब तक क्या ये दुनिया ही नहीं! एक ने कहा कि जो यहां हुआ, वह वहां हुआ। यहां भी सर्वे हारे और मोदी की सरकार बनी। वहां भी सारे सर्वे हारे और ट्रंप जीते। अब आप चाहें तो अमेरिका की जनता को ही बदल डालें, ताकि वह आपके हिसाब से चले! लेकिन योगी का ‘बंटेगे तो कटेंगे’ वाला नारा इस सप्ताह भी विपक्ष को हिलाता-डुलाता रहा।
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इन दिनों कई चैनल कुछ बाबाओं की कही ऐसी लाइनें भी दिखाने लगे हैं कि हिंदू एक हों… कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे… और गजब कि इस बार यह नारा अमेरिका तक में गूंजा..!
इसी बीच एक विपक्षी अल्पसंख्यक नेता ने महाराष्ट्र के एक गठबंधन के आगे एक ‘मुसलिम घोषणापत्र’ ही रख दिया कि मुसलिमों के लिए पांच फीसद कोटा, दस हजार करोड़ का अनुदान मुसलिमों के लिए हो, मुसलिम छात्रों को सौ फीसद छात्रवृत्ति दी जाए। फिर एक दिन सुप्रीम कोर्ट के ‘मदरसा एक्ट’ संबंधी फैसले को पक्ष-विपक्ष, दोनों का समर्थन मिला। कई मौलाना बोले कि हम इसका स्वागत करते हैं तो दूसरे बोले कि मदरसों के आधुनिकीकरण का रास्ता खुला। अब मदरसे अपनी वाली ‘डिग्री’ नहीं दे सकेंगे। अब मदरसों को भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग वाली डिग्री ही देनी होगी।
चर्चक ने इसे देख कनाडा को भी कहा ‘दूसरा पाकिस्तान’
एक दिन खालिस्तान समर्थकों ने कनाडा के मंदिरों पर हमला किया। भारत ने तीखा विरोध किया। वहां के प्रधानमंत्री ने हमले की ‘निंदा’ करने की जगह सिर्फ ‘अस्वीकार्य’ कहा। एक चर्चक ने इसे देख कनाडा को भी ‘दूसरा पाकिस्तान’ कहा। उधर बांगलादेश में एक मंदिर पर हमले की खबर रही, जिसका जवाब सीधे ट्रंप ने हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर होते अत्याचारों की निंदा करके दिया। एक चैनल ने इसे हिदुओं का ‘तुष्टीकरण’ कहा! ऐसे ही एक दिन एक नेता जी ने कर्नाटक सरकार की गारंटियों को अर्थव्यवस्था के हिसाब से तय करने के लिए क्या चेताया कि भाजपा वाले पीछे पड़ गए। उधर कांग्रेस के एक बड़े नेता महाराष्ट्र के लिए सात गारंटियां देते दिखे।
और महाराष्ट्र में तो हर गठबंधन बढ़-चढ़ के गारंटी पर गारंटी दिए जा रहा है, चाहे राज्य दिवालिया बने या कटोरा लिए भीख मांगे! जिन रेवड़ियों ने सोवियत समाजवाद को डुबो दिया, वही अब हर दल का समाजवाद बन गया है! यानी वही वाली बात कि ‘हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे’!